लाहौर : पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के अधिकारियों ने यह कहते हुए मुंबई आतंकवादी हमले के सरगना हाफिज सईद की नजरबंदी एक महीना बढ़ा दी है कि उसकी गतिविधियां देश में शांति के लिए खतरा है. जमात-उद-दावा का प्रमुख सईद इस वर्ष 31 जनवरी से नजरबंद है. पंजाब गृह विभाग ने एक आदेश जारी कर सईद और उसके चार सहयोगियों अब्दुल्ला उबेद, मलिक जफर इकबाल, अब्दुल रहमान आबिद और काजी काशिफ हुसैन की नजरबंदी 25 सितंबर के प्रभाव से 30 दिन के लिए बढ़ा दी. सईद की नजरबंदी का पिछला आदेश 28 जुलाई को जारी किया गया था.
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पंजाब सरकार ने 31 जनवरी को आतंकवाद निरोधक अधिनियम 1997 के तहत सईद और उसके चार सहयोगियों को 90 दिनों के लिए नजरबंद किया था. पंजाब गृह विभाग ने अपने हालिया आदेश में कहा जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत ने उसकी अपेक्षित रिहाई पर देश में अराजकता फैलाने की साजिश रची है. उन्होंने सईद के नेतृत्व में प्रदर्शन करने की साजिश रची है. उसे नायक के रूप में चित्रित किया जाता और उसकी गतिविधियों का महिमामंडन किया जाता.
पाकिस्तान सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि जमात-उद-दावा के केंद्रीय नेता अब्दुल रहमान मक्की हाफिज सईद की रिहाई के लिए तैयारियां कर रहा था. इसमें कहा गया है कि परिवहन की व्यवस्था की जा रही थी और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के कर्मियों के खिलाफ जरूरत पड़ने पर अपनी ताकत दिखाने और उपयोग करने के लिए हथियार भी जमा किये जा रहे थे. सईद की रिहाई शांति और सुरक्षा के लिए लगातार खतरा है. अधिसूचना में कहा गया है कि जिला खुफिया कमेटी लाहौर ने अलग से कहा है कि ऐसी आशंका है कि सईद रिहा होने पर कानून एवं व्यवस्था की स्थिति के लिए खतरा पैदा करेगा.
अतिरिक्त गृह सचिव एमआर आजम सुलेमान ने कहा कि सईद की गतिविधियां जनसुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था को बनाये रखने के लिए नुकसानदेह है. इस बीच सईद ने उसकी नजरबंदी और 30 दिन के लिए बढ़ाये जाने के नये आदेश के खिलाफ लाहौर हाईकोर्ट में बुधवार को एक नयी याचिका दायर की. न्यायमूर्ति सैयद मजहर अली अकबर नकवी ने गृह विभाग के उस अनुरोध को ठुकरा दिया, जिसमे मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए याचिका की सुनवाई बंद कमरे में करने के लिए कहा गया था.
जज ने मामले की सुनवाई दो अक्टूबर तक स्थगित कर दी. जमात-उद-दावा के नेताओं के वकील एके डोगर ने दलील दी कि सरकार ने केवल आशंका के आधार पर याचिकाकर्ताओं को हिरासत में लिया है. सईद के प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा संगठन को वर्ष 2008 में मुम्बई में हुए हमले के लिए जिम्मेदार माना जाता है. भारत में कई आतंकवादी गतिविधियों में इस संगठन की संलिप्तता होने के आरोप है. वर्ष 2014 में अमेरिका ने इसे एक विदेशी आतंकवादी संगठन के रूप में घोषित किया था.