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झारखंड : गुमला में बारिश की स्थिति चिंताजनक, अगस्त में 265 की जगह अबतक मात्र 119 मिमी हुई बारिश

गुमला जिले में सही से बारिश नहीं होने से क्षेत्र के किसान परेशान हैं. इस कारण धान की खेती में असर हुआ है. पर्याप्त बारिश नहीं होने से अगस्त माह के तीसरे सप्ताह तक भी समुचित खेती नहीं हो पायी है. अब तो किसान मोटे अनाज की खेती की ओर रूख करने लगे हैं.

गुमला, जगरनाथ पासवान : गुमला जिले में बारिश की स्थिति ठीक नहीं है. अगस्त माह में 265.7 मिलीमीटर सामान्य वर्षापात की जरूरत रहती है. जिसके विरूद्ध 18 अगस्त तक मात्र 119.9 मिमी सामान्य वर्षापात हुई है. बारिश कम होने के कारण ही खेतीबारी प्रभावित हो रही है. कृषि वैज्ञानिक की मानें, तो गुमला जिले में अच्छी खेतीबारी लायक जून माह में 205.3 मिमी, जुलाई माह में 299.7 मिमी और अगस्त माह में 265.7 मिमी सामान्य वर्षापात की जरूरत रहती है. जिसके विरूद्ध जून माह में महज 115 मिली, जुलाई माह में 170.2 मिमी तथा अगस्त माह में 18 अगस्त तक 119.9 मिमी सामान्य वर्षापात हुई है.

आधा से कम हुई बारिश

तीन माह जो बारिश का मौसम होता है. इसमें आधा से कम बारिश हुई है. चूंकि, गुमला पठारी इलाका है. इस कारण जो बारिश हुई. वह भी खेत व टाड़ में न जमा होकर सीधे नदियों में चला गया. गुमला जिला में कई बड़ी नदियां हैं. ऊंचे पहाड़ च जंगलों से निकलने वाली बारिश की पानी सीधे नदियों में जाकर समा जाता है. जिस कारण धान की खेती में असर हुआ है. अगर यहां डैम है तो वह भी खेती योग्य नहीं है. तालाब व डोभा भी ज्यादा उपयोगी नहीं है. डोभा तो मृत प्राय हो गया है.

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अच्छी बारिश नहीं होने से नहीं हो रही समुचित खेती

बारिश के बाद गुमला जिला में खरीफ फसलों के खेतीबारी पर नजर डाले, तो यह चिंताजनक है. खरीफ के विभिन्न फसलों धान, मक्का, जवार, बाजरा, मड़ुआ, अरहर, उरद, मूंग, कुल्थी, मूंगफल, तिल, सोयाबीन, सूर्यमुखी, अरंडी आदि की खेती जून से शुरू होने के बाद जुलाई माह तक में खत्म हो जाती थी. इसके बाद किसान तैयार हो रहे पौधों और उसमें लगने वाले फलों की देखरेख में जूट जाते थे. लेकिन, इस साल बारिश की स्थिति ठीक नहीं रहने के कारण इधर अगस्त माह के तीसरे सप्ताह तक भी समुचित खेती नहीं हो पायी है.

18 अगस्त तक जिले में 60 प्रतिशत ही धान की खेती

जिला कृषि कार्यालय के रिपोर्ट के मुताबिक, गत 18 अगस्त तक जिले भर में 60 प्रतिशत ही धान की खेती हो पायी है. प्रत्येक वर्ष खरीफ मौसम में जिले भर में 1.88 लाख हेक्टेयर भूमि पर धान आच्छादन का लक्ष्य रहता है. जिसके विरूद्ध 1,12,085 हेक्टेयर भूमि पर ही खेती हो सकी है. जिसमें छींटा विधि से 32,226 तथा रोपा विधि से 79,859 हेक्टेयर भूमि पर खेती हुई है.

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गुमला जिला का मुख्य फसल है धान

बता दें कि धान गुमला जिला का मुख्य फसल है. लेकिन, पर्याप्त बारिश के अभाव में अब तक जिले के प्राय: प्रखंडों में 40 से 80 प्रतिशत तक ही धान की खेती हो सकी है. वहीं, मक्का 78 प्रतिशत, मड़ुआ 71 प्रतिशत, अरहर 51 प्रतिशत, उरद 75 प्रतिशत, मूंग 37 प्रतिशत, कुल्थी 10 प्रतिशत अन्य दलहन 22 प्रतिशत, मूंगफली 82 प्रतिशत, तिल पांच प्रतिशत, सोयाबीन एक प्रतिशत तथा सरगुजा की खेती 17 प्रतिशत ही खेती हो सकी है. इसी प्रकार खरीफ के अन्य फसलों ज्वार, बाजरा, सूर्यमुखी और अरंडी की खेती शुरू तक नहीं हो सकी है. बीते वर्ष मड़ुआ के आच्छादन लक्ष्य से भी कम खेती होने के बावजूद इसकी खेती इस वर्ष काफी अच्छी है.

मड़ुआ की खेती पर जोर

पिछले साल की अपेक्षा इस साल अब तक दोगुणा से भी अधिक मड़ुआ की खेती हो चुकी है. एक साल पहले तक मड़ुआ की खेती जिले भर में लगभग 1500 हेक्टेयर भूमि पर ही होती थी. इसके बाद गत वर्ष मड़ुआ की खेती का विस्तार हुआ और लगभग 3500 हेक्टेयर भूमि पर मड़ुआ की खेती की गयी. वहीं, इस वर्ष 10 हजार हेक्टेयर भूमि पर मड़ुआ की खेती का लक्ष्य तय किया गया है. जिसके विरूद्ध 71 प्रतिशत मड़ुआ की खेती हो चुकी है.

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