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बच्चों को दी गयी अष्टांगिक मार्ग और आत्मज्ञान की सीख

प्रखंड मुख्यालय स्थित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में सोमवार को बुद्ध पूर्णिमा के शुभ अवसर पर श्रद्धा और भक्ति के साथ महात्मा गौतम बुद्ध की जयंती मनायी गयी.

सेन्हा. प्रखंड मुख्यालय स्थित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में सोमवार को बुद्ध पूर्णिमा के शुभ अवसर पर श्रद्धा और भक्ति के साथ महात्मा गौतम बुद्ध की जयंती मनायी गयी. कार्यक्रम की शुरुआत गौतम बुद्ध की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर एवं माल्यार्पण के साथ हुई. इस अवसर पर विद्यालय की वरिष्ठ आचार्या प्रतिभा देवी ने गौतम बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग और उनके जीवन दर्शन पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि गौतम बुद्ध का जन्म लुंबिनी (नेपाल) में हुआ था. उनके पिता का नाम शुद्धोधन एवं माता का नाम माया देवी था. विद्यालय के प्रधानाचार्य ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि बुद्ध पूर्णिमा बुद्ध के जीवन की तीन प्रमुख घटनाओं — जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण की स्मृति का दिन है. उन्होंने महात्मा बुद्ध द्वारा दिये गये उपदेशों जैसे ध्यान, साधना और आत्मज्ञान को विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत बताया. साथ ही एक प्रेरणादायक प्रसंग के रूप में अंगुलिमाल डाकू की कथा सुनायी गयी, जिसमें बताया गया कि किस प्रकार महात्मा बुद्ध ने एक हिंसक व्यक्ति का जीवन परिवर्तन कर उसे संत बना दिया. यह कथा विद्यार्थियों को बुराई का त्याग कर परोपकार और शांति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है. कार्यक्रम में विद्यालय की शिक्षिकाएँ मीना देवी, संध्या कुमारी, मालती कुमारी, शिक्षक जयप्रकाश सिंह, सुधीर उरांव, आनंद पांडेय, सहित अन्य आचार्य-आचार्या एवं सभी छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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