जब पालन-पोषण की बात आती है, तो हमारे शब्दों की शक्ति को कम नहीं आंका जा सकता. शब्दों का हमारा चयन या तो हमारे बच्चों का उत्थान और प्रेरणा कर सकता है या उन्हें आहत और हतोत्साहित कर सकता है. माता-पिता के भाषा का उपयोग बच्चों को जोड़ने या दूर धकेलने के लिए किया जा सकता है. इसलिए, यह जरूरी है कि माता- पिता अपने शब्दों का चयन सावधानी से करें और ऐसी बातें कहने से बचें, जो बच्चों के आत्म-सम्मान को ठेस पहुंचाने वाली या हानिकारक हो सकती हैं. ऐसे में कुछ बातें है जो अपने बच्चों से हर कीमत पर कहने से बचना चाहिए. ये बातें संभावित रूप से लंबे समय तक चलने वाली भावनात्मक क्षति का कारण बन सकते हैं. हम गुस्से में जो बातें कहते हैं, उन्हें बच्चे नहीं भूलते. जिस तरह से हम अपने बच्चों से बात करते हैं वह उनकी आंतरिक आवाज़ बन जाती है. अगर हम उन्हें बताएं कि वे मूर्ख हैं, तो वे हम पर विश्वास कर लेंगे. आपाधापी में अपने शब्दों का चयन बहुत सावधानी से करें.
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VIDEO: भूलकर भी अपने बच्चों से न कहें ये बातें, उनके मन पर पड़ सकता है बुरा असर
कुछ बातें है जो अपने बच्चों से हर कीमत पर कहने से बचना चाहिए. ये बातें संभावित रूप से लंबे समय तक चलने वाली भावनात्मक क्षति का कारण बन सकते हैं.
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