18.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

काशी का महामृत्युंजय मंदिर से भक्तों को मिलता है अकाल मृत्यु से अभय का वरदान, असाध्य रोग से मिलती है राहत

काशी का प्रमुख शिवालय 'महामृत्युंजय मंदिर', भोलेनाथ के इस स्वरूप को महामृत्युंजय इसलिए कहा जाता है क्योंकि शिव का यह स्वरूप मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाला है. शिव के इस मंदिर में काल भी आने से घबराता है. मृत्यु शैया पर पड़ा व्यक्ति भी शिव के महामृत्युंजय मंत्र की शक्ति से नया जीवन पाता है.

Varanasi News: काशी के कण-कण में शंकर है. बनारस में ऊर्जा का ऐसा आपार क्षेत्र है कि खुद महादेव ने इस नगरी का चयन किया था. धार्मिक मान्यता है कि महादेव की नगरी काशी भोलेनाथ के त्रिशूल पर टिकी हुई है. सावन में काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने देश से करोड़ों लोग आते हैं. शहर में शिव का एक मंदिर ऐसा भी है जहां पर दर्शन करने से भक्त की अकाल मृत्यु नहीं होती है.

यह मंदिर है शिव मंदिरों में काशी का प्रमुख शिवालय ‘महामृत्युंजय मंदिर’, भोलेनाथ के इस स्वरूप को महामृत्युंजय इसलिए कहा जाता है क्योंकि शिव का यह स्वरूप मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाला है. शिव के इस मंदिर में काल भी आने से घबराता है. मृत्यु शैया पर पड़ा व्यक्ति भी शिव के महामृत्युंजय मंत्र की शक्ति से नया जीवन पाता है. यहां शिवलिंग स्थापित नहीं किया गया बल्कि धरती का सीना फाड़ कर स्वयंभू रूप में प्रकट हुआ था.

बनारस के दारानगर स्थित महामृत्युंजय मंदिर एक ऐसा मन्दिर है, जहां पर दर्शन करने आने वालों को अकाल मृत्यु से अभय मिल जाता है. मंदिर का धार्मिक महत्व इतना अधिक है कि यहां पर आने वाले भक्तों की असाध्य रोगों से भी रक्षा होती है. काशी के खंडोक्त द्वादश ज्योतिर्लिंग में शामिल महामृत्युंजय के मदिर में प्रतिदिन दर्शन करने वालों की भीड़ लगी होती है. प्रत्येक सोमवार को सबसे अधिक दशनार्थी यहां पर पहुंचते हैं जबकि सावन के सोमवार को तो यहां पर दर्शन करने में काफी समय लग जाता है. धार्मिक मान्यता है कि भोलेनाथ यहां पर महामृत्युंजय महादेव के रुप में विराजमान है.

जो भक्त यहां पर 40 सोमवार लगातार दर्शन करने आता है उसके जीवन में आने वाली सारी बाधा खत्म हो जाती है और सफलता के द्वार खुल जाते हैं. मंदिर में सवा लाख महामृत्युजंय मंत्र का जाप कराने से अकाल मृत्यु का खतरा हमेशा के लिए टल जाता है. यदि किसी व्यक्ति की ग्रहदशा ठीक नहीं चल रही है तो भी यहां पर दर्शन करने से सारी बाधा दूर हो जाती है. अन्य शिव मंदिर की तरह महामृत्युंज महादेव मंदिर में भी भक्त, मदार की माला, दूध, फल आदि चढ़ा कर प्रभु का आशीर्वाद ले सकते हैं. काशी के लोगों में महामृत्युंजय मंदिर के प्रति इतनी आस्था है कि वह यहां पर दर्शन करने अवश्य आते हैं.

मंदिर के महंत मोहनलाल दीक्षित का कहना है कि यह मंदिर कब का है और कितना पुराना है. इसका कोई प्रमाण देने वाला नहीं है. क्योंकि जब काशी को भगवान भोलेनाथ ने अपने त्रिशूल की नोक पर स्थापित किया तब काशी के जिस इलाके में यह मंदिर स्थापित है वहां पर दारावन हुआ करता था. इसी वन में धरती की गोद से शिवलिंग प्रकट हुआ और तब से लेकर अब तक भगवान भोलेनाथ के इस भव्य शिवलिंग की आराधना काशी में होती आ रही है. बड़े क्षेत्र में स्थापित इस मंदिर में द्वादश ज्योतिर्लिंग के अलग-अलग मंदिर स्थापित हैं. पीछे धनवंतरी कूप है. जिसका पानी पीने मात्र से ही सारे कष्टों का नाश हो जाता है और सबसे महत्वपूर्ण इस शिवलिंग का दर्शन करने और इसके जल का आचमन करने मात्र से ही अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिल जाती है. यही वजह है कि इस मंदिर में 12 महीना 30 दिन महामृत्युंजय का अनुष्ठान जारी रहता है. देश-विदेश में अपनों के जीवन रक्षा के लिए लोग संकल्प लेने के बाद यहां पर पुरोहितों से अनुष्ठान को संपन्न कराते हैं.

रिपोर्ट : विपिन सिंह

Prabhat Khabar News Desk
Prabhat Khabar News Desk
यह प्रभात खबर का न्यूज डेस्क है। इसमें बिहार-झारखंड-ओडिशा-दिल्‍ली समेत प्रभात खबर के विशाल ग्राउंड नेटवर्क के रिपोर्ट्स के जरिए भेजी खबरों का प्रकाशन होता है।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel