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Basant Panchami 2022, Saraswati Puja, LIVE: बसंत पंचमी आज, किस तरह करें मां सरस्वती की पूजा…

Basant Panchami 2022, Saraswati Puja 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, आज यानी 5 फरवरी को रवि योग और अमृत सिद्धि योग का विशेष संयोग के साथ सरस्वती पूजा 2022 मनाई जा रही है. पंचमी तिथि शनिवार, 5 फरवरी को सुबह 03 बजकर 47 मिनट से प्रारंभ होगी, जो अगले दिन रविवार, 6 फरवरी को सुबह 03 बजकर 46 मिनट तक रहेगी.

लाइव अपडेट

बसंत पंचमी का महत्व

ये पर्व बसंत मौसम की शुरुआत का सूचक है, पूरे दिन अबूझ मुहूर्त रहेगा. इसका अर्थ है कि बसंत पंचमी का दिन बेहद शुभ होता है और इस दिन किसी भी नए कार्य की शुरुआत की जा सकती है. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक इस दिन लोग बगैर पंचांग देखे दिन भर में कभी भी अपने कार्य को पूरा कर सकते हैं. वहीं, कई लोग इस दिन परिवार में छोटे बच्चों को पहली बार किताब और कलम पकड़ाने का भी विधान है.

बसंत पंचमी के दिन क्या करें क्या नहीं

  • व्यक्ति को बसंत पंचमी के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.

  • मन में किसी के लिए गलत भावना नहीं आनी चाहिए.

  • अपशब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

  • मांस मदीरा आदि से दूर रहना चाहिए.

  • स्नान से पहले भोजन नहीं करना चाहिए.

  • पीले वस्त्र पहनने चाहिए.

  • चूंकि इस दिन बसंत ऋतु का आगमन होता है. ऐसे में पेड़-पौधों को काटने से बचना चाहिए.

  • सुबह उठकर सबसे पहले हथेली का दर्शन करना चाहिए.

सरस्वती पूजा के दिन दान करें पढ़ाई की ये सामग्री

विद्या और ज्ञान बढ़ाने के लिए इस दिन गरीब बच्चों को किताबें-कॉपियां, कलम और पढ़ाई के लिए जरूरी चीजें बांटनी चाहिए.

सरस्वती बीज मंत्र

सरस्वती का बीज मंत्र ‘क्लीं’ है. जिसे शास्त्रों में क्लीं कारी कामरूपिण्यै यानी ‘क्लीं’ काम रूप में पूजनीय है. इसलिए वाणी मनुष्य की समस्त कामनाओं की पूर्ति करने वाली हो जाती है.

देवी सरस्वती के मंत्र

श्लोक – ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्..

कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्.

वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्..

रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्.

सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:..वन्दे भक्तया वन्दिता च

Saraswati Puja: जानें पूजा विधि

मां सरस्वती की पूजा से पहले इस दिन नहा-धोकर सबसे पहले पीले वस्त्र धारण कर लें.देवी की मूर्ति अथव चित्र स्थापित करें और फिर सबसे पहले कलश की पूजा करें.इसके उपरांत नवग्रहों की पूजा करें और फिर मां सरस्वती की उपासना करें.इसके बाद पूजा के दौरान उन्हें विधिवत आचमन और स्नान कराएं.फिर देवी को श्रंगार की वस्तुएं चढ़ाएं.बसंत पंचमी के दिन देवी मां को सफेद वस्त्र अर्पित करें.साथ ही, खीर अथवा दूध से बने प्रसाद का भोग मां सरस्वती को लगाएं.

सरस्वती गायत्री मंत्र क्या है…

‘ॐ वागदैव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि. तन्नो देवी प्रचोदयात्‌.’

क्यों होती है मां सरस्वती की पूजा

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, ज्ञान देवी मां सरस्वती शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ही ब्रह्माजी के मुख से प्रकट हुई थीं.इसलिए बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है.सरस्वती मां को ज्ञान की देवी कहा जाता है.इसलिए इस दिन पूरे विधि विधान से मां सरस्वती की पूजा करने से वो प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं.

बसंत पंचमी का महत्व

ये पर्व बसंत मौसम की शुरुआत का सूचक है, पूरे दिन अबूझ मुहूर्त रहेगा. इसका अर्थ है कि बसंत पंचमी का दिन बेहद शुभ होता है और इस दिन किसी भी नए कार्य की शुरुआत की जा सकती है. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक इस दिन लोग बगैर पंचांग देखे दिन भर में कभी भी अपने कार्य को पूरा कर सकते हैं. वहीं, कई लोग इस दिन परिवार में छोटे बच्चों को पहली बार किताब और कलम पकड़ाने का भी विधान है.

इस तरह करें ज्ञान का विस्तार…

विद्या और ज्ञान बढ़ाने के लिए इस दिन गरीब बच्चों को किताबें-कॉपियां, कलम और पढ़ाई के लिए जरूरी चीजें बांटनी चाहिए.

देवी सरस्वती का बीज मंत्र…

सरस्वती का बीज मंत्र ‘क्लीं’ है. जिसे शास्त्रों में क्लीं कारी कामरूपिण्यै यानी ‘क्लीं’ काम रूप में पूजनीय है. इसलिए वाणी मनुष्य की समस्त कामनाओं की पूर्ति करने वाली हो जाती है.

किस तरह करें मां सरस्वती की पूजा…

श्रद्धालु स्नान करने के बाद पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं. अपने ठीक सामने पीला वस्त्र बिछाकर मां सरस्वति की मूर्ति को उस पर स्थापित करें. जिसके बाद रोली मौली, केसर, हल्दी, चावल, पीले फूल, पीली मिठाई, मिश्री, दही, हलवा आदि का प्रसाद मां के सामने अर्पित कर ध्यान में बैठ जाएं. मां सरस्वती के पैरों में श्वेत चंदन लगाएं. पीले और सफेद फूल दाएं हाथ से उनके चरणों में अर्पित करें और ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः का जाप करें. शिक्षा की बाधा का योग है तो इस दिन विशेष पूजन करके उससे छुटकारा पाया जा सकता है.'

बसंत पंचमी के दिन भगवान कामदेव की पूजा…

ऐसी मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन, देवी सती और भगवान कामदेव की षोडशोपचार पूजा करने से हर व्यक्ति को शुभ समाचार एवं फल की प्राप्ति होती है. इसलिए बसंत पंचमी के दिन, षोडशोपचार पूजा करना विशेष रूप से वैवाहिक जीवन के लिए सुखदायक माना गया है.

Saraswati Puja Mantra 2022:विघ्न-बाधाओं का नाश करने वाला मंत्र

ऐं ह्रीं श्रीं अंतरिक्ष सरस्वती परम रक्षिणी।

मम सर्व विघ्न बाधा निवारय निवारय स्वाहा।।

Saraswati Puja Mantra 2022: मूल मंत्र

विघ्न-बाधाओं का नाश करने वाला मंत्र

ऐं ह्रीं श्रीं अंतरिक्ष सरस्वती परम रक्षिणी।

मम सर्व विघ्न बाधा निवारय निवारय स्वाहा।।

मां सरस्‍वती के इन मंत्रों का जाप करें (Saraswati Puja Mantra)

ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।।

कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।

वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।।

रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्।

सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।।वन्दे भक्तया वन्दिता च

Saraswati Puja 2022: सरस्वती पूजा मंत्र

वसंत पंचमी के दिन आप सरस्वती वंदना से पूजा कर सकते हैं. इसके अलावा माता सरस्वती के मूल मंत्र या संपूर्ण मंत्र से भी पूजा कर सकते हैं.

सरस्वती वंदना

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌। हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌ वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥२॥

सरस्वती पूजा के दिन दान करें ये चीजें

स्टेशनरी के सामानों में पेन, पेंसिल, कलर बॉक्स, स्टूमेंट्स, रबर, कलर बॉक्स, स्केल, ज्यॉमेट्री बॉक्स, कलर पेंसिल, कलर पेन, कॉपी, किताब, क्रॉफ्ट पेपर, क्रॉफ्ट शीट, क्रॉफ्ट बॉक्स, स्कूल बैग जैसी कई चीजों में से कुछ भी अपनी पसंद का चुन सकते हैं.

सरस्वती पूजा विधि

बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा पूरी आस्था और विश्वास के साथ की जाती है. इस दिन विभिन्न शिक्षण संस्थानों में मां सरस्वती की पूजा के साथ-साथ घरों में भी उनकी पूजा करने की परंपरा है.

  • सरस्वती पूजा के दिन प्रात:काल स्नान के बाद पीले वस्त्र पहन कर सबसे पहले मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करें.

  • अब तिलक कर धूप-दीप जलाकर मां को पीले फूल अर्पित करें.

  • बसंत पंचमी के दिन पूजा में सरस्वती स्त्रोत का पाठ करने से व्यक्ति को अद्भूत परिणाम प्राप्त होते हैं.

  • बसंत पंचमी केे दिन धन की देवी मां लक्ष्मी, भगवान विष्णु, वाद्य यंत्र और किताबें रखकर उन्हें भी धूप-दीप दिखा कर विधि विधान से पूजा करनी चाहिए.

  • इस दिन पूजास्थल पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की प्रतिमाएं स्थापित कर श्री सूक्त का पाठ करना बहुत शुभ और लाभकारी माना गया है.

बसंत पंचमी का मुहूर्त

पंचांगीय गणना काल के मुताबिक 5 फरवरी को प्रात: 6 बजकर 42 मिनट से पंचमी शुरू होगी. यह तिथि अगले दिन 6 फरवरी, शनिवार की सुबह 6.44 बजे तक रहेगी. इस दिन कला प्रेमी व छात्र-छात्राएं मां शारदे की आराधना करते हैं. इसको लेकर अपने घरों और सार्वजनिक स्थलों पर मां सरस्वती की मूर्ति स्थापित करते हैं तथा शुभ मुहूर्त में वैदिक विधि-विधान के साथ पूजा करते हैं.

देश में इन पांच स्थानों पर मां सरस्वती का मंदिर

  • श्री शरदम्बा मंदिर, श्रृंगेरी, कर्नाटक

  • दक्षिणा मूकाम्बिका मंदिर, एर्नाकुलम, केरल

  • वारंगल सरस्वती मंदिर, मेदक, तेलंगाना

  • ज्ञान सरस्वती मंदिर, बसर, तेलंगाना

  • श्री सरस्वतीक्षेत्रम, अनंतसागर, तेलंगाना

विद्या की प्राप्ति के लिए ये काम जरूर करें

बसंत पंचमी के दिन अबूझ मुहूर्त होता है. इसीलिए ऐसी मान्यता है कि इस दिन कोई भी शुभ कार्य बिना किसी मुहूर्त के किया जा सकता है. शास्त्रों में बताए गए नियम के अनुसार इस दिन कुछ खास कार्य करने से माता सरस्वती अत्यंत प्रसन्न होती हैं. ऐसी मान्यता है कि हमारी हथेलियों में मां सरस्वती का वास होता है. इसलिए बसंत पंचमी के दिन जगने के बाद सबसे पहले अपनी हथेलियां देखने से मां सरस्वती के दर्शन करने के बराबर फल की प्राप्ति होती है. माता सरस्वती की विशेष कृपा प्राप्त करने या यूं कहें कि विद्या और बुद्धि की प्राप्ति के लिए इस दिन ये काम जरूर करें.

बसंत पंचमी का मुहूर्त


पंचांगीय गणना काल के मुताबिक 5 फरवरी को प्रात: 6 बजकर 42 मिनट से पंचमी शुरू होगी. यह तिथि अगले दिन 6 फरवरी, शनिवार की सुबह 6.44 बजे तक रहेगी. इस दिन कला प्रेमी व छात्र-छात्राएं मां शारदे की आराधना करते हैं. इसको लेकर अपने घरों और सार्वजनिक स्थलों पर मां सरस्वती की मूर्ति स्थापित करते हैं तथा शुभ मुहूर्त में वैदिक विधि-विधान के साथ पूजा करते हैं.

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