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बंगाल में फिर शुरू करना होगा मनरेगा योजना का काम : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाइकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ केंद्र की याचिका सोमवार को खारिज कर दी, जिसमें 100 दिन की रोजगार गारंटी योजना ‘मनरेगा’ को पश्चिम बंगाल में एक अगस्त 2025 से लागू करने का निर्देश दिया गया था.

शीर्ष अदालत ने केंद्र की याचिका खारिज की

संवाददाता, कोलकाता

सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाइकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ केंद्र की याचिका सोमवार को खारिज कर दी, जिसमें 100 दिन की रोजगार गारंटी योजना ‘मनरेगा’ को पश्चिम बंगाल में एक अगस्त 2025 से लागू करने का निर्देश दिया गया था.

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने उच्च न्यायालय के 18 जून के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने गबन के आरोपों के कारण राज्य में इस योजना को 2022 से रोक दिया है और इस योजना के लिए फंड का आवंटन भी बंद कर दिया है. हाइकोर्ट ने मनरेगा योजना के तहत दिहाड़ी मजदूरों को बकाया भुगतान न करने के मामले में आदेश पारित किया था. हाइकोर्ट ने कहा था कि भुगतान में अनियमितताएं इस योजना को हमेशा के लिए रोकने का आधार नहीं हो सकतीं. केंद्र को गबन के आरोपों की जांच जारी रखने की अनुमति देते हुए हाइकोर्ट ने उसे एक अगस्त, 2025 से इसे फिर से शुरू करने का निर्देश दिया था. हाइकोर्ट ने अपने निर्देश में कहा था कि इस अधिनियम की योजना ऐसी स्थिति की परिकल्पना नहीं करती, जहां इसे हमेशा के लिए ठंडे बस्ते में डाल दिया जाये. केंद्र सरकार के पास वेतन वितरण में अनियमितता की जांच करने के लिए पर्याप्त साधन हैं. हालांकि, पिछले कार्यों और कार्यान्वयन के लिए भविष्य में उठाये जाने वाले कदमों के बीच रेखा खींची जा सकती है. इस न्यायालय की राय में यह जनहित में होगा और उस हित को पूरा करेगा, जिसके लिए यह अधिनियम बनाया गया था. इसलिए केंद्र सरकार को अपनी जांच जारी रखने की अनुमति देते हुए यह न्यायालय निर्देश देता है कि इस योजना को एक अगस्त, 2025 से लागू किया जाये.

गौरतलब है कि योजना के क्रियान्वयन में गड़बड़ी के आरोपों की जांच के लिए केंद्र सरकार की टीम यहां जांच के लिए पहुंची थी. उन्होंने चार जिलों – हुगली, पूर्व बर्दवान, मालदा और दार्जिलिंग में 50 करोड़ रुपये से अधिक के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. 2024 में, पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के सचिव ने एक हलफनामे में कहा कि केंद्रीय टीम ने 100 दिन के काम में 613 करोड़ रुपये की अनियमितता पायी थी. तब भी अदालत ने सवाल उठाया था कि क्या इन चार जिलों को छोड़कर बाकी राज्य में 100 दिन का काम शुरू किया जा सकता है. लेकिन केंद्र सरकार ने हाइकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे शीर्ष अदालत ने सोमवार को खारिज कर दिया.

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