संवाददाता, गोड्डा. जिला भाषा को झारखंड सरकार द्वारा तैयार की गई शिक्षक पात्रता नियमावली 2025 में शामिल न किए जाने पर विरोध तेज हो गया है. इसको लेकर एक प्रतिनिधिमंडल ने गोड्डा डीसी के माध्यम से राज्यपाल, मुख्यमंत्री, शिक्षा सचिव और निदेशक को ज्ञापन सौंपा. प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि झारखंड सरकार के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने सभी जिलों के डीईओ और डीएसई को पत्र जारी कर शिक्षक पात्रता नियमावली 2025 के अनुपालन का निर्देश दिया है, लेकिन संथाल परगना के गोड्डा, साहेबगंज, पाकुड़, दुमका, देवघर और जामताड़ा जिलों में कुड़मालि भाषा को शामिल नहीं किया गया है, जबकि इन जिलों में कुड़मालि मातृभाषा वाले कुड़मि समुदाय के लोग सदियों से निवास करते आ रहे हैं. प्रतिनिधियों ने बताया कि वर्ष 2022 में भी नियुक्ति नियमावली से कुड़मालि भाषा को बाहर रखा गया था, जिसके विरोध में कुड़मि समुदाय को आंदोलन करना पड़ा था. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित कई मंत्रियों को ज्ञापन सौंपे गए थे. बाद में सरकार ने नियुक्ति नियमावली में संशोधन कर कुड़मालि समेत अन्य भाषाओं को सभी जिलों में समान रूप से मान्य किया था. विरोध दर्ज कराते हुए प्रतिनिधिमंडल ने दो सूत्री मांग रखी—पहली, शिक्षक पात्रता नियमावली 2025 में संशोधन कर संथाल परगना के सभी जिलों में कुड़मालि भाषा को जोड़ा जाए. दूसरी, सभी जिलों के लिए चिन्हित भाषाओं को राज्य स्तर पर समान रूप से मान्यता दी जाए. प्रतिनिधिमंडल में संथाल परगना संयोजक संजीव कुमार महतो, सह संयोजक दिनेश कुमार महतो, किशोर कुमार महतो, गौतम कुमार महतो, प्रेमलता महतो, संजय महतो, उदय महतो, नकुल कुमार महतो, दिलीप कुमार महतो, पंकज महतो, सोनू महतो, दशरथ महतो, संतोष महतो, सोनू कुमार महतो, कमलेश महतो, सुनील कुमार महतो और पिंटू कुमार महतो शामिल थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है