शिक्षा सचिव के साथ बैठक में नहीं मिला कोई आश्वासन, प्रदर्शनकारियों ने फिर से परीक्षा नहीं देने का लिया संकल्प
संवाददाता, कोलकातासुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नौकरी गंवाने वाले आंदोलनकारी शिक्षकों ने अब नयी दिल्ली में आंदोलन की चेतावनी दी है. सोमवार को विकास भवन में शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक के आंदोलनकारी शिक्षकों ने संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी. आंदोलनकारियों की ओर से हबीबुल्लाह ने कहा कि सोमवार को हम कई मांगों को लेकर शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव व सचिव के पास गये थे. कुछ बातों पर सहमति होने के बावजूद राज्य सरकार ने हमारी सभी मांगों को पूरा करने के संबंध में कोई आश्वासन नहीं दिया. इसलिए हमने निर्णय लिया है कि अब हम अपनी मांगों को लेकर दिल्ली में आंदोलन करेंगे. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बेरोजगार हुए शिक्षकों के छह प्रतिनिधियों ने सोमवार को शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव विनोद कुमार व सचिव शुभ्र चटर्जी के साथ लगभग डेढ़ घंटे तक बैठक की. आंदोलनकारी शिक्षकों ने कहा कि वे बाकी प्रदर्शनकारियों से बात किये बिना वार्ता के बारे में कुछ नहीं कहेंगे. इसके बाद उन लोगों ने आपस में बैठक की और फिर सोमवार शाम को संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि अब उनका आंदोलन दिल्ली की ओर बढ़ेगा. यह बंगाल तक सीमित नहीं रहेगा. उन्होंने कहा कि राज्य के शिक्षा विभाग के अधिकारियों के भ्रष्टाचार के कारण हमारी नौकरियां रद्द की गयीं. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने हमारा पक्ष नहीं देखा, हमारे साथ उचित व्यवहार नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि नयी दिल्ली में हमारा आंदोलन किस प्रकार का होगा, इसकी घोषणा जल्द ही की जायेगी. उन्होंने बताया कि शिक्षा सचिव ने उन्हें बताया कि राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की गयी है, हालांकि अब तक सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया है. एक अन्य बेरोजगार शिक्षक आर आलम ने कहा कि हम शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री से मिलना चाहते थे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. क्योंकि हम भी जानते हैं कि सचिव हमारे सभी सवालों का जवाब नहीं दे सकते और ऐसा ही हुआ. हमें हमारे सभी सवालों के जवाब नहीं मिले. आंदोलनकारी शिक्षकों ने एक बार स्पष्ट कर दिया है कि वे किसी भी हालत में परीक्षा में नहीं बैठेंगे.यह पूछे जाने पर कि क्या बातचीत को ‘सकारात्मक’ कहा जा सकता है, मंच के सदस्य चिन्मय मंडल ने कहा, ‘हम ऐसा नहीं कह सकते. चर्चा के दौरान कई मुद्दे सामने आये. सरकार ने अपने विचार व्यक्त किये और स्पष्ट किया कि वह वर्तमान स्थिति में क्या कर सकती है और क्या नहीं. उन्होंने कहा, ‘हम आपस में चर्चा करेंगे और फिर जल्द ही अपनी आधिकारिक प्रतिक्रिया देंगे. तब तक हम कुछ नहीं कह सकते. प्रदर्शनकारी शिक्षक विकास भवन के पास कई दिनों से धरना दे रहे हैं. और मांग कर रहे हैं कि उन्हें बहाल किया जाये. उन्होंने शीर्ष अदालत के आदेश के अनुसार नयी भर्ती परीक्षा में भाग लेने से भी इनकार कर दिया.
नियुक्ति की अधिसूचना प्रकाशित न करने का अनुरोध
आंदोलनकारी शिक्षकों ने शिक्षा सचिव से नये सिरे से नियुक्ति की अधिसूचना अभी प्रकाशित नहीं करने की मांग की. हालांकि, शिक्षा सचिव ने स्पष्ट कर दिया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन हमें करना होगा, इसलिए हम इसे नहीं रोक सकते.आंदोलनकारी शिक्षकों ने कहा कि पुनर्विचार के लिए जो अनुरोध किया गया है, उस पर जरूर सुनवाई होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट से ऐसा फैसला आना चाहिए था कि जिससे योग्य शिक्षकों की नौकरियां नहीं जानी चाहिए थी. शीर्ष अदालत के फैसले से एक मिसाल कायम होनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. उन्होंने सवाल किया कि क्या भविष्य में किसी भी पैनल में 2-3 प्रतिशत भी भ्रष्टाचार हुआ तो पूरा पैनल अयोग्य हो जायेगा?
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