21.7 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Jharkhand News: झारखंड आंदोलन के प्रणेता विनोद बिहारी महतो का बोकारो के कसमार से था ये कनेक्शन

Jharkhand News: बेनीलाल ने बताया कि ‍विनोद बिहारी महतो की बातों से प्रभावित होकर वे पढ़ाई के साथ-साथ उसी उम्र में उनके साथ चल पड़े थे और चुनाव प्रचार में हिस्सा लिया था.

Jharkhand News: झारखंड आंदोलन के प्रणेता विनोद बाबू यानी बिनोद बिहारी महतो की अनेक यादें बोकारो के कसमार प्रखंड के साथ जुड़ी हुई हैं. बताया जाता है कि कसमार से उनका विशेष लगाव था. यहां के कई लोगों के साथ उनके आत्मीय संबंध थे. यही वजह रही कि उनकी प्रेरणा से कसमार प्रखंड के अनेक लोग झारखंड आंदोलन में कूद पड़े और अग्रणी भूमिका निभाई. कसमार प्रखंड के करमा (पुरनाडीह) निवासी झारखंड आंदोलनकारी बेनीलाल महतो भी प्रमुख नाम हैं. वह जब सातवीं कक्षा के छात्र थे, उसी समय विनोद बाबू से प्रभावित होकर उनके साथ जुड़ चुके थे.

1977 का लोकसभा चुनाव था. विनोद बाबू चुनाव प्रचार में कसमार प्रखंड आए थे. बेनीलाल के चाचा ठाकुरदास माता के साथ उनका आत्मीय संबंध था. चुनाव प्रचार के क्रम में जब वह इनके घर आए और ठाकुर दास महतो समेत अन्य साथियों के साथ बातचीत कर रहे थे, तब बेनीलाल भी वहीं मौजूद थे. विनोद बाबू की बातें इनके दिल को छू गईं. बेनीलाल बताते हैं कि उस दिन विनोद बाबू ने अपने ‘पढ़ो और लड़ो’ के नारे को बुलंद करते हुए कहा था कि अगर मान-सम्मान की जिंदगी जीनी है तो अलग राज्य हर हाल में हासिल करना होगा और इसके लिए हम सबको पढ़ना भी होगा और लड़ना भी होगा. पढ़े और लड़े बिना हम कुछ भी हासिल नहीं कर सकते और झारखंडियों की जिंदगी आजाद देश के गुलामों की तरह व्यतीत होती रहेगी.

Also Read: Jharkhand News: गांव का नाम था ऐसा कि कहीं बताने में आती थी शर्म, अब सिर ऊंचा कर बताते हैं अपने गांव का ये नाम

बेनीलाल ने बताया कि उनकी बातों से प्रभावित होकर वे पढ़ाई के साथ-साथ उसी उम्र में उनके साथ चल पड़े. उनके चुनाव प्रचार में हिस्सा लिया. सिम के पत्तों को पीसकर रंग और करंज की डाली तोड़कर कूची बनायी और गांवों में घूम-घूमकर उनके पक्ष में दीवार लेखन किया. उसके बाद तो वे आंदोलन का एक हिस्सा ही बन गए. बताते हैं कि विनोद बाबू के मार्गदर्शन में झारखंड आंदोलन की अनेक लड़ाइयां लड़ीं. छोटे-बड़े आंदोलनों में हिस्सा लिया. कहते हैं- विनोद बाबू की बातों से ताकत मिलती थी. उत्साह का संचार होता था और उम्मीदें जगती थीं. यही वजह रही कि अपनी पूरी जिंदगी झारखंड आंदोलन में गंवा दी.

विनोद बाबू ने कसमार प्रखंड में विभिन्न अवसरों पर कई जनसभाओं को संबोधित किया था. 1977 में पिरगुल बाजार, 1980 में बगदा तथा 1989 एवं 1991 में खैराचातर में जनसभा को संबोधित कर लोगों से झारखंड आंदोलन को प्रभावी बनाने की अपील की थी. इसके अलावा चुनावी सभाओं में अपने पक्ष में मतदान करने की अपील भी की थी. 1991 के चुनाव से पहले विनोद बाबू के निधन की अफवाह उड़ गई थी. यही कारण रहा कि जब 1991 में चुनाव प्रचार के लिए वे खैराचातर आये तो उन्हें पैदल ही पूरे गांव में घुमाया गया. इस दौरान ठाकुर दास महतो एवं खैराचातर के भूतपूर्व सरपंच सुरेश कुमार जायसवाल उनका हाथ पकड़ कर लोगों से परिचय कराते, दिखाते हुए यह कहते हुए चल रहे थे कि देख लो, यही विनोद बाबू हैं. जिनके बारे में विरोधी अफवाह उड़ा रहे थे कि अब इस दुनिया में नहीं रहे.

Also Read: झारखंड के तनय के साथ काम करेंगे ट्विटर इंडिया के पूर्व प्रमुख मनीष माहेश्वरी, मिलकर शुरू करेंगे स्टार्टअप

पद यात्रा के बाद खैराचातर के बाजार में सभा को संबोधित किया था. विनोद बाबू के साथ कसमार प्रखंड के अन्य कई लोगों के भी काफी गहरे लगाव थे. उनमें ठाकुरदास महतो, बेनीलाल महतो व सुरेश कुमार जायसवाल के अलावा कसमार के विभूति भूषण मिश्र, मुरहुलसूदी के सरधु महतो, मंजूरा के फुलेश्वर महतो, खैराचातर के भूतपूर्व मुखिया स्वर्गीय नकुलराम महतो, हरनाद के पूर्व प्रमुख स्वर्गीय कैलाश चंद्र, निकटवर्ती टोंडरा के भूतपूर्व मुखिया शिवलाल महतो, रोरिया के कपिलेश्वर महतो, फुलेश्वर मरांडी, कुंवर मांझी, सोहन मांझी, खाडेराम मुर्मू, जैनामोड़ के आईसी मिश्र, पेटरवार के महेश्वर महतो उर्फ गुरुजी समेत अनेक लोगों के साथ व्यक्तिगत गहरे लगाव थे. उनकी प्रेरणा से इन सबों ने झारखंड आंदोलन में भी अहम भूमिका निभाई थी.

विनोद बाबू ने कसमार प्रखंड में उच्च शिक्षा का दीप भी जलाया है. अपने निधन से कुछ समय पहले कसमार प्रखंड के मंजूरा गांव में किसान महाविद्यालय के नाम पर एक कॉलेज की स्थापना की थी. उन दिनों कसमार प्रखंड में इंटर की पढ़ाई के लिए कहीं कोई सुविधा नहीं थी. प्रखंड के अधिकतर लड़के-लड़कियां कॉलेज के अभाव में इंटर की पढ़ाई नहीं कर पाते थे. इसी को ध्यान में रखते हुए विनोद बाबू ने मंजूरा में कॉलेज की स्थापना की थी. रांची विश्वविद्यालय के तत्कालीन वीसी रामदयाल मुंडा की उपस्थिति में विनोद बाबू ने इस कॉलेज की आधारशिला रखी थी. अपनी ओर से आर्थिक सहयोग भी किया था. उन्ही पैसों से ईंट बनाए गए थे और कमरों का निर्माण हुआ था.

उनके निधन के बाद इस कॉलेज का नामकरण उनकी स्मृति में ‘विनोद बिहारी महतो स्मारक महाविद्यालय’ किया गया. मंजूरा निवासी पारा शिक्षक संघ के बोकारो जिलाध्यक्ष संजय कुमार महतो बताते हैं कि पिछले करीब तीन दशक में इस कॉलेज ने कसमार प्रखंड में उच्च शिक्षा के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. हजारों छात्र-छात्राएं इस कॉलेज से पढ़कर विभिन्न क्षेत्रों में सफलता हासिल कर चुके हैं. कसमार के विभूति भूषण मिश्रा ने भी इस कॉलेज को स्थापित कराने एवं संचालन में आम भूमिका निभाई थी. इसके अलावा मुरहुल में उच्च विद्यालय की स्थापना में भी विनोद बाबू का अहम योगदान रहा है. कसमार प्रखंड के खुदीबेड़ा-हिसीम चौक पर विनोद बाबू की आदमकद प्रतिमा स्थापित की गई है. बिरसा-विनोद सेवा संस्थान ने इसकी स्थापना वर्ष 2019 में की थी. उस समय से विनोद बाबू की जयंती और पुण्यतिथि पर यहां विभिन्न संगठनों के द्वारा श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया जाता है.

रिपोर्ट: दीपक सवाल

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें