कोलकाता: निजी अस्पतालों में जहां हृदय रोग का इलाज कराने में लाखों रुपये का खर्च पड़ जाता है, वहीं, अब वह दिन दूर नहीं जब हृदय रोग का इलाज लगभग 50 हजार रुपये में भी संभव हो पायेगा. राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एसएसकेएम ने यह संभव करने का दावा किया है.
अस्पताल के डायरेक्टर प्रदीप कुमार मित्र के अनुसार एक हृदय रोगी के इलाज में खर्च होने वाले रुपयों में आधा तो दवाइयों और ऑपरेशन के दौरान लगने वाले उपकरणों में खर्च हो जाता है. लेकिन बहुत जल्द अस्पताल प्रशासन अपने फेयर प्राइस दवा की दुकानों में कम मूल्य की दवाइयां उपलब्ध करायेगा.
उन्होंने बताया ऐसा होने से जिस हृदय सजर्री को करने में एक लाख से ज्यादा का खर्च होता था, वह अब लगभग 50 हजार रुपये में भी संभव हो सकेगा. श्री मित्र ने बताया कि यह एक सरकारी अस्पताल है जहां रोजाना हजारों की संख्या में गरीब लोग इलाज कराने आते हैं. इस व्यवस्था के लागू होने से उन लोगों को फायदा होगा. गौरतलब है कि अब तक अस्पताल में हृदय रोग में इस्तेमाल होनेवाले वॉल्व से लेकर तमाम दवाइयों की सप्लाइ सरकारी मान्यता प्राप्त कंपनियों द्वारा किया जाता था.
जिससे बाइपास सजर्री कराने में एक लाख रुपये से ज्यादा का खर्च पड़ जाता था. अस्पताल प्रशासन के इस फैसले को लोगों ने काफी सराहा है. हाल ही में एसएसकेएम अस्पताल से हृदय रोग की सजर्री कराने वाले हुगली के अंजनी प्रसाद ने बताया कि हृदय संबंधी रोगों का इलाज काफी खर्चीला होता है. हम जैसे गरीब लोगों का हृदय रोग का इलाज कराने में सब कुछ बिक जाता है. लेकिन एसएसकेएम अस्पताल के इस फैसले से अब इलाज कराना आसान होगा.