ललित त्रिपाठी की पुस्तक द लास्ट डिप्रेशन का हुआ विमोचन
इस पुस्तक को स्वयं अनुभव से लिखी गयी है, जो इसकी बड़ी खासियत है : हरिवंश
रांची. होटल रेडिसन ब्लू में बुधवार को ‘द लास्ट डिप्रेशन संघर्ष में उम्मीद की एक किरण’ का विमोचन हुआ. इसके लेखक ललित त्रिपाठी हैं. पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, राज्यसभा सांसद महुआ माजी, झारखंड हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एसएन पाठक आदि उपस्थित थे. उपसभापति हरिवंश ने कहा कि पुस्तक के लेखक को बधाई. इसके कारण हम एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पर बात कर रहे हैं. उन्होंने जिस दौर, संकट, दुविधा, संशय, समस्या, चुनौतियों से गुजरे हैं उसका सुंदर वर्णन किये हैं. यह किसी देखे हुए व्यक्ति का वर्णन नहीं है. इस पुस्तक की सबसे बड़ी खासियत है, उन्होंने स्वयं अनुभव से पुस्तक लिखी है. जीवन में अनुभव से जो सिखते हैं, पुस्तक से नहीं सीख सकते. आज की जीवनशैली में मानसिक स्वास्थ्य बड़ी चुनौती बन चुकी है. हम शारीरिक बीमारियों पर तो बात करते हैं, लेकिन अवसाद पर बात नहीं करते हैं. यह पुस्तक उन चुप्पियों को तोड़ने का साहस देती है. जस्टिस एसएन पाठक ने कहा कि आज विशेषकर युवाओं की पीढ़ी मानसिक दबाव, असफलताओं और अनिश्चितताओं के बीच जी रही है. द लास्ट डिप्रेशन उनके लिए उम्मीद की नयी राह दिखाती है. राज्यसभा सांसद महुआ माजी ने कहा कि यह किताब एक आंदोलन की शुरुआत है. यह हर उस इंसान के लिए है, जो अवसाद की अंधेरी सुरंग में फंसा हुआ है.
हताश लोगों के लिए मानसिक क्रांति है यह पुस्तक : लेखक
लेखक ललित त्रिपाठी ने अपनी पुस्तक पर चर्चा करते हुए बताया कि द लास्ट डिप्रेशन सिर्फ एक किताब नहीं है. यह एक मानसिक क्रांति है. यह उन टूटे, बिखरे, हताश और निराश लोगों की कहानी है, जो जीवन की जद्दोजहद में खुद को खो बैठे, लेकिन फिर भी उठ खड़े हुए. अवसाद अंत नहीं है, यह बस वह मोड़ है, जहां से जिंदगी हमें खुद को नये सिरे से गढ़ने का अवसर देती है. उन्होंने कहा कि द लास्ट डिप्रेशन मेरी आत्मिक यात्रा है.
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