कोलकाता. हिंदी इस देश की मनीषा है. हिंदी जानने वालों की कमी नहीं है बल्कि अपनाने वालों की कमी है. अगर हम छोटे -छोटे काम भी हिंदी में करे तो हिंदी अपने आप पनपने लगेगी. ये बातें प्रतिष्ठित कवि डॉ. शेरजंग गर्ग ने आज कुमारसभा पुस्तकालय कक्ष में श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय द्वारा आयोजित हिंदी दिवस समारोह में कार्यक्रम में अध्यक्ष के रुप में कही.प्रधान अतिथि व विशिष्ट रचनाकार डॉ.करुणा पाण्डेय ने कहा कि हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं, संस्कार है. भाषा विरोध नहीं , ब्लकि जोड़ने के लिए होती है.
मुख्य वक्ता व लोकप्रिय कवि डॉ राहुल अवस्थी ने अपनी कविता में हिंदी का बखान कुछ इस तरह से किया. हिंदी को सबमें खपने दो, हिंदी में सबको खपने दो।। हिंदी को अपनी आंखें दो, हिंदी को अपने सपने दो।। हिंदी को भीषण संघर्षों की , ज्वालाओं में तपने दो, हिंदी कठजीवी है, इसको अपने आप पनपने दो।। प्रख्यात गायक ओमप्रकाश मिश्र ने दस विशिष्ट रचनाकारों के गीत-गजलों की भावपूर्ण संगीतात्मक प्रस्तुति देकर सबको मंत्र मुग्ध कर दिया. कार्यक्रम का संचालन कुमारसभा के अध्यक्ष डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने व धन्यवाद ज्ञापन पुस्तकालय के मार्गदर्शक जुगलकिशोर जैथलिया ने किया. विशिष्ट अतिथि के रुप में आयकर विभाग के आयुक्त अनिल पाण्डेय व प्रसिद्ध रंगकर्मी विमल लाठ मंचासीन थे.
डॉ श्रीनिवास शर्मा, डॉ.अर्चना पाण्डेय, सत्यप्रकाश राय, महीवार बजाज, योगेशराज उपाध्याय ने अतिथियों का स्वागत किया. मोहनलाल पारीक, अरुण प्रकाश मल्लावत, सत्येंद्र सिंह अटल, भंवरलाल मूंधड़ा, बंशीधर शर्मा, गििरधर राय कार्यक्रम की सफलता के लिए सक्रिय रहे.उधर, रविवार को उत्तर 24 परगना जिले के कांचरापाड़ा स्थित जनता हाइ स्कूल में सूत्रधार की ओर से आयोजित कवि गोष्ठी में कवि डॉ राहुल अवस्थी ने देश की विसंगतियों पर कटाक्ष किया. साथ ही बंगाल की कला की प्रशंसा करते हुए यहीं से फिर पुनर्जागरण होने का विश्वास भी जताया.