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जलपाईगुड़ी फॉरेस्ट डिवीजन के आठ रेंजों में 20 टीमें कर रही हैं निगरानी

जलपाईगुड़ी के विभिन्न वनांचलों में टीम के सदस्यों ने निगरानी शुरू कर दी मयनागुड़ी : पतझड़ के मौसम में जंगल में झड़े पत्तों में आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए वन विभाग ने फायर वॉचर टीमें गठित की हैं. जलपाईगुड़ी के विभिन्न वनांचलों में टीम के सदस्यों ने निगरानी शुरू कर दी है. […]

जलपाईगुड़ी के विभिन्न वनांचलों में टीम के सदस्यों ने निगरानी शुरू कर दी
मयनागुड़ी : पतझड़ के मौसम में जंगल में झड़े पत्तों में आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए वन विभाग ने फायर वॉचर टीमें गठित की हैं. जलपाईगुड़ी के विभिन्न वनांचलों में टीम के सदस्यों ने निगरानी शुरू कर दी है. जलपाईगुड़ी वन डिवीजन अतंर्गत आठ रेंजो के लिए 20 टीमें गठित की गयी हैं. एक टीम में पांच से छह लोग हैं. टीम सदस्य दिन-रात अपने काम में लगे हैं.
हर साल फरवरी व मार्च महीनें में जंगल में पतझड़ शुरू हो जाता है. उस समय झड़ी हुई सूखी पत्तियों में आग लगने से यह आग पूरे जंगल में फैलने लगती है. कई बार वनबस्ती वासियों द्वारा भी जानबूझ कर आग लगा दी जाती है.
कई बार राहगीरों द्वारा जलती सिगरेट-बीड़ी फेंकने से भी आग लगती है. बीते साल लाटागुड़ी जंगल में आग लगने से जंगल के विशाल इलाके में बड़े-बड़े कीमती पेड़ जलने से काफी नुकसान हुआ. पेड़-पौधों के साथ ही जंगली पशुओं व कई प्रकार के कीट-पतंगा आदि के जल जाने से जैव-विविधता को नुकसान पहुंचता है.
जानकारी मिली है कि जलपाईगुड़ी वन विभाग अतंर्गत लाटागुड़ी, मराघाट, दलगांव, चालसा, डायना, बानरहाट व नाथुआ ये पांच रेंज है. इन जंगलों में अगलगी की रोकथाम के लिए वन विभाग पहले से तत्पर हो गया. जलपाईगुड़ी वन डिवीजन के डीएफओ मृदुल कुमार ने बताया कि 20 टीमें दिन-रात जंगल के विभिन्न इलाकों की निगरानी कर रही हैं. कहीं पर आग लगने की घटना दिखते ही उसे टीम सदस्य तुरंत बुझा देंगे. जरूरत पड़ने पर दमकल को बुलाया जायेगा.

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