बदहाली. दो गांव के 600 परिवार पानी के िलए हैं परेशान
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जामुगढ़िया में पानी के लिए हाहाकार
बदहाली. दो गांव के 600 परिवार पानी के िलए हैं परेशान हमारी ही दिनचर्या ने प्रकृति को इतना नुकसान पहुंचाया है कि आज हमें पीने को पानी मयस्सर नहीं हो रही है. कुएं सूख रहे हैं. चापानल से पानी कम निकल रहा है. ऐसे में उस स्थिति का अंदाजा सहज ही लगा सकते हैं कि […]
हमारी ही दिनचर्या ने प्रकृति को इतना नुकसान पहुंचाया है कि आज हमें पीने को पानी मयस्सर नहीं हो रही है. कुएं सूख रहे हैं. चापानल से पानी कम निकल रहा है. ऐसे में उस स्थिति का अंदाजा सहज ही लगा सकते हैं कि लोग पानी के लिए किस प्रकार परेशान होंगे.
अमड़ापाड़ा : गरमी के मौसम में घटते जलस्तर के कारण चहुंओर हाहाकार मचा है. पानी के लिए लंबी दूरी तय कर घंटों कतार में लगना लोगों की रूटीन बन गयी है. ग्रामीण आजिज तब हो जाते हैं जब सुविधा होते हुए भी विभागीय लापरवाही के कारण इससे महरूम रहना पड़ता है. प्रखंड के जामुगड़िया पंचायत के आदिवासी बहुल गांव जामुगड़िया गांव के दो टोला में इसी तरह की समस्या से लोग परेशान है. जामुगड़िया के मारीडीहटोला के 350 परिवार एवं रंकीटोला के 250 परिवार में जलमीनार होते हुए भी लोग पानी के लिए तरस रहे हैं.
मारीडीहटोला व रंकीटोला के ग्रामीण ठाकुर मुर्मू, श्रीराम मुर्मू, शिवजल हांसदा, शांति मरांडी, सतीश हांसदा अादि ने बताया कि इन दोनों टोले में पीने के पानी की समस्या विकराल बनी हुई है. मारीडीह टोला के ग्रामीण कुआं का पानी पीने को मजबूर है. ग्रामीण 500 मीटर दूर से बहंगी के सहारे पानी लाते हैं. रंकी टोला में तीन चापानल है. जिसमें से एक खराब है और दो से बहुत कम पानी निकलता है. जिस कारण लोगों को एक पुराने कुएं का गंदा पानी पीने को विवश है. ग्रामीणों ने यह भी बताया कि जामुगड़िया गांव में पेयजल विभाग के द्वारा मिनी जलापूर्ति योजना की टंकी बनायी गयी है. लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण साल भर से अधूरा है. अगर यह पानी टंकी चालू होती तो ग्रामीणों की पानी की कुछ समस्या कम हो सकती थी.
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