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सरकारी अस्पतालों की सुरक्षा मजबूत हो : चिकित्सक संघ

राज्य के सरकारी अस्पतालों में महिला चिकित्सकों, नर्सों, छात्राओं और यहां तक कि मरीजों के साथ हो रही दुष्कर्म की घटनाओं ने स्वास्थ्य विभाग और सरकार की चिंता बढ़ा दी है.

राज्य सरकार की व्यवस्था से संतुष्ट नहीं है चिकित्सक संघ

संवाददाता, कोलकाता

राज्य के सरकारी अस्पतालों में महिला चिकित्सकों, नर्सों, छात्राओं और यहां तक कि मरीजों के साथ हो रही दुष्कर्म की घटनाओं ने स्वास्थ्य विभाग और सरकार की चिंता बढ़ा दी है. इसी पृष्ठभूमि में शनिवार को मुख्य सचिव ने राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्यों और अस्पताल प्रबंधन के साथ बैठक की, जिसमें अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था को और सुदृढ़ करने पर जोर दिया गया.

हालांकि, बैठक से चिकित्सक संघ संतुष्ट नहीं दिखे. सरकारी चिकित्सकों के संगठन सर्विस डॉक्टर फोरम (एसडीएफ) के महासचिव डॉ सजल विश्वास ने बैठक के बाद प्रेस विज्ञप्ति जारी कर अपनी नाराजगी व्यक्त की.

उन्होंने कहा कि राज्यभर के अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में लगातार दुष्कर्म और उत्पीड़न की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिनमें डॉक्टरों से लेकर स्वास्थ्यकर्मियों और यहां तक कि नाबालिग मरीज भी सुरक्षित नहीं हैं. कई मामलों में सत्ताधारी दल के नेताओं, कार्यकर्ताओं और सुरक्षा गार्डों के नाम सामने आ रहे हैं- यानी रक्षक ही भक्षक बन गये हैं.

डॉ विश्वास ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री इन घटनाओं की जिम्मेदारी आउटसोर्सिंग एजेंसियों पर डाल रही हैं, जबकि इन्हीं एजेंसियों को अस्पतालों की सुरक्षा, सफाई, दवा और आहार जैसी महत्वपूर्ण सेवाएं पीपीपी मोड में सौंप दी गयी हैं. उन्होंने कहा : सरकार ने अस्पताल सेवाओं का निजीकरण कर दिया है. इससे न केवल प्रशासनिक नियंत्रण समाप्त हो रहा है, बल्कि आम लोग अपने स्वास्थ्य के अधिकार से भी वंचित हो रहे हैं.

सर्विस डॉक्टर फोरम ने सरकार से मांग की है कि आउटसोर्सिंग एजेंसियों पर कड़ा नियंत्रण रखा जाये, क्योंकि इनके संचालन में सत्ताधारी दल के नेताओं की भूमिका बतायी जा रही है.

बैठक से पहले मुख्य सचिव को किया ईमेल :

बैठक से पहले एसोसिएशन ऑफ हेल्थ सर्विस डॉक्टर्स (एएचएसडी) ने मुख्य सचिव को ईमेल भेजकर अनुरोध किया था कि अस्पतालों की सुरक्षा, संरक्षा और बुनियादी ढांचे से संबंधित उनके प्रस्तावों पर बैठक में गंभीरता से विचार किया जाये. पत्र में कहा गया कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों और राष्ट्रीय कार्यबल की सिफारिशों के अनुरूप राज्य सरकार ने कई अधिसूचनाएं जारी की हैं, लेकिन उनका जमीनी क्रियान्वयन अभी तक प्रभावी नहीं है. चिकित्सक संघ ने सुझाव दिया कि उनके प्रस्तावों को शामिल करने से राज्यभर में अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था और कार्य वातावरण में ठोस सुधार हो सकता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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