जमशेदपुर: जमात ए उलेमा हिंद के राष्ट्रीय संयोजक मौलाना असजद मदनी ने कहा कि मुसलमानों को आतंकवादी घटनाओं के फरजी मामलों में गिरफ्तार कर जेल में बंद किया जा रहा है. वर्षो बाद उक्त युवक निर्दोष साबित होकर रिहा किया जा रहे हैं.
ऐसे में सरकार से उनकी मांग है कि निर्दोष युवकों की गिरफ्तारी पर रोक लगायी जाये और रिहा होनेवाले मजबूर लोगों को उचित मुआवजा भी दिया जाये. उक्त बातें मौलाना मदनी ने धातकीडीह में आयोजित एक धार्मिक सभा को संबोधित करते हुए कही. मंगलवार को मगरिब की नमाज के बाद सभा को संबोधित करते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि आजादी की लड़ाई में जमीयत के उलेमा एकराम ने काफी कुर्बानियां दी है. हिंद की ओर से मसजिद, मदरसा, मकतब चलाये जा रहे हैं.
उनका संगठन राजनीतिक नहीं बल्कि मजहबी जमात है. मजहब के खिलाफ रचे जानेवाले किसी भी षडयंत्र के खिलाफ संगठन खुलकर विरोध प्रदर्शन करता है. निदरेषों की गिरफ्तारी और निरीह मुसलमानों पर किये जा रहे अत्याचारों के खिलाफ उनका संगठन मुखर होकर लड़ रहा है. बाबरी मसजिद की लड़ाई भी जमात ए उलेमा हिंद द्वारा लड़ी जा रही है. मौलाना मदनी ने कहा कि जिस तरह लड़कों के लिए तालिम जरूरी है, उसी तरह यह लड़कियों के लिए भी अनिवार्य होनी चाहिए. दोनों के लिए शर्त अलग-अलग है. मौलाना मदनी ने सभी मसजिदों में लाइब्रेरी-कंप्यूटर की व्यवस्था करने को कहा, ताकि लोग फायदा हो.
मरकजी मदरसा बोर्ड बिल का विरोध किया था, जिसे केंद्र सरकार ने वापस लिया. अगर यह लागू होता तो इससे नुकसान होता. बैठक की शुरुआत मौलाना असलम के कुरान पाठ से हुई. बैठक में डॉ सलीम, मंजर खान, हाफिज अनवर हुसैन, मुफ्ती निशात, मुफ्ती अमीरुल हसन, मुफ्ती जैनुल आबदीन, मुफती सगीर, हकीम समीउल्लाह, हाफिज हर अकरम, शकील अहमद, जमाल, रियाज शरीफ समेत अन्य लोग मौजूद थे.