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3000 हेल्थ सब सेंटर में पानी नहीं, 2200 में बिजली नहीं, एक डॉक्टर पर 8165 लोगों का बोझ, कैसे सुधरेगा झारखंड का स्वास्थ्य?
II सुनील चौधरी II रांची : झारखंड में स्वास्थ्य के क्षेत्र में आधारभूत संरचना की भारी कमी है. देश की तुलना में झारखंड अभी भी काफी पीछे है. राज्य में 23 सदर अस्पताल हैं. आबादी और क्षेत्र के हिसाब से राज्य में कुल 1376 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) की जरूरत है, पर हैं मात्र 330 […]
II सुनील चौधरी II
रांची : झारखंड में स्वास्थ्य के क्षेत्र में आधारभूत संरचना की भारी कमी है. देश की तुलना में झारखंड अभी भी काफी पीछे है. राज्य में 23 सदर अस्पताल हैं. आबादी और क्षेत्र के हिसाब से राज्य में कुल 1376 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) की जरूरत है, पर हैं मात्र 330 ही. इनमें भी मात्र 125 पीएचसी ही अपने भवन में चलते हैं. शेष अभी भी किराये के भवन में संचालित होते हैं
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इसी तरह राज्य में 344 कम्युनिटी हेल्थ सेंटर(सीएचसी) की जरूरत है. पर मात्र 188 ही कार्यरत हैं. 8813 की जरूरत के मुकाबले राज्य में इससे आधे से भी कम मात्र 3958 हेल्थ सब सेंटर कार्यरत हैं. इन सारे अस्पतालों में एक वर्ष में 1.51 करोड़ मरीजों का इलाज होता है. यानी झारखंड की लगभग आधी आबादी की निर्भरता सरकारी अस्पतालों पर है. लगभग 2200 उपकेंद्रों में पानी की सुविधा भी नहीं है. 3000 हेल्थ सब सेंटर में बिजली नहीं है.
तीन मेडिकल कॉलेजों से निकलते हैं 350 डॉक्टर
अब बात डॉक्टरों की. पूरे देश में जहां 1324 लोगों के इलाज के लिए एक डॉक्टर है. वहीं, झारखंड में 8165 व्यक्ति पर एक डॉक्टर है. राज्य में इस समय तीन मेडिकल कॉलेज (रिम्स, एमजीएम और पीएमसीएच) हैं.
यहां से प्रतिवर्ष 350 डॉक्टर निकलते हैं. झारखंड में कुल 3138 डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं. पर यहां 1857 डॉक्टर ही कार्यरत हैं. 1455 डॉक्टरों की अब भी कमी है. विभाग द्वारा कई बार बहाली के प्रयास किये गये. पर दूरस्थ इलाकों में पदस्थापित किये जाने के बाद डॉक्टर या तो अस्पताल जाते नहीं या नौकरी ही छोड़ देते हैं.
राज्य में नर्सों की भी भारी कमी है. राज्य के 3958 स्वास्थ्य उपकेंद्र केवल नर्सों के भरोसे हैं. राज्य में नार्म्स के अनुसार 14 हजार नर्सों की जरूरत है. पर 8349 नर्स ही कार्यरत हैं. 100-100 सीट के सात और मेडिकल कॉलेज (हजारीबाग, पलामू, दुमका, चाईबासा, बोकारो और इटकी मेडिको सिटी में) निर्माणाधीन हैं. देवघर में एम्स भी बन रहा है.
जरूरत के मुकाबले मात्र एक चौथाई है पीएचसी, डेढ़ करोड़ की आबादी सरकारी अस्पतालों में कराती है इलाज
क्या है जमीनी हकीकत
344 सीएचसी की जरूरत है, पर मात्र 188 ही कार्यरत
906 हेल्थ सब सेंटर अब भी किराये के भवन में
3368 की आबादी के लिए सरकारी अस्पतालों में एक बेड
65832 की आबादी एक सरकारी अस्पताल पर निर्भर
आधारभूत संरचना की भारी कमी
अस्पताल जरूरत स्थिति
सदर अस्पताल 24 23
पीएचसी 1376 330
सीएचसी/रेफरल अस्पताल 344 188
हेल्थ सब सेंटर 8813 3958
ये भी बयां करते हैं हालात
रांची, बोकारो, जमशेदपुर व धनबाद को छोड़ दें, तो बाकी शहरों में खासकर ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य व्यवस्था लचर है
अधिकतर सदर अस्पतालों में सुविधाएं नदारद हैं. थोड़ी भी गंभीर स्थिति आने पर यहां से मरीजों को रिम्स, एमजीएम या पीएमसीएच जैसे अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है
सदर अस्पतालों में एक्स रे, एमआरआइ, सीटी स्कैन जैसी सुविधाएं नगण्य हैं. एंबुलेंस हैं भी, तो ड्राइवर नहीं. करोड़ों की मशीनें, रेफ्रिजरेटर आदि अस्पतालों में सड़ रहे हैं
झारखंड का हेल्थ इंडीकेटर
इंडीकेटर भारत झारखंड
आबादी (करोड़) 121.01 3.3
अस्पतालों में प्रसव 79.3% 58.3%
कुल निबंधित डॉक्टर 960233 4475
प्रति व्यक्ति पर डॉक्टर 1324 8165
निबंधित आयुष डॉक्टर 742520 345
आयुष डॉक्टर पर आबादी 1711 105905
कुल सरकारी अस्पताल 19653 555
बेड 754724 10784
प्रति अस्पताल आबादी 64425 65832
प्रति व्यक्ति बेड 1678 3388
मेडिकल कॉलेज 460 03
नर्सिंग कॉलेज 6252 75
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