नई दिल्ली : कर्ज में डूबे अनिल अंबानी की दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) को दिल्ली मेट्रो के खिलाफ केस में सुप्रीम कोर्ट से गुरुवार को बड़ी जीत मिली है. सर्वोच्च अदालत ने अनिल अंबानी ग्रुप की कंपनी डीएएमईपीएल में आए मध्यस्थता फैसले को बरकरार रखा है. कोर्ट के इस फैसले से अनिल अंबानी ग्रुप की कंपनी को ब्याज सहित करीब 63.2 करोड़ डॉलर या 4,600 करोड़ रुपये से अधिक की रकम मिलेगी.
मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अनिल अंबानी ग्रुप की कंपनी डीएएमईपीएल के पक्ष में 2017 में आए मध्यस्थता फैसले को बरकरार रखा है. सर्वोच्च अदालत के इस फैसले का इन्फोर्समेंट दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) के खिलाफ किया जाना है.
जस्टिस एल नागेश्वर राव की अगुआई वाली बेंच ने दिल्ली हाईकोर्ट के मध्यस्थता या पंचाट के फैसले को रद्द करने के आदेश को भी खारिज कर दिया है. डीएएमईपीएल सुरक्षा मुद्दों की वजह से एयरपोर्ट एक्सप्रेस मेट्रो लाइन के परिचालन से बाहर निकल गई थी. रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की ताजा वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार डीएएमईपीएल के पक्ष में यह फैसला ब्याज सहित 63.2 करोड़ डॉलर या 4,600 करोड़ रुपये से अधिक का है.
Also Read: चीनी बैंक केस: अनिल अंबानी की दुनिया भर में कितनी संपत्ति है? चीन के बैंकों ने पता लगाना शुरू किया
मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने मई 2017 में अपने फैसले में एयरपोर्ट मेट्रो की परिचालक के इस दावे को स्वीकार कर लिया था कि स्ट्रक्चरल खामियों की वजह से इस लाइन पर परिचालन प्रैक्टिकल नहीं है. कंपनी के अधिवक्ता ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि डीएएमईपीएल इस रकम का इस्तेमाल अपने कर्जदाताओं को बकाया के भुगतान के लिए करेगी.
बता दें कि डीएएमईपीएल ने 2008 में एयरपोर्ट मेट्रो लाइन का परिचालन 2038 तक करने के लिए डीएमआरसी से करार किया था. दोनों पक्षों के बीच विवाद के बाद डीएएमईपीएल ने एयरपोर्ट मेट्रो लाइन का परिचालन रोक दिया था.