जांच में निजी कार्य बताकर बचने का हो रहा है प्रयास
प्रतिनिधि, बेंगाबाद
मनरेगा योजना में समय पर भुगतान नहीं होने का असर प्रखंड में दिखने लगा है. अब इस योजना के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं. काम करने के बाद पैसे के लिए लंबे समय तक इंतजार की समस्या से मजदूर काम करने से कतराने लगे हैं. इधर, काम को नियमित करने के विभागीय दबाव बढ़ता जा रहा है. इसका परिणाम यह निकल रहा है कि योजनाओं में जेसीबी का सहारा लिया जा रहा है. ऐसे में मनरेगा प्रावधानों की धज्जियां उड़ाईं जा रहीं हैं. बेंगाबाद की सुदूरवर्ती पंचायताें में यह मामला इन दिनों काफी बढ़ गया है. हालांकि, विभाग ने जेसीबी के संचालन पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा रखा है. इसके बावजूद चोरी छिपे जेसीबी से काम लिया जा रहा है. काम के बाद कुछ मजदूरों को जेसीबी का चिह्न भी मिटा दिया जाता हैं. साथ ही पुराने डोभा को नया करने में भी जेसीबी का प्रयोग किया जा रहा है. कूप की खुदाई 1012 फीट तक जेसीबी से की जा रही है. इसके बाद उसमें मजदूर लगाकर छंटनी का काम भी धड़ल्ले से हो रहा है.अधिकारी जांच के लिए कम ही आते हैं
समय पर पैसे का भुगतान नहीं होने से अधिकारी भी जांच के लिए बहुत कम ही निकलते हैं. इसका लाभ लाभुक पंचायत कार्य एजेंसी की मिलीभगत से उठा रहे हैं. कभी-कभार सूचना मिलने पर जब अधिकारी जांच को पहुंचते हैं, तो उसे निजी कार्य बताकर बचने का प्रयास किया जाता है. हालांकि योजनाओं की सूची सार्वजनिक नहीं करने और योजनास्थल पर बोर्ड नहीं लगाये जाने के कारण यह धंधा फल-फूल रहा है. जानकारों के मुताबिक लुप्पी में प्रतिदिन मजदूरों से मनरेगा कार्य संचालित होने का दावा किया जा रहा है, जबकि वास्तव में कार्यस्थल की जांच में मजदूर नहीं मिलते हैं. इस पंचायत में पुराने डोभे की जांच करने पर कई खुलासे होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. यही हाल झलकडीहा व ताराटांड़ पंचायत का है. यहां भी जेसीबी के इस्तेमाल का मामला सामने आ चुका है. दो दिन पूर्व मानजोरी में एक पंचायत प्रतिनिधि द्वारा जेसीबी से डोभा बनाये जाने का मामला सामने आया है. मामला सामने आने के बाद बीडीओ सुनील कुमार मुर्मू ने इसे गंभीरता से लिया है. झलकडीहा में वे स्वयं जांच के लिए पहुंचे. वहीं, लुप्पी व मानजोरी में बीपीओ को जांच के लिए भेजा था. सभी मामले में निजी कार्य का हवाला दिया गया. इधर, कर्णपुरा पंचायत में भी पुराने टीसीबी को नया करने का खेला चल रहा है. यदि पूर्व की योजना की जांच हो, तो उसमें भी जेसीबी से काम करने का खुलासा हो जायेगा.क्या कहते हैं बीडीओ
बीडीओ सुनील कुमार मुर्मू का कहना है कि समय पर पैसे का भुगतान नहीं होना केंद्र और राज्य का विषय है. किसी भी सूरत में मनरेगा योजना में जेसीबी का इस्तेमाल नहीं करना है. जहां-जहां से जानकारी मिली है, सभी जगहों की जांच करायी गयी है. कहा कि पंचायतों में संचालित योजनाओं को सार्वजनिक करने का निर्देश दिया गया है. कार्यस्थल पर बोर्ड पहले लगाना जरूरी है. शीघ्र ही पंचायतों का भ्रमण किया जायेगा. इसमें पुरानी योजनाओं को नया करनेवाले पंचायतों की एजेंसी पर कार्रवाई की जायेगी.
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