कोलकाता. भारत व पाकिस्तान के बीच रिश्ते सुधर सकते हैं अगर दोनों देशों के बीच संवाद निरंतर जारी हो. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी भी समस्या के समाधान के लिए दोनों देशों के बीच डायलॉग बहुत जरूरी है. उक्त बातें शुक्रवार को एक कार्यक्रम में कोलकाता में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के काैंसुलेट जनरल मा जुवानु […]
कोलकाता. भारत व पाकिस्तान के बीच रिश्ते सुधर सकते हैं अगर दोनों देशों के बीच संवाद निरंतर जारी हो. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी भी समस्या के समाधान के लिए दोनों देशों के बीच डायलॉग बहुत जरूरी है.
उक्त बातें शुक्रवार को एक कार्यक्रम में कोलकाता में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के काैंसुलेट जनरल मा जुवानु ने कहीं. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के लेह इलाके में चीन के सैन्य दल ने घुसपैठ नहीं की थी. चीन के डिप्लोमेट ने सफाई दी कि हमें नहीं लगता है कि चीन की फाैज भारत की सीमा में घुसेगी. भारत-पाकिस्तान के मतभेदों के बीच बीजिंग निष्पक्ष है. भारत व पाकिस्तान के बीच वर्तमान में जो भी मतभेद व विवाद चल रहा है, इस स्थिति में चीन हमेशा निष्पक्ष रहा है. हमको उम्मीद है कि दोनों देश विचार-विमर्श कर इस समस्या का समाधान निकाल सकते हैं. काैंसुलेट जनरल ने कहा कि भारत के साथ चीन के करार पर भी असर पड़ा है. भारत न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में प्रवेश करना चाहता है, लेकिन अभी इस पर विवाद चल रहा है. चीन ने भारत की उस अपील को भी ब्लॉक किया है, जिसमें भारत ने कहा है कि यूएन पाकिस्तान को आतंकी गतिविधियों के केंद्र के रूप में चिन्हित करे.
पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (इन कोलकाता) व नालंदा यूनिवर्सिटी के सहयोग से सात नवंबर को आयोजित सेमिनार की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि सेमिनार में चीन-भारत फ्रेंडली एक्सचेंज्स, भारत-चीन के एक साथ काम करने व दोनों के बीच बेहतर संबंध बनाये रखने के मुद्दे पर विचार-विमर्श किया जायेगा. सेमिनार में वक्ता के रूप में विश्व की विभिन्न यूनिवर्सिटियों के विशेषज्ञ भाग लेंगे.
उनका कहना है कि चीनी तीर्थयात्री हीयून तिसैंग सातवीं शताब्दी में भारत आये थे. उन्होंने देश के कई हिस्सों में यात्रा की आैर बुद्धिस्ट धर्मग्रंथ पर रिसर्च किया. स्थानीय लोगों से उनके अच्छे संपर्क थे. उनकी किताब-बुद्धिस्ट रिकार्ड्स ऑफ द वेस्टर्न वर्ल्ड ने कई भारतीय अवशेषों को खोजने में मदद की. चीन में बुद्धिस्ट धर्मग्रंथ पर उनके अनुवाद से चीन व विश्व पर काफी गहरा असर पड़ा था. इस नजरिये से उनका नाम चीन व भारत की टेक्सटबुक में लिखा गया है. इस सेमिनार में हियून तिसैंग के कार्य व भारत-पाकिस्तान को करीब लाने की उनकी सराहनीय कोशिश पर बातचीत की जायेगी.