शहरभर में लगे थे ””सुस्वागतम पूर्णम साव”” लिखे बैनर-पोस्टर
पत्नी बोलीं- आज वह मेरे सामने हैं, इससे बड़ा कोई त्योहार नहीं हो सकता
प्रतिनिधि, हुगली
बीएसएफ कांस्टेबल पूर्णम कुमार साव के शुक्रवार को अपने घर ‘साव सदन’ लौटते ही पूरे रिसड़ा शहर में दिवाली और होली-सा जश्न छा गया. 21 दिनों तक पाकिस्तान की हिरासत में रहने के बाद उनकी वतन वापसी ने न केवल उनके परिवार को, बल्कि पूरे क्षेत्रवासियों को खुशी और राहत दी है. घर की दीवारें सफेद और हरे रंग की रोशनी से जगमगा उठी हैं और केक व मिठाइयों की खुशबू से माहौल और भी मीठा हो गया है. बता दें कि 10 मई को पाकिस्तान ने पूर्णम को सुबह 10:30 बजे अटारी-वाघा बॉर्डर पर भारत को सौंप दिया. जैसे ही वह देश की मिट्टी पर लौटे,
उन्होंने सबसे पहले वीडियो कॉल के जरिए अपनी पत्नी रजनी से बात की. हालांकि, प्रोटोकॉल के तहत उन्हें तुरंत घर लौटने की अनुमति नहीं मिली और स्वास्थ्य परीक्षण के बाद ही उन्हें रिसड़ा आने की इजाजत मिली. शुक्रवार को जब वह अपने घर पहुंचे, तो ‘साव सदन’ को एलइडी ट्यूनिंग बल्बों से सजाया गया था और घर में शुद्ध शाकाहारी व्यंजनों का स्वादिष्ट आयोजन हुआ. पत्नी रजनी ने स्वयं स्वागत के लिए व्यंजन बनाये. पिता भोलानाथ साव, मां देवंती देवी सहित परिवार के सभी सदस्य गले लगकर खुशी से रो पड़े. रिसड़ा नगर पालिका के चेयरमैन विजय सागर मिश्रा की ओर से शहरभर में ‘सुस्वागतम पूर्णम साव’ लिखे बैनर-पोस्टर लगाये गये थे. हावड़ा स्टेशन में ट्रेन से उतरने पर चेयरमैन ने ही सर्वप्रथम उनका अभिनंदन किया और उन्हें कार से घर लाने की व्यवस्था की. पूर्णम के घर लौटने की खबर सुनकर दुर्गापुर और आसनसोल से भी रिश्तेदार पहुंचे. पत्नी रजनी ने भावुक स्वर में कहा : हर दिन भगवान से यही प्रार्थना करती थी कि मेरे पति सुरक्षित लौट आयें. आज वह मेरे सामने हैं, इससे बड़ा कोई त्योहार नहीं हो सकता है. पूर्णम की वापसी ने यह साबित कर दिया कि देश अपने सपूतों को किसी भी हाल में सुरक्षित वापस लाने का संकल्प रखता है. आज रिसड़ा के नागरिक गर्व से कह रहे हैं- वह लौटा है, क्योंकि वह भारत का वीर सपूत है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है