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मनोज चतुर्वेदी

टिप्पणीकार

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विश्व शतरंज में भारत की बढ़ती धमक

कई बार झटके लोगों को उबारने में सहायक होते हैं. टोरंटो में इस टूर्नामेंट के दौरान सातवें राउंड में अलिरेजा के हाथों बाजी हारने ने ही उन्हें खिताब जीतने के लिए मजबूत बनाया. उनकी मां पद्मा बताती हैं कि इस बाजी के हारने के बाद गुकेश थोड़ा हताश था.

बैडमिंटन में सात्विक-चिराग की जोड़ी से बड़ी उम्मीदें

दोनों खिताबों को जीतने के दौरान चिराग और सात्विक ने बिलकुल भिन्न खेल का प्रदर्शन किया. कोरिया में कोर्ट तेज था, तो उन्होंने आक्रामक खेल खेला था, पर फ्रेंच ओपन में भारतीय जोड़ी ने जरूरी होने पर ही स्मैश लगाये और शानदार डिफेंस का प्रदर्शन किया.

क्रिकेट में युवाओं को पंख लगाता आइपीएल

सभी फ्रेंचाइजी जानते हैं कि बिना मजबूत अनकैप्ड खिलाड़ियों के टीम मजबूत नहीं बन सकती है. कई बार यह युवा प्रतिभाएं उम्मीदों पर खरी नहीं भी उतर पाती हैं, पर जो खरे उतरते हैं, उन्हें आगे और ज्यादा रकम मिलने लगती है. फ्लॉप खिलाड़ियों की तत्काल छुट्टी भी कर दी जाती है.

खराब रणनीति का शिकार बनी भारतीय टीम

इस हार में धीमी बल्लेबाजी की भी बड़ी भूमिका रही. रोहित और श्रेयस के विकेट फटाफट निकल जाने पर टीम पर दवाब बना और इससे निकलने के लिए विराट और केएल राहुल ने साझेदारी बनायी, जो सही था. पर इस साझेदारी
 के दौरान टीम एकदम से नकारात्मक हो गयी.

सालों तक याद रहेगा कोहली के बल्ले का जादू

विराट कोहली के करियर का यह चौथा विश्व कप सेमीफाइनल था और वह पिछले तीनों मौकों पर दहाई अंकों में भी रन नहीं बना सके थे. पर उन्होंने अपनी इस शतकीय पारी से भारत को फाइनल की राह दिखाने में अहम भूमिका निभाकर बता दिया कि उन्हें किंग कोहली क्यों कहा जाता है.

भुलाये नहीं भूलेगा मैक्सवेल का यह जज्बा

मैक्सवेल जानते थे कि एक बार तारतम्यता टूट गयी, फिर संभलना मुश्किल हो जायेगा. इस कारण उन्होंने कभी भी अपनी पीड़ा को अपनी हिम्मत पर हावी नहीं होने दिया. पैरों का साथ नहीं देने पर उन्होंने दौड़कर रन लेना लगभग बंद ही कर दिया. खड़े-खड़े ही चौके और छक्के लगाकर लक्ष्य की तरफ बढ़ते रहे.