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सिंचाई के पैसे बैंक में रखे रहे सूखे 2000 एकड़ में लगे बाग

सूखाग्रस्त पलामू में किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए 2000 एकड़ भूमि पर लगाये गये आंवला, नींबू और अमरूद के बाग सूख गये. दरअसल अफसरों ने बाग तो लगाये, लेकिन सिंचाई सुविधा के लिए सरकार से मिला पैसा बैंक में रख दिया

शकील अख्तर, रांची : सूखाग्रस्त पलामू में किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए 2000 एकड़ भूमि पर लगाये गये आंवला, नींबू और अमरूद के बाग सूख गये. दरअसल अफसरों ने बाग तो लगाये, लेकिन सिंचाई सुविधा के लिए सरकार से मिला पैसा बैंक में रख दिया. बैंक में रखा पैसा अब सूद सहित बढ़ कर 1.19 करोड़ रुपये हो गया है. महालेखाकार(एजी) ने पलामू जिले में किसानों की आमदनी दोगुनी करने से जुड़ी ‘बागवानी योजना’ की नमूना जांच के बाद सरकार को भेजी गयी रिपोर्ट में इन बातों का उल्लेख किया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि जिले के उपायुक्त ने बागवानी योजना के लिए 1.50 करोड़ रुपये वन प्रमंडल पदाधिकारी, उत्तरी वन प्रमंडल, मेदिनीनगर को दिया. इस राशि का इस्तेमाल नये बाग लगाने के लिए करना था. योजना अनुसार इस राशि से 790.73 एकड़ जमीन पर आंवला, 395.36 एकड़ पर नींबू और 790.73 एकड़ में अमरूद का बाग लगाने का निर्णय हुआ. बाग लगाने पर 90 लाख रुपये तथा इसकी सिंचाई सुविधा पर 60 लाख रुपये खर्च करने थे. बागों की सिंचाई के लिए छह जल स्रोतों का निर्माण होना था.

  • महालेखाकार ने पलामू जिले में ‘बागवानी योजना’ की सौंपी जांच रिपोर्ट

  • सूखाग्रस्त पलामू में किसानों की आमदनी बढ़ाने का प्रयास रहा विफल

  • आंवला, नींबू और अमरूद के बाग लगाये गये थे

  • बैंक में रखा पैसा अब सूद सहित बढ़ कर 1.19 करोड़ हुआ

बेकार हो गया पूरा खर्च : रिपोर्ट में गया है कि सिंचाई सुविधा की राशि बैंक में रखने के कारण बाग के लिए सिंचाई की व्यवस्था नहीं हो सकी. इससे आंवला, नीबू और अमरूद के बाग में लगाये गये पौधे सूख गये. इस तरह बागवानी के नाम पर खर्च किये गये 66.16 लाख रुपये बेकार साबित हुए. इससे किसानों को कोई लाभ नहीं मिला.

कीट रहित सब्जी उत्पादन योजना भी संदेह के घेरे में : रांची. महालेखार ने नमूना जांच के दौरान कीट रहित सब्जी उत्पादन योजना पर भी संदेह व्यक्त किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 75 प्रतिशत अनुदान पर चलनेवाली इस योजना का लाभ वैसे किसानों को देना है, जिनके पास अपनी जमीन और सिंचाई की सुविधा हो. योजना से जुड़े दस्तावेज की जांच के दौरान ऑडिट टीम को लाभुकों की सूची तो मिली. लेकिन इसमें लाभुकों के चयन के आधार का उल्लेख नहीं है. ज्यादातर लाभुकों के आवेदन में उनकी जमीन का ब्योरा और जमीन के दस्तावेज नहीं है.

इसके अलावा कुछ लाभुकों का नाम सूची में है, लेकिन उनके द्वारा योजना का लाभ लेने के लिए दिया गया आवेदन रजिस्टर में नहीं है. नियमानुसार जिन किसानों को इस योजना का लाभ देते हुए, उनकी जमीन पर शेडनेट, ग्रीन हाउस आदि का निर्माण हुआ, तो लाभुक की तस्वीर संबंधित संरचना के साथ रजिस्टर में रखना जरूरी है. नमूना जांच के दौरान पाया गया कि लाभुक सोना देवी,रेखा देवी, सरिता पांडे, सुशीला देवी और शीला की जमीन पर बनी संरचना में दूसरे लोगों की तस्वीर लगी है.

बैंक में रख दिये 54.15 लाख : नमूना जांच के दौरान पाया गया कि संबंधित वन प्रमंडल ने बाग लगाने के लिए मिली 90 लाख की राशि में से 66.16 लाख रुपये खर्च कर आंवला, नींबू और अमरूद के बाग लगाये, लेकिन सिंचाई सुविधाओं के लिए मिली 60 लाख की रकम में से सिर्फ 5.84 लाख रुपये खर्च किये. बाकी 54.15 लाख रुपये वन प्रमंडल पदाधिकारी ने यूनियन बैंक के खाता संख्या 621202010000476 में रख दिया. इधर बैंक में रखी उक्त रकम अब सूद सहित बढ़ कर 1.19 करोड़ रुपये हो गयी है.

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