कृष्णा बोस ने इस किताब को ‘‘ए ट्रू लव स्टोरी : एमिली एंड सुभाष’ नाम दिया है. उन्होंने भाषा से कहा : हालांकि हम दोनों (कृष्णा और एमिली) की उम्र में 20 साल का अंतराल था, लेकिन हम लोगों के बीच सौहार्द्रपूर्ण संबंध थे. हम दोनों का जन्मदिन एक ही है. इस किताब में मैंने एमिली और नेताजी के बीच प्रेम का जिक्र किया है. उन्होंने अपनी किताब में लिखा है, ‘‘ दोनों की मुलाकात जून 1934 में विएना में हुई, दिसंबर 1937 में आस्ट्रिया के साय्जबर्ग प्रांत के एक स्पा रिसार्ट बडगास्टीन में उन्होंने चुपचाप शादी कर ली, और अपनी बेटी अनीता के जन्म के दो महीने बाद फरवरी, 1943 में आखिरी बार एक दूसरे से मिले.
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महानिष्क्रमण दिवस : गांधीजी अगर राष्ट्रपिता तो नेताजी ”राष्ट्रनेता” : ममता बनर्जी
कोलकाता : महात्मा गांधी ने देश को आजादी दिलाने के लिए अहिंसा का रास्ता अपनाया था, उसी प्रकार नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आजादी के लिए ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ का नारा दिया था. अगर महात्मा गांधी को देश का राष्ट्रपिता कहा जाता है तो नेताजी को भी देश का राष्ट्रनेता […]
कोलकाता : महात्मा गांधी ने देश को आजादी दिलाने के लिए अहिंसा का रास्ता अपनाया था, उसी प्रकार नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आजादी के लिए ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ का नारा दिया था. अगर महात्मा गांधी को देश का राष्ट्रपिता कहा जाता है तो नेताजी को भी देश का राष्ट्रनेता कहा जाना चाहिए. यह हमारे लिए काफी शर्म की बात है कि हम नेताजी के जयंती दिवस तो मनाते हैं, लेकिन उनकी मृत्यु के बारे में किसी के पास कोई सठीक जानकारी नहीं है. आज उनके निष्क्रमण के 75 वर्ष पूरे हो गये, लेकिन आज भी नेताजी का लापता होना रहस्य बना हुआ है.
यह बातें शुक्रवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नेताजी भवन में नेताजी रिसर्च ब्यूरो द्वारा आयोजित महानिष्क्रमण दिवस के मौके पर कही. उन्होंने कहा कि नेताजी के रहस्य को लोगों तक पहुंचाने के लिए तृणमूल कांग्रेस की सरकार ने पहल शुरू की है और इतने वर्षों बाद फाइल सार्वजनिक किये गये हैं. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि नेताजी की मृत्यु जापान में हुए विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी, क्योंकि राज्य सरकार के पास जो दस्तावेज मिले हैं, उसे देखने के बाद यह पता चला है कि 1945 क्या, आजादी के बाद भी नेताजी भवन की निगरानी रखी जाती थी. अगर वह वास्तव में मर गये होते तो ऐसा नहीं होता.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने अब इस संबंध में केंद्र सरकार को कैफियत देने काे कहा है. वहीं, राज्य सरकार ने यहां के सूचना व संस्कृति विभाग, शिक्षा विभाग व इतिहासविदों को लेकर कमेटी का गठन करेगी, जो अगले एक वर्ष तक नेताजी के रहस्य को लोगों के सामने लायेगी. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मौके पर महानिष्क्रमण के पहले उन्हें अंतिम बार देखने वाले नेताजी के भतीजे शिशिर कुमार बोस द्वारा लिखे गये पुस्तक का लोकार्पण किया. इस मौके पर शिशिर बोस के पुत्र व सांसद सुगत बोस, रिश्तेदार सुमंत्र बोस व कृष्णा बोस सहित अन्य उपस्थित रहे.
महानिष्क्रमण पथ बनायेगी राज्य सरकार : ममता
कोलकाता. 16 जनवरी 1941 को नेताजी सुभाष चंद्र बाेस महानगर के जिन रास्तों से महानिष्क्रमण हुए थे, उन रास्तों के बारे में लोगों को जानकारी देने के लिए राज्य सरकार ने महानिष्क्रमण पथ बनायेगी. नेताजी सुभाष चंद्र बोस जब अपने घर से निकले थे, तो उनके साथ उनका भतीजा शिशिर कुमार बोस थे. वह अपनी वाहन से महानगर की विभिन्न सड़कों से होते हुए उनको गोमो स्टेशन पर छोड़ा था. इस मौके पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा इसका एक नक्शा बनाया जायेगा, जिससे लोगों को उनके महानिष्क्रमण के रूट की जानकारी मिल जायेगी. गौरतलब है कि सुभाष चंद्र बोस ने 16 जनवरी की रात को गोमो स्टेशन से हावड़ा-दिल्ली कालका मेल पकड़ी थी और तब से उनका कोई पता नहीं चला है.
नेताजी और उनकी पत्नी के प्रेम संबंधों पर जारी होंगी पुस्तकें
कोलकाता. नेताजी सुभाष चंद्र बोस की एक रिश्तेदार और पूर्व सांसद कृष्णा बोस ने नेताजी और उनकी पत्नी एमिली शेंंकल के संबंधों पर एक किताब लिखी है जिसमें एक राष्ट्रीय नायक और एक विदेशी महिला के बीच के प्रेम संबंधों, उनके मिलने की कहानी के अलावा इसका भी जिक्र है कि जब वे एक दूसरे से दूर होते थे तो किस प्रकार पत्रों के माध्यम से संपर्क रखते थे.
1934 से, जब कभी भी एक दूसरे से अलग होते, सुभाष और एमिली के बीच लगातार पत्रों के जरिए संपर्क बना रहता. उन्होंने इस किताब में लिखा है कि विएना के एक मध्यवर्गीय आस्ट्रियन परिवार में 1910 में पैदा हुई. एमिली शेंकल ने जीवनभर अपने पति नेताजी की यादों को संजोए रखा. उनका 1996 में निधन हुआ और उनका भारत से गहरा लगाव था. किताब में 48 तस्वीरें भी प्रकाशित की गयी हैं जो उनके पारिवारिक अलबम से ली गयी हैं. कृष्णा ने कहा कि एमिली ने अकेले ही अपनी बेटी का पालन पोषण किया, अपना तथा बेटी का भरण पोषण करने के लिए काम किया. उन्होंने कहा कि वह काफी आत्मनिर्भर महिला थीं और चर्चा से दूर रहती थीं. एमिली ने एक गरिमामय और साहसपूर्ण जीवन जिया.
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