व्हाट्सएप जासूसी कांड से यूजर्स हैरान, फर्जी अकाउंट बनाकर कई देशों से की गयी थी कॉलिंग
इस्राइली फर्म के स्पाइवेयर ‘पेगासस’ से सिर्फ एक मिस्ड कॉल के जरिये किसी भी मोबाइल डिवाइस की जासूसी की जा सकती है. यह स्पाइवेयर इतना खतरनाक है कि यह मोबाइल में मौजूद सबकुछ कुछ सेकेंड में ही सीज कर सकता है.
इस्राइल के इस मैलवेयर ने व्हाट्सएप के विडियो कॉलिंग फीचर के माध्यम से अटैक किया है. इसने करीब 1400 लोगों को निशाना बनाया है. पहली बार यह मामला मई में सामने आया था. मैलवेयर के सामने आने के बाद व्हाट्सएप ने 13 मई को तत्काल अपडेट की घोषणा की थी. मामले को लेकर कैलिफोर्निया के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में व्हाट्सएप ने पेगासस डेवेलप करने वाले फर्म एनएसओ ग्रुप के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी.
शिकायत से यह बात सामने आयी कि यह खतरनाक स्पाइवेयर किस हद तक डेटा कलेक्ट कर सकता है. एनएसओ पर आरोप लगाया गया है कि टारगेट यूजर्स में वकील, पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता, राजनीतिक असंतुष्ट, राजनयिक और अन्य वरिष्ठ विदेशी सरकारी अधिकारी शामिल थे. व्हाट्सएप ने आरोप लगाया है कि इस जासूसी कांड से उसे करीब 54 लाख रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है.
जांच में पाया गया कि जनवरी 2018 से मई 2019 के बीच एनएसओ ने व्हाट्सएप अकाउंट बनाये, जिनका उसने इस्तेमाल किया. अप्रैल और मई 2019 में टारगेटेड डिवाइस में मलिशस कोड भेजने के लिए इन अकाउंट का इस्तेमाल किया गया. अकाउंट बनाने के लिए कई देशों में रजिस्टर्ड नंबर का इस्तेमाल हुआ, जिनमें साइप्रस, इस्राइल, ब्राजील, इंडोनेशिया, स्वीडन और नीदरलैंड शामिल हैं.
पहली बार यह मामला मई में आया था सामने
हैकिंग की सूचना से सरकार चिंतित
नयी दिल्ली : सरकार इस बात को लेकर चिंता व्यक्त की है कि व्हाट्सएप के साथ जून से अब तक उसके साथ हुई कई दौर की बातचीत हुई पर कंपनी ने एक बार भी पेगासस हैकिंग घटना का उल्लेख नहीं किया. कहाकि हम नागरिकों की निजता की सुरक्षा को लेकर कार्रवाई करेंगे.
काफी खतरनाक है स्पाइवेयर
अकाउंट बनाने को कई देशों में रजिस्टर्ड नंबर का इस्तेमाल
व्हाट्सएप से होती थी विडियो कॉलिंग, बिना कॉल रिसीव किये फोन में आ जाता था स्पाइवेयर
स्काइप, वीचैट, मैसेंजर और व्हाट्सएप को करता था बाधित
सेंड और रिसीव किये गये मैसेज पर रखता था नजर
रिंग बजते ही जालसाज पीड़ित के फोन में स्पाइवेयर डालने के लिए उसके फोन में चुपके से मलिशस कोड ट्रांसमिट कर देते थे. कॉल का रिप्लाई देने की भी जरूरत नहीं पड़ती थी
