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2016 के अंत तक महानगर में ई-रिक्शा
सिर्फ उत्तर व मध्य कोलकाता की छोटी गलियों में ही चलेगी ई-रिक्शा हाथ-रिक्शा का विकल्प बनाने की योजना कोलकाता : राज्य के विभिन्न जिलों के बाद अब महानगर में भी ई-रिक्शा चलेंगे. 2016 के अंत तक राज्य सरकार इस योजना को यहां शुरू करना चाहती है, लेकिन इन ई-रिक्शाओं को बड़े रास्तों पर चलने की […]
सिर्फ उत्तर व मध्य कोलकाता की छोटी गलियों में ही चलेगी ई-रिक्शा
हाथ-रिक्शा का विकल्प बनाने की योजना
कोलकाता : राज्य के विभिन्न जिलों के बाद अब महानगर में भी ई-रिक्शा चलेंगे. 2016 के अंत तक राज्य सरकार इस योजना को यहां शुरू करना चाहती है, लेकिन इन ई-रिक्शाओं को बड़े रास्तों पर चलने की अनुमति नहीं होगी. यह सिर्फ उत्तर व मध्य कोलकाता की छोटी गलियों में ही चलेंगी.
गौरतलब है कि लगभग एक वर्ष पहले हाथ रिक्शा मालिक व चालकों ने पुनर्वास की मांग की थी और इसके बाद ही मुख्यमंत्री ने राज्य के मुख्य सचिव संजय मित्रा व परिवहन सचिव अलापन बंद्योपाध्याय को इनके पुनर्वासन के लिए विशेष पैकेज बनाने का निर्देश दिया था. अब यह पैकेज बनाने का काम अब अंतिम चरण में है और विधानसभा चुनाव के पहले राज्य सरकार इसकी घोषणा करना चाहती है.
नबान्न सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, विधानसभा चुनाव के पहले महानगर में ई-रिक्शा को उतारना संभव ना हो, लेेकिन इसके लिए पैकेज की घोषणा चुनाव के पहले ही कर दिया जायेगा. पुनर्वासन पैकेज क्या होगा, इसे लेकर असमंजस है.
गौरतलब है कि महानगर में अधिकतर हिंदीभाषी व मुसलिम समुदाय के लोग हाथ-रिक्शा रोजगार से जुड़े हुए हैं, इसलिए चुनाव के पहले उनको आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार यह पैकेज पेश करना चाहती है.
गौरतलब है कि 2006 में वाममोरचा के कार्यकाल के दौरान हैकने कैरेज कानून से हाथ-रिक्शा को बाहर कर दिया गया था और इसके बाद रिक्शा के रजिस्ट्रेशन व चालकों के लाइसेंस को भी रद्द कर दिया गया. इसके बाद ही कोलकाता में हाथ-रिक्शा अवैध हो गया.
इस संबंध में परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ई-रिक्शा शुरू होने के बाद यह हाथ-रिक्शा का सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है. वर्तमान समय में केंद्र सरकार के परामर्श पर ई-रिक्शा को मोटर ह्वीकल्स कानून के दायरे में लाया गया है.
इसलिए हाथ-रिक्शा का पुनर्वास ई-रिक्शा के माध्यम से किया ही जा सकता है. हालांकि इसके लिए राज्य सरकार कितना सहायता राशि देगी, यह अभी कह पाना संभव नहीं है. वित्त विभाग द्वारा रिपोर्ट मिलने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस संबंध में अंतिम फैसला लेंगी.
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