प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने सुनाया फैसला
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भाई की हत्या मामले में एक को आजीवन कारावास
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने सुनाया फैसला एक लाख रुपये अर्थदंड की की भी सजा सुनायी राशि भुगतान नहीं करने की दशा में अभियुक्त को अतिरिक्त पांच वर्ष का कारावास भुगतना होगा पाकुड़ : प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ओम प्रकाश पांडे के न्यायालय ने सत्र विचारण वाद संख्या 1/14 लिट्टीपाड़ा थाना […]
एक लाख रुपये अर्थदंड की की भी सजा सुनायी
राशि भुगतान नहीं करने की दशा में अभियुक्त को अतिरिक्त पांच वर्ष का कारावास भुगतना होगा
पाकुड़ : प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ओम प्रकाश पांडे के न्यायालय ने सत्र विचारण वाद संख्या 1/14 लिट्टीपाड़ा थाना कांड संख्या 91/13 के मुख्य अभियुक्त सोनाराम मरांडी लिट्टीपाड़ा निवासी को अपने भाई मोतीलाल मरांडी के हत्या करने के जुर्म में भादवि की धारा 302 के अंतर्गत दोषी करार ठहराते हुए आजीवन कारावास के साथ एक लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनायी. साथ ही निर्णय में यह भी सुनाया गया कि एक लाख जुर्माना की राशि मृतक के पत्नी एवं बच्चे को दी जायेगी.
राशि भुगतान नहीं करने की दशा में अभियुक्त को अतिरिक्त पांच वर्ष का कारावास भुगतना होगा. मामला यह है कि अभियुक्त खुद लिट्टीपाड़ा थाना के थाना प्रभारी के पास अपने भाई मोतीलाल मरांडी की हत्या कर अपना गुनाह कबूल करते हुए अपने खिलाफ खुद फर्द बयान दर्ज कराते हुए बताया कि हत्या का मुख्य कारण दुमका-साहिबगंज रोड में इनकी जमीन सरकार द्वारा अधिग्रहण किया गया था और उसी का मुआवजा मिलना था.
पदाधिकारी मुआवजा की राशि देने के लिए बार-बार मोतीलाल को खोज रहे थे तो इन्होंने पदाधिकारी से बताया कि वह बाहर है. मुआवजे की राशि का पहला चेक 63 हजार रुपये वर्ष 2012 में प्राप्त हुआ था, इसमें से एक हिस्सा इसने मंगल मरांडी को दिया. इसके बाद पुन: दूसरा चेक 34 हजार रुपये का प्राप्त हुआ, उसमें से मंगल मरांडी को एक हिस्सा दिया. मोतीलाल गोवा में रहता था. गोवा से आने के बाद उसे पता चला कि जमीन का मुआवजा का पैसा अभियुक्त को मिला है तो वह पैसे की मांग करने लगा. अभियुक्त को पैसा के प्रति लालच बढ़ गया वह पैसा मोतीलाल को नहीं देना चाहता था.
परंतु मोतीलाल लगातार सोनाराम पर दवाब बना रहा था. जिसके बाद उसने मोतीलाल को रास्ते से हटाने की ठानी और मोतीलाल की हत्या की तैयारी कर 29 सितंबर 2013 को घर में रखे दाव से गरदन पर प्रहार किया एवं सब्बल से उसके सर पर मार कर जख्मी कर दिया. जिससे उसकी मौत हो गयी. खून से सना दाव व सब्बल को घर के बगल झाड़ी के निकट गड्ढा खोद कर छिपा दिया था.
फर्द बयान के आधार पर पुलिस द्वारा अन्वेषण किया गया और विचारण के दौरान प्रस्तुत दस्तावेज और गवाहों का परीक्षण के पश्चात न्यायालय ने अभियुक्त के विरुद्ध समुचित साक्ष्य पाते हुए दोषी करार ठहराया और खुले न्यायालय में अभियुक्त को निर्णय पढ़ कर आजीवन कारावास तथा एक लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनायी. बचाव पक्ष की ओर से निरंजन कुमार मिश्रा एवं अभियोजन की ओर से पवन टोप्पो ने अपना पक्ष न्यायालय के समक्ष रखा.
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