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Mahagauri ki Aarti: आज माता महागौरी की पूजा के बाद ऐसे करें आरती, सभी कष्टों से मिलेगी मुक्ति

Mahagauri ki Aarti: महागौरी की चार भुजाएं हैं. इनका वाहन वृषभ है. इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है. ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू और नीचे के बाएं हाथ में वर-मुद्रा हैं.

Mahagauri ki Aarti: हिन्दू धर्म में नवरात्रि का अपना एक अलग महत्व होता है. नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर से ही हो चुकी है और आज शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन है. आज मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं. मां दुर्गा की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है. मां गौरी का ये रूप बेहद सरस, सुलभ और मोहक है. महागौरी की चार भुजाएं हैं. इनका वाहन वृषभ है. इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है. ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू और नीचे के बाएं हाथ में वर-मुद्रा हैं. इनकी मुद्रा अत्यंत शांत है. इनकी उपासना से भक्तों को सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. मां गौरी की उपासना नीचे लिखे श्रोत के हिसाब से करनी चाहिए. नवरात्रि के आठवें दिन माता के पूजन के बाद इस आरती को करने से माता अपने भक्तों पर विशेष कृपा प्रदान करती है. इस देवी की आराधना से मनुष्य कई प्रकार की समस्या से निजात पा लेता है. अगर पारिवारिक कलह घर में बना रहता है तो आप नवरात्रि में माता के इस स्वरुप की पूजा के बाद आरती करें. इसके साथ ही मनुष्य सभी प्रकार के रोग और दोष से मुक्ति भी पा लेता है. ऐसे आइए जानते है ज्योतिषाचार्य वेद प्रकाश शास्त्री से माता की आरती कैसे और कब करनी चाहिए.

महागौरी माता की आरती

जय महागौरी जगत की माया

जया उमा भवानी जय महामाया ।।

हरिद्वार कनखल के पासा

महागोरी तेरा वहां निवासा ।।

चंद्रकली और ममता अंबे

जय शक्ति जय जय मां जगदंबे !

भीमा देवी विमला माता

कौशिकी देवी जग विख्याता ॥

हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा

महाकाली दुर्गाी है स्वरूप तेरा ||

सती ‘सत’ हवन कुंड मे या जलाया।

उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।

बना धर्म सिंह जो सवारी में आया

तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।।

तभी मां ने महागौरी नाम पाया।

शरण आनेवाले का संकट मिटाया ।।

शनिवार को तेरी पूजा जो करता।

मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुचरता ॥

भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।

महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।

आरती करने का महत्व

मां महागौरी की आरती करने से व्यक्ति को अपनी जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है. इसके साथ ही जीवन की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. ऐसी मान्यता है कि देवी महागौरी ने भगवान शिव को पति के रुप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी. इसके साथ ही मां महागौरी की पूजा करने से जिन जातकों के विवाह में समस्याएं आ रही थी वह सभी समाप्त हो जाती हैं. कहा जाता है कि ऐसा करने से मनुष्य को मानसिक व शारीरिक तनाव से मुक्ति मिलती है और उनके जीवन में खुशियां बनी रहती है.

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माता का भव्य स्वरूप

देवी भागवत पुराण के अनुसार, मां महागौरी सफेद वस्त्र धारण करती हैं. इसके साथ ही उनके आभूषण भी सफेद रंग के हैं. माता को श्वेतांबरधरा के नाम से भी जाना जाता है. अपनी तपस्या से माता ने गौर वर्ष प्राप्त किया था. उनकी उत्पत्ति के समय वह आठ वर्ष की थी. इसलिए उनकी नवरात्र के आठवें दिन पूजा की जाती है. अपने भक्तों के लिए वह अन्नपूर्णा स्वरुप हैं. उनका स्वरुप उज्जवल, कोमल, श्वेतवर्ण और श्वेत वस्त्रधारी हैं देवी के हाथ में त्रिशूल और डमरु है. तीसरे हाथ में अभय और चौथे हाथ में वरमुद्रा है.

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