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17 साल से जेल में बंद मुख्तार अंसारी के परिवार के सदस्य भी कानूनी शिकंजे में, जानें क्या है पूरी कहानी ?

सात मामले अंसारी के खिलाफ, दो उनकी पत्नी अफशा के खिलाफ, चार बड़े बेटे अब्बास के खिलाफ, दो मामले छोटे बेटे उमर के खिलाफ और दो मामले मुख्तार के दो साले आतिफ रजा उर्फ ​​​​के खिलाफ दर्ज हैं. शरजील रजा और अनवर शहजाद. उमर अंसारी को छोड़कर बाकी सबको अदालतों ने भगोड़ा घोषित किया है.

Mukhtar Ansari News: माफिया मुख्तार अंसारी लगभग 17 वर्षों से जेल में है. इस दौरान वह कथित तौर पर अपने गिरोह को सलाखों के पीछे से संचालित करने के लिए चर्चा में रहा है. पिछले दो साल में वह और उसके परिवार के सदस्यों को कई आपराधिक मामलों का सामना करना पड़ा है. इसमें उनकी पत्नी, बेटा, भाई और करीबी सहयोगी शामिल हैं. इनमें से सात मामले अंसारी के खिलाफ, दो उनकी पत्नी अफशा के खिलाफ, चार बड़े बेटे अब्बास के खिलाफ, दो मामले छोटे बेटे उमर के खिलाफ और दो मामले मुख्तार के दो साले आतिफ रजा उर्फ ​​​​के खिलाफ दर्ज हैं. शरजील रजा और अनवर शहजाद. उमर अंसारी को छोड़कर बाकी सबको अदालतों ने भगोड़ा घोषित किया है.

होटल को भी ध्वस्त कर दिया

यूपी पुलिस के रिकॉर्ड के मुताबिक, अंसारी के खिलाफ कुल 59 मामले हैं. इनमें से 20 मामले तब दर्ज किए गए जब वह जेल में था. इनमें से चार हत्या के मामले और सात यूपी गैंगस्टर एक्ट के तहत हैं. यूपी सरकार ने अंसारी, उसके परिवार के सदस्यों और सहयोगियों की 448.98 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है. सरकार ने निर्माण में अनियमितताओं का हवाला देते हुए गाजीपुर जिले में एक होटल को भी ध्वस्त कर दिया है.

मुख्तार अंसारी पर एक नजर

मुख्तार अंसारी पूर्वी यूपी के गाजीपुर जनपद का मूल निवासी है. अंसारी ने मऊ सदर सीट से पांच बार चुनाव जीता है. इस सीट से वह दो बार बसपा उम्मीदवार के रूप में और तीन बार निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़ चुका है. साल 2010 में बसपा में रहते हुए दो बार लोकसभा चुनाव में हारने के बाद उसने अपने बड़े भाई अफजल अंसारी को अध्यक्ष बनाते हुए अपना राजनीतिक संगठन कौमी एकता दल (क्यूईडी) बनाया. 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपने बड़े बेटे अब्बास को सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के टिकट पर मऊ (सदर) से चुनाव लड़ाया. इस चुनाव में अब्बास ने भाजपा के अशोक कुमार सिंह को हरा दिया. अंसारी के भतीजे सुहैब अली उर्फ ​​मन्नू ने 2022 का चुनाव गाजीपुर के मोहम्मदाबाद से सपा के टिकट पर बीजेपी की अलका राय को हराकर जीता था. इधर मऊ में एक सांप्रदायिक दंगा मामले में आत्मसमर्पण करने के बाद से अंसारी अक्टूबर 2005 से जेल में है. इसमें सात लोगों की मौत हो गई थी.

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एलडीए भी कर चुका है कार्रवाई

इस मामले की उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा जांच किए जाने के अलावा, पिछले साल, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अंसारी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था, जो यूपी पुलिस द्वारा कथित रूप से संचालित कथित भूमि-हथियाने और अवैध व्यवसायों के कई मामलों के आधार पर दर्ज किया गया था. दो हफ्ते पहले ईडी ने गाजीपुर से बसपा सांसद मुख्तार के बड़े भाई अफजल से जुड़े एक परिसर में छापेमारी की थी. इससे पहले 2020 में लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने अंसारियों के नाम से पंजीकृत दो भवनों को गिरा दिया था.

बेटा अब्बास अंसारी भी है गिरफ्त में 

अंसारी पिछले साल भी काफी चर्चा में थे. वह पंजाब के रोपड़ जेल में बंद है, यूपी सरकार ने उसकी हिरासत मांगी लेकिन पंजाब ने उत्तर प्रदेश सरकार के अनुरोध को ठुकराते बीमारी का हवाला देते हुए उसे जेल में वीआईपी सुविधा देते रहे. अंतत: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उसे यूपी में लाना संभव हो सका. अब वह यूपी के बांदा जेल में निरूद्ध है. हालांकि, जब वह पंजाब जेल में बंद था, तब यूपी पुलिस ने अंसारी और अन्य के खिलाफ एक एम्बुलेंस के पंजीकरण के लिए फर्जी दस्तावेज जमा करने से संबंधित एक मामले में मामला दर्ज किया था. वहीं, मुख्तार अंसारी का 29 वर्षीय बड़ा बेटा अब्बास अंसारी के खिलाफ लखनऊ के हजरतगंज पुलिस स्टेशन में दर्ज कथित धोखाधड़ी और हथियार लाइसेंस के उल्लंघन के 2019 मामला दर्ज है.

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