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‘Lockdown के बाद MSME सेक्टर में 15-30 फीसदी कामगारों को गंवानी पड़ सकती है नौकरी’

कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus pandemic) की वजह से देश में 25 मार्च से लगातारी जारी लॉकडाउन में ठप पड़ी आर्थिक गतिविधियों का प्रतिकूल प्रभाव भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ना शुरू हो गया है.

नयी दिल्ली : कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus pandemic) की वजह से देश में 25 मार्च से लगातारी जारी लॉकडाउन में ठप पड़ी आर्थिक गतिविधियों का प्रतिकूल प्रभाव भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ना शुरू हो गया है. खासकर सूक्ष्म, लघु और मझोले उपक्रम (MSME) क्षेत्र के उद्यम और उद्यमियों पर इसका गहरा असर दिखाई दे रहा है. एमएसएमई सेक्टर के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (CEO) ने लॉकडाउन के दौरान अपने यहां कार्यरत कर्मचारियों को तनख्वाह देने के लिए पीएम केयर्स फंड से सब्सिडी पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. वहीं, उन्होंने भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के सर्वे में इस बात का खुलासा भी किया है कि देश में लॉकडाउन समाप्त होने के बाद एमएसएमई सेक्टर में काम कर रहे करीब 15-30 फीसदी कामगारों को अपनी-अपनी नौकरियां गंवानी पड़ सकती है. इसका स्पष्ट संकेत यह दिखाई दे रहा है कि देश की अर्थव्यवस्था को करीब-करीब सबसे अधिक उत्पादन देने वाला सेक्टर ही कोरोना वायरस महामारी की वजह से सबसे अधिक कराह रहा है.

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अर्थव्यवस्था में जारी रह सकती है लंबी सुस्ती : सीआईआई ने रविवार को अपनी एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन से आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित होने की बात को रेखांकित किया गया है. सर्वे में शामिल 65 प्रतिशत कंपनियों का मानना है कि अप्रैल-जून की तिमाही में उनकी आमदनी में 40 फीसदी से अधिक की गिरावट की जाएगी. सर्वे के नतीजों से निष्कर्ष यह निकालता है कि देश की अर्थव्यवस्था में सुस्ती लंबी रहने वाली है.

अर्थव्यवस्था को सामान्य स्थिति में लाने में लग सकता है सालभर से अधिक समय : सर्वे में शामिल 45 फीसदी सीईओ ने कहा कि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन हटने के बाद अर्थव्यवस्था को सामान्य स्थिति में लाने के लिए एक साल से अधिक का समय लगेगा. इस सर्वे में 300 से अधिक मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की राय ली गयी. इनमें से 66 फीसदी से अधिक सीईओ सूक्ष्म, लघु और मझोले उपक्रम (एमएसएमई) क्षेत्र के है.

लॉकडाउन के बाद एमएसएमई सेक्टर में हो सकती है जोरदार तरीके से छंटनी : जहां तक कामगारों के करियर और आजीविका का सवाल है, तो आधी से ज्यादा कंपनियों का मानना है कि लॉकडाउन हटने के बाद उनके संबंधित क्षेत्रों में कर्मचारियों की छंटनी होगी. करीब 45 फीसदी कंपनियों ने कहा कि 15 से 30 फीसदी कर्मचारियों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ेगी. सर्वे में शामिल 66 फीसदी यानी दो-तिहाई लोगों का कहना था कि अभी तक उनकी कंपनी में वेतन-मजदूरी में कटौती नहीं हुई है.

कंपनी की आमदनी में 40 फीसदी तक गिरावट दर्ज होने की आशंका : कोरोना वायरस पर काबू के लिए देश में 25 मार्च से राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन है. पिछले दिनों सरकार ने लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाकर 17 मई तक कर दिया है. हालांकि, इस दौरान आर्थिक गतिविधियां शुरू करने के लिए सरकार की ओर से कुछ छूट भी दी गयी है. इसके मद्देनजर सीआईआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बंद से आर्थिक गतिविधियों पर गंभीर असर पड़ा है. पूरे वित्त वर्ष 2020-21 की बात की जाए, तो सर्वे में शामिल 33 फीसदी कंपनियों की राय है कि पूरे साल में उनकी आमदनी में 40 फीसदी से अधिक की गिरावट आएगी. 32 फीसदी कंपनियों ने कहा कि उनकी आय में 20 से 40 फीसदी की कमी आएगी.

लॉकडाउन में कंपनियों का परिचालन अब भी पूरी तरह से है बंद : सर्वे में शामिल चार में से तीन कंपनियों का कहना था कि परिचालन पूरी तरह बंद होना उनके लिए सबसे बड़ी बाधा है. वहीं, 50 फीसदी से अधिक कंपनियों ने कहा कि उत्पादों की मांग में कमी कारोबारी गतिविधियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है.

उद्योग जगत को प्रोत्साहन पैकेज देने की जरूरत : सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि कोरोना वायरस पर काबू के लिए लॉकडाउन जरूरी है, लेकिन इससे आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं. आज समय की मांग है कि उद्योग को प्रोत्साहन पैकेज दिया जाए, जिससे आर्थिक गतिविधियों को आगे बढ़ाया जा सके और आजीविका को बचाया जा सके. बनर्जी ने कहा कि इसके अलावा लॉकडाउन से सोच-विचार कर बाहर निकलने की तैयारी करनी चाहिए.

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