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सारण शराब कांड: SP को CM से मिला था सम्मान, फिर भी जिले में पूरे साल मचा रहा मौत का कोहराम, जानें वजह…

Saran Hooch Tragedy: सारण जिले में कथित तौर पर शराब के सेवन से मौत के मामले लगातार बढ़ते गये. पूरे साल की बात करें तो पांच दर्जन से अधिक लोगों की जान गयी और परिजनों ने शराब पीने के बाद हालत बिगड़ने का दावा किया. जबकि इसी जिले के एसपी को शराबबंदी को लागू कराने के लिए सीएम ने सम्मानित किया था.

Saran Hooch Tragedy: बिहार में शराबबंदी को लेकर फिर एकबार हंगामा मचा हुआ है. सारण जिले में 50 से अधिक लोगों की संदिग्ध मौत के बाद हाहाकार मचा हुआ है. जहरीली शराब के सेवन से कई घर उजड़ गये. वहीं जिला पुलिस प्रशासन के रवैये पर बड़े सवाल खड़े हुए हैं. एक तरफ जहां सीएम नीतीश कुमार ने सारण एसपी को मद्य निषेध की दिशा में बेहतर कार्य करने के लिए सम्मानित किया था वहीं धरातल पर इसका परिणाम पूरे साल नहीं दिख सका. इसकी बड़ी वजह भी जानें….

पूर्ण शराबबंदी को लागू करने में सारण जिला पूरी तरह विफल

पूर्ण शराबबंदी को लागू करने में और लोगों को शराब का सेवन नहीं करने के लिए जागरूक करने में सारण जिला पूरी तरह विफल रहा. वर्तमान साल की बात करें तो पांच दर्जन से अधिक मौतें इस साल शराब का सेवन करने के बाद संदिग्ध हालत में हो चुकी हैं. केवल अगस्त माह में ही 23 लोगों की जान गयी थी अब दिसंबर में 50 से अधिक लोगों की मौत हुई है.

पुलिस अधिक्षक संतोष कुमार को मिला था सम्मान

सारण में प्रशासन के ऊपर गंभीर आरोप ग्रामीण लगा रहे हैं. उनका आरोप है कि पुलिस की मिलीभगत के कारण ही शराब का अवैध कारोबार पसरा है और लोगों की मौत हो रही है.जबकि मद्य निषेध दिवस के अवसर पर सारण के पुलिस अधिक्षक संतोष कुमार को इस ओर उत्कृष्ट कार्य करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सम्मानित किया था.

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अधिकारियों की माफियाओं से मिलीभगत

सारण डीएम राजेश मीणा और एसपी संतोष कुमार शराबबंदी को सफल बनाने के लिए भले ही रयासरत रहे हों.लेकिन पुलिस व मद्य निषेध विभाग के अधिकारियों की माफियाओं से मिलीभगत ने इन प्रयासों पर पानी फेर दिया. बता दें कि हर घटनाओं के बाद कार्रवाई भी होती रही है लेकिन धरातल पर इसका कोई असर देखने को नहीं मिला.

सारण में पूरे साल मौत का तांडव

दिसंबर में जहरीली शराब के सेवन से 50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि अनेकों बीमार हैं. थाना पर आरोप है कि जब्त की गयी स्पिरिट को बेचा गया और उससे ही शराब बने. जबकि एसडीपीओ भी विवाद में घिरे हैं. लेकिन पूर्व के पन्ने को उलटाया जाए तो जिस एसडीपीओ पर एक्शन की बात हो रही है उसके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा पूर्व में भी डीएम ने की लेकिन मामला ठंडे बस्ते में ही गया. परिणामस्वरूप मढ़ौरा अनुमंडल शराब से मौत का सबसे बड़ा केंद्र बन चुका है.

Posted By: Thakur Shaktilochan

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