कोलकाता. पश्चिम बंगाल में बाढ़ से 10 जिलों में जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है, जबकि इनमें से पांच जिले में बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. पश्चिम बंगाल की बाढ़ की परिस्थिति पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि इस बार का बाढ़ वर्ष 1978 में आये बाढ़ से भी अधिक भयावह है.
उस समय तो इतने बांध नहीं थे, लेकिन हमारी सरकार सत्ता में आने के बाद कई नये बांध बनाये हैं और इतने बांध बनने के बाद भी जिस प्रकार से बाढ़ आयी है, यह वास्तव में चिंता जनक है. उन्होंने एक बार फिर कहा कि यह मैन मेड फ्लड है और जिसकी वजह से राज्य के लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री सुब्रत मुखर्जी को प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने का निर्देश दिया है.
गौरतलब है कि पश्चिम मेदिनीपुर के घाटाल में शिलावती नदी पर बने बांध के टूट जाने से दो गांवों में पानी घुस गया, जिससे वहां के मकानों में करीब 65 लोग फंस गए। जिलाधिकारी से इसकी सूचना मिलते ही राज्य के गृह सचिव अत्रि भट्टाचार्य ने नवान्न में जरूरी बैठक की, जिसमें फंसे लोगों के बचाव के लिए वायुसेना से मदद मांगने का फैसला किया गया. राज्य सरकार के अनुरोध पर बैरकपुर में स्थित वायुसेना की छावनी से ‘एमआइ17वी5Ó हेलीकाप्टर ने घाटाल के लिए उड़ान भरी और वहां पानी में फंसे लोगों को निकालने के ऑपरेशन में जुट गया.
वायुसेना के हेलीकाप्टर से कोलकाता पुलिस की एक टीम भी गई है. शुक्रवार को पश्चिम मेदिनीपुर के घाटाल के प्रतापपुर गांव में बाढ़ का पानी घुस गया, यहां लोगों को बचाने के लिए हैलीकैप्टर की मदद ली गयी. हैलीकैप्टर की मदद के बावजूद कोई खास फायदा नहीं हुआ. अभी भी वहां 86 लोग फंसे हुए हैं, जिनके बचाव कार्य के लिए शनिवार को एक फिर से अभियान शुरू होगा.
राज्य सचिवालय से मिली जानकारी के अनुसार, बाढ़ की वजह से अब तक राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में 28 लोगों की मौत हुई है, इनमें से अधिकांश लोगों की मौत डूबने की वजह से हुई है. वहीं, दूसरी ओर दामोदर घाटी निगम की ओर से शुक्रवार को भी कई बांध से पानी छोड़ा गया, हालांकि शुक्रवार को अन्य दिनों की तुलना में डीवीसी ने कम पानी छोड़ा. राज्य सरकार से मिली जानकारी के अनुसार, राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में कुल 207 राहत शिविर खोले गये हैं, जहां चार 45 हजार 420 लोगों को रखा गया है. इस संबंध में गृह सचिव अत्रि भट्टाचार्य ने बताया कि घाटाल में कुछ लोगों ने अपना घर छोड़कर सुरक्षित जगहों पर जाने से मना कर दिया था. शिलावती नदी पर बने बांध के टूटने से घाटाल के दो गांवों में पानी घुस गया, जिससे कई लोग अपने मकानों में फंस गए और छतों पर खड़े होकर मदद की बाट जोह रहे थे. तेज जलधारा के कारण एनडीआरएफ के बोट वहां नहीं पहुंच पा रहे थे. इस कारण वायुसेना की मदद ली गई. नदी पर बने बांधों के टूटने से हावड़ा के भी कई गांवों में पानी घुस गया है. जिले के सबसे निचले इलाके में स्थित उदयनारायणपुर ब्लाक की 11 ग्राम पंचायतों में से नौ गांव पानी की चपेट में हैं. वहां कम से कम दो लाख लोग प्रभावित हुए हैं. आमता 2 नंबर ब्लाक के पांच ग्राम पंचायत एवं बिलानबाटी ग्राम पंचायत के 50 से अधिक गांव भी पानी की चपेट में हैं. वीरभूम में बारिश कम होने पर भी वहां जलस्तर कम नहीं हुआ है. लाभपुर में सैकड़ों लोगों ने राहत शिविरों हावड़ा में भी बारिश कम होने पर हालात में सुधार नहीं हुआ है.
बाढ़ : जिलों में स्वास्थ्य कर्मियों की छुट्टी रद्द
राज्य के कई जिले बाढ़ की चपेट में है. इसके मद्देनजर विभिन्न जिलों में कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों की छुट्टी रद्द कर दी गयी है. इस संबंध में स्वास्थ्य भवन की ओर से निर्देशिका जारी कर विभिन्न जिला के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी को अवगत करा दिया गया है. यह जानकारी राज्य के स्वास्थ्य सेवा निदेशक प्रो डॉ विश्व रंजन सत्पथि ने दी. उन्होंने बताया कि जिलों में स्थित मेडिकल कॉलेजों को भी सर्तक रहने को कहा गया है. लोगों की चिकित्सा के लिए बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में मेडिकल टीम भेजी गयी है. जरूरत पड़ने पर बीमार लोगों को इलाज के लिए कोलकाता या किसी नजदीकी मेडिकल कॉलेज या जिला अस्पताल में भरती कराया जायेगा. सर्विस डॉक्टर फोरम(एसडीएफ) के महासचिव डॉ सजल विश्वास ने बताया कि मेडिकल सर्विस सेंटर एवं सर्विस डॉक्टर फोरम के नेतृत्व में बाढ़ प्रभावित इलाकों के लिए मेडिकल टीम तैयार की गयी है. टीम में 27 डॉक्टर एवं नर्सों को रखा गया है.
सटीक कदम उठाये सरकार : वाममोरचा
राज्य के कई जिले बाढ़ से प्रभावित हैं. कई लोगों की मौत हो गयी है वहीं हजारों लोग बेघर होने हो गये हैं. राज्य में वाममोरचा की ओर से मांग की गयी है कि पीड़ितों की मदद के लिए राज्य सरकार की ओर से सटीक कदम उठाये जायें. राज्य में वाममोरचा के चेयरमैन विमान बसु ने कहा है कि राज्य के ग्रामीण इलाके ज्यादा प्रभावित हैं. यदि लोगों की मदद नहीं की जायेगी तो स्थिति और विषम हो सकती है. उधर, बाढ़ से निबटने और पीड़ितों की मदद के लिए राज्य सरकार से युद्धस्तर पर राहत कार्य किये जाने की मांग पर एसयूसीआइ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र भेजा है.
