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राज्य धीरे-धीरे जीएसटी की तरफ बढ रहे हैं : के एम मणि

नयी दिल्ली : राज्य सरकारें वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था के जरिये पूरे देश को एक साझा बाजार बनाने की दिशा में धीरे-धीरे आगे बढ रही हैं. राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकारप्राप्त समिति के चेयरमैन के.एम. मणि ने आज यहां यह बात कही. मणि ने यहां ‘इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया-आइसीएआइ’ की अप्रत्यक्ष […]

नयी दिल्ली : राज्य सरकारें वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था के जरिये पूरे देश को एक साझा बाजार बनाने की दिशा में धीरे-धीरे आगे बढ रही हैं. राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकारप्राप्त समिति के चेयरमैन के.एम. मणि ने आज यहां यह बात कही. मणि ने यहां ‘इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया-आइसीएआइ’ की अप्रत्यक्ष कर समिति द्वारा आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुये कहा कि जीएसटी एक प्रमुख कर सुधार है.

राज्यों के राजस्व को प्रभावित किये बिना इसका लाभ अंतिम उपभोक्ता और जनता को मिलेगा. उन्होंने कहा कि समिति जीएसटी से जुडे कई मुद्दों पर विचार विमर्श और आम सहमति बनाने की प्रक्रिया में लगी है. केरल के वित्त मंत्री मणि ने कहा, ‘यह अपने आप में एक बडी सफलता है कि इतनी विविधता और विभिन्न पार्टियों की सरकारों द्वारा संचालित राज्य सरकारें वित्त मंत्रियों की इस अधिकार संपन्न समिति के तहत काम कर रहीं हैं और धीरे-धीरे देश में एक साझा बाजार बनाने की दिशा में आगे बढ रही हैं.’

मणि ने कहा कि अधिकार संपन्न समिति को राज्यसभा की प्रवर समिति ने अपने विचार रखने के लिये 16 जून को आमंत्रित किया है. जीएसटी व्यवस्था को लागू करने के लिये संविधान संशोधन विधेयक को राज्यसभा की प्रवर समिति को भेजा गया है जबकि लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है. प्रवर समिति विधेयक की जांच परख कर रही है. मणि ने कहा कि समिति की केरल में पिछले महीने काफी उपयोगी बैठक हुई और एक अन्य बैठक कल दिल्ली में हुई. जीएसटी में विभिन्न प्रकार के अप्रत्यक्ष कर जैसे उत्पाद शुल्क, सेवा कर, प्रवेश कर, वैट और चुंगी जैसे कर समाहित हो जायेंगे.

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