केंद्रीय बजट की आलोचना
कोलकाता : पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने एक बार फिर बजट पर अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ बागी तेवर अपनाते हुए बजट की आलोचना की. यह पूछे जाने पर कि उन्हें पार्टी व सरकार से इतनी ही शिकायत है, तो वह भाजपा छोड़ क्यों नहीं देते. इसपर श्री सिन्हा का कहना था कि वह पार्टी नहीं छोड़ेंगे. पार्टी उनकी भी है. पार्टी को उन्होंने भी ने अपना खून-पसीना दिया है. काफी लड़ाइयां लड़ी हैं. पार्टी को लगता है कि वह उसके खिलाफ काम कर रहे हैं, तो उन्हें चाहे तो आलाकमान निकाल सकता है. भाजपा ने सत्ता में आने से पहले जो वादे किये थे, अगर उन्हें पूरा नहीं किया जाता, तो वह जरूर आवाज उठायेंगे.
श्री सिन्हा ने कहा कि वर्ष 2016 के दिसंबर में उन्होंने प्रधानमंत्री को फोन किया था और मिलने के लिए वक्त मांगा था. आज तक उन्हें वह वक्त नहीं मिला है. मुलाकात के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री को कई चिट्ठियां भी लिखीं, लेकिन उन्हें उसकी पावती तक नहीं मिली. तो इसका अर्थ वह क्या निकालें? पार्टी में बगावत के सुर पर आलाकमान की सफाई कि पार्टी में लोकतंत्र है, पर श्री सिन्हा ने माना कि भाजपा में लोकतंत्र है. तभी पार्टी में रहकर वह अपनी बात सामने रख पा रहे हैं.
हालांकि विभिन्न मुद्दों पर आंदोलन करने के लिए उनके द्वारा लॉन्च किये गये, ‘राष्ट्र मंच’ के संबंध में उन्होंने कहा कि इस मंच में राजनीतिक दलों के नेताओं से लेकर किसान तक शामिल हैं. इसे वह आगे लेकर जायेंगे.
कलकत्ता चेंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से आयोजित आम बजट पर परिचर्चा में पहुंचे श्री सिन्हा ने बजट की आलोचना करते हुए कहा कि विभिन्न योजनाओं के लिए पैसा कहां से आयेगा इसका उल्लेख नहीं है. इसके लिए कस्टम ड्यूटी को बढ़ाया जाना, अर्थव्यवस्था के लिए सही नहीं है. यह 30 वर्ष पहले की सोच है. जीएसटी के संबंध में उनका कहना था कि पूरी तैयारी के लिए बिना इसे उतारा गया. रोजाना ही वस्तुओं के कर स्लैब में बदलाव किया जा रहा है.
मौके पर तृणमूल सांसद व पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि यह आम बजट देश को गुमराह करने वाला और जुमलों का बजट है. मध्यम वर्ग ठगा हुआ महसूस कर रहा है. मौके पर पुलक साहा व अन्य भी उपस्थित थे.