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शैक्षणिक कार्य से ज्यादा गैर शैक्षणिक कार्यों में बीत रही शिक्षकों की दिनचर्या

सरकारी स्कूलों में शिक्षण व्यवस्था को दुरूस्त करने का पीटा जा रहा है ढिंढोरा

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गोड्डा जिले के सरकारी स्कूलों में शिक्षण व्यवस्था को दुरूस्त करने को लेकर केवल आई वॉश हो रहा है. पठन-पाठन व्यवस्था को दुरूस्त करने की दिशा में केवल दिखावा हो रहा है, जो वास्तविकता में घोर कमी को दर्शाता है. इस दिशा में बेहतर करने की कवायद जिला प्रशासन द्वारा की जाती है, मगर मामला जस का तस है. एक तो जिले में सरकारी स्कूलों की बेहतरी में लगे मानव संसाधन की घोर कमी है. पूरे जिले में सरकारी स्कूलों की संख्या 1519 है, जिसमें जानकारी के अनुसार तकरीबन 500 के आसपास स्कूलों में मात्र एक शिक्षक हैं. एक शिक्षकों से स्कूल का संचालन किया जा रहा है, जिसका परिणाम यह है कि शिक्षक का अधिकांश समय शैक्षणिक कार्य को छोड़कर गैर शैक्षणिक कार्य में बीत रहा है. पूरे दिन स्कूल में बच्चों की उपस्थिति से लेकर मिड डे मील आदि तक की रिपोर्ट तैयार करनी पड़ती है. इसे जिला स्तर पर भेजना पड़ता है. इसके अलावा स्कूलों में कई काम हुए, जिसमें शिक्षकों का समय बीत रहा.

कई स्कूलों में एक शिक्षक से चलाया जा रहा है काम

जहां कई शिक्षक होते हैं, वहां तो कमोबेश पठन-पाठन हो जाता है और जहां एक शिक्षक की व्यवस्था रही है वहां पठन-पाठन भगवान भरोसे है. अकेले गोड्डा प्रखंड में तकरीबन 300 की संख्या में सरकारी स्कूलों की संख्या है, जिसमें 100 से अधिक स्कूलों में मात्र एक शिक्षक हैं. सदर प्रखंड के नेपूरा पंचायत के ककना स्कूल में कुल बच्चों की संख्या 300 के समीप है, जबकि वहां मात्र दो शिक्षक कार्यरत हैं. वहीं बगल के स्कूल मालिनी में 200 बच्चों पर 8 शिक्षक कार्यरत हैं. ऐसे में पठन-पाठन की बेहतरी का अंदाजा स्वयं लगाया जा सकता है. मुखिया सुजिता देवी सहित गांव के कई लोगों ने कम शिक्षको का रोना रोया. बताया कि इससे गांव के बच्चों का भविष्य मारा जा रहा है. बीइइओ से मामले की शिकायत की, लेकिन परिणाम शून्य निकला. जानकारी के अनुसार सीबीएसइ पैटर्न के अनुसार कक्षा 1 से 5 तक 35 बच्चों पर एक शिक्षक व 6 से 8 तक 40 बच्चों पर एक शिक्षक रखने का प्रावधान है. लेकिन मापदंड की ऐसी तैसी कर दी गयी है. शिक्षकों के प्रतिनियोजन में भी इस मामले में विभागीय स्तर पर ध्यान नहीं दिया गया. वहीं विभिन्न कार्याें को लेकर शिक्षकों को कई बार बीआरसी कार्यालय का भी चक्कर काटना पड़ता है, वह परेशानी अलग से है.

11 एजुकेशन ब्लॉक में मात्र एक बीइइओ, सेवानिवृति के बाद नहीं हुआ पदस्थापन

जिले के शैक्षणिक व्यवस्था को दुरूस्त करने में दिनों-दिन मानव संसाधन की घोर कमी होती जा रही है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिले में प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी की संख्या मात्र एक रह गयी है. पूरे जिले में एजुकेशन ब्लॉक की संख्या 11 है, जबकि प्रखंड नौ है. गोड्डा व पोड़ैयाहाट में दो-दो एजुकेशन ब्लॉक हैं. पूरे जिले में मात्र एक बीइइओ वीणा कुमारी बच गयी है. बाहा शांति मरांंडी 31 मार्च को गोड्डा प्रखंड से सेवानिवृत हो गयी है. वैसे भी उनके रहने अथवा नहीं रहने से कोई पर्सनल मॉनिटरिंग नहीं हो रहा था. केवल गिनाने भर काम चल रहा था. वहीं दिनो-दिन प्रखंड संसाधन केंद्र में कार्यरत संकुल साधनसेवियों की संख्या भी दिनों-दिन कम हो रही है. कई सेवानिवृत हो गये हैं. नयी बहाली नहीं हो पायी है. ऐसे में स्कूलों में मॉनिटरिंग करने के गुणवत्ता में सुधार के बजाय गिरावट होना तय है.

सरकारी स्कूलों के लिए अब तक सरकारी पुस्तकें उपलब्ध नहीं

स्कूलों में तो यह हाल है कि अब तक सरकारी स्कूलों में सरकारी पुस्तकों को मुहैया नहीं कराया गया है, जबकि नये साल का सेशन प्रारंभ हो जाएगा. सरकारी स्कूलों में देरी से पुस्तकों के वितरण से भी स्कूलों में बच्चों के पठन-पाठन पर असर पड़ना तय है. हर साल राज्य से ही सरकारी पुस्तकों का वितरण किया जाता है. इसमें जिला स्तर पर कोई गड़बड़ी नही है. लेकिन खामियाजा तो जिले के बच्चों को ही भुगतना पड़ता है. इस बार बच्चों के बीच पोशाक वितरण में भी देरी हुई थी. ठंड शुरू होने के बाद भी सरकारी स्वेटर समय पर मुहैया नहीं कराया गया था. हालांकि कुछ दिनों से डीसी के स्तर से स्कूलों की मॉनिटरिंग का कार्य तो रेस पकड़ा है. लेकिन यह देखना है कि यह व्यवस्था कब तक सुचारू रूप से चल पाती है या केवल ढिंढोरा पीटने वाली बात ही रह जाती है.

‘स्कूलों में शिक्षकों को प्रतिनियुक्त करने में रेशनालाइजेशन का काम अप्रैल माह में किया जाएगा. स्कूलों में शिक्षकों की विषमता को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. जहां तक बीइइओ की प्रतिनियुक्ति का सवाल है, उसके लिए राज्य स्तर पर पत्राचार किया गया है. अभी फिलहाल एक बीइइओ को पूरे जिले का प्रभार सौंपा गया है. स्कूलों में ग्राउंड लेवल से सुधार करने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि पठन-पाठन में आमूल-चूल परिवर्तन हो.

-दीपक कुमार, डीएसई, गोड्डाB

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