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कुपोषण और एनीमिया से लड़ने की रणनीति पर जोर

महिला, बाल विकास व सामाजिक सुरक्षा विभाग, झारखंड सरकार के तहत लोहरदगा जिले में समर / सी-मैम अभियान पर आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का मंगलवार को जिला परिषद सभागार में समापन हो गया.

प्रतिनिधि, लोहरदगा महिला, बाल विकास व सामाजिक सुरक्षा विभाग, झारखंड सरकार के तहत लोहरदगा जिले में समर / सी-मैम अभियान पर आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का मंगलवार को जिला परिषद सभागार में समापन हो गया. इस कार्यशाला का समापन लोहरदगा आइटीडीए परियोजना निदेशक सह समाज कल्याण पदाधिकारी सुषमा नीलम सोरेंग ने किया. कार्यशाला में मास्टर ट्रेनरों ने सीडीपीओ (बाल विकास परियोजना पदाधिकारी) और एलएएस (लेडी सुपरवाइजर) को प्रशिक्षित करते हुए बताया कि समर अभियान के अंतर्गत कुपोषण और एनीमिया से ग्रसित बच्चों की पहचान कैसे करें. समर सी-मैम अभियान विशेष रूप से जन्म से पांच वर्ष तक के अति गंभीर कुपोषण से ग्रसित बच्चों के प्रबंधन पर केंद्रित है. इस अवसर पर समाज कल्याण पदाधिकारी सुषमा नीलम सोरेंग ने कहा कि ऐसे सभी घरों को चिह्नित किया जाये, जहां कुपोषित बच्चे, किशोरियां, युवतियां अथवा गर्भवती महिलाएं हैं. उन्होंने जोर दिया कि इन्हें सरकार के विभिन्न विभागों के ऐसे कार्यक्रमों से जोड़ा जाये, जिससे कुपोषण निवारण पर प्रत्यक्ष या परोक्ष प्रभाव होता है.

एनएफएचएस-5 डेटा और समर-एप का उपयोग

मास्टर ट्रेनरों ने बताया कि एनएफएचएस-5 (राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5) भारत में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण से संबंधित डेटा एकत्र करने के लिए आयोजित एक बड़ा सर्वेक्षण है. एनएफएचएस-5 को 2019-21 के बीच आयोजित किया गया था, जिसमें जनसंख्या, प्रजनन क्षमता, परिवार नियोजन, शिशु और बाल मृत्यु दर, मातृ व बाल स्वास्थ्य, पोषण, एनीमिया, रुग्णता और स्वास्थ्य सेवा, महिला सशक्तीकरण एवं अन्य स्वास्थ्य व परिवार कल्याण से संबंधित क्षेत्रों पर डेटा एकत्र किया गया. उन्होंने कहा कि कुपोषण व एनीमिया के सभी मामलों की सूची सामार-एप्प में आंगनबाड़ी केंद्र पर होने वाली जांच के आधार पर उपलब्ध है.

आंगनबाड़ी सेविका यह सुनिश्चित करेंगी कि पोषण ट्रैकर में पूर्व से चिह्नित अति गंभीर कुपोषित बच्चों की सूचना सामार-एप्प में संकलित कर ली जाये. आंगनबाड़ी गांव स्तर पर प्रत्येक दिन कैंप लगाकर एएनएम (सहायक नर्स मिडवाइफ) की उपस्थिति में सभी संदिग्ध मामलों में कुपोषण (वजन, लंबाई, ऊंचाई), चिकित्सकीय जांच, भूख की जांच व एनीमिया की जांच सुनिश्चित करेंगी और प्रतिदिन की प्रगति रिपोर्ट समर डैश बोर्ड पर संकलित होगी.

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