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गैस चोरी मामला: रिलायंस के पक्ष में मंत्रालय, HC में ONGC को फटकार लगायी

नयी दिल्‍ली: पेट्रोलियम मंत्रालय ने ‘बिना सोचे समझे आरोप’ लगाने पर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) को फटकार लगाते हुये दिल्ली उच्च न्यायालय में कहा कि ओएनजीसी अचानक सोते से जागी और आरोप लगा दिया कि हो सकता है रिलायंस इंडस्टरीज के केजी-डी6 क्षेत्र से उसके क्षेत्र की गैस भी […]

नयी दिल्‍ली: पेट्रोलियम मंत्रालय ने ‘बिना सोचे समझे आरोप’ लगाने पर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) को फटकार लगाते हुये दिल्ली उच्च न्यायालय में कहा कि ओएनजीसी अचानक सोते से जागी और आरोप लगा दिया कि हो सकता है रिलायंस इंडस्टरीज के केजी-डी6 क्षेत्र से उसके क्षेत्र की गैस भी निकल रही है. ओएनजीसी ने 15 मई को दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि रिलायंस इंडस्टरीज ने उसके क्षेत्र से संभवत: हजारो करोड रुपये की गैस निकाल ली है.

ओएनजीसी का यह क्षेत्र मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली कंपनी के कृष्णा गोदावरी बेसिन में केजी-डी6 ब्लॉक के साथ लगा हुआ है.ओएनजीसी ने इस मामले में भारत सरकार व पेट्रोलियम मंत्रालय की तकनीकी इकाई हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (डीजीएच) को भी प्रतिवादी बनाते हुए कहा था कि उन्‍होंने उसके अधिकारों की रक्षा के लिए उचित कदम नहीं उठाया.

मंत्रालय की ओर से पिछले सप्ताह दायर जवाबी हलफनामे में कहा गया है कि ओएनजीसी को गोदावरी पीएमएल ब्लॉक (जी-4) में उत्खनन का अधिकार 2008 में दिया गया था और रिलायंस इंडस्टरीज ने अप्रैल, 2009 में केजी-डी6 क्षेत्र से उत्पादन शुरु किया था, लेकिन ओएनजीसी ने कभी भी दोनों के क्षेत्रों के आपस में जुडे होने की बात नहीं उठाई थी.

इसमें कहा गया है कि ओएनजीसी अचानक जुलाई, 2013 में नींद से जागी, जब उसने सरकार से भूगर्भीय व भूभौतिकीय आंकडे उपलब्ध कराने को कहा. ये आंकडे भी उसने सिर्फ इस पूल की निरंतरता के विश्लेषण के लिए मांगे थे. मंत्रालय ने ओएनजीसी की याचिका को खारिज करने की मांग करते हुए कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कभी भी अपने अधिकारों के प्रति सजग नहीं रही. ‘अब वह अचानक नींद से जागकर सरकार के खिलाफ बिना सोचे समझे इस तरह के हल्के आरोप नहीं लगा सकती.’

इसमें कहा गया है कि ओएनजीसी ने अपने जी-4 व केजी-डीडब्ल्यूएन-98-2 ब्‍लाकों तथा रिलायंस इंडस्टरीज के केजी-डी6 ब्लाक के बीच निरंतरता स्थापित करने के लिए स्वतंत्र एजेंसी की नियुक्ति की मांग की थी. 3 जुलाई को डीगोलियर एंड मैकनॉटन को स्वतंत्र एजेंसी नियुक्त कर दिया गया. इसके बाद ओएनजीसी की याचिका का कोई आधार नहीं बचता. इसी तरह का जवाबी हलफनामा हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय ने भी दायर किया है.

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