Jharkhand News: पिछले 12 दिनों से घूम रहे आदमखोर तेंदुआ का आतंक कायम है, लेकिन उसे पकड़ने में अभी तक वन विभाग नाकाम साबित हुआ है. पकड़ने की बात तो दूर, अभी तक वन विभाग के कैमरे में तेंदुआ का चित्र भी नहीं आ सका है. हर दिन तेंदुआ के संभावित हमले एवं आवागमन के मार्ग पर कैमरा और पिंजड़ा लगाया जा रहा है, लेकिन हर बार तेंदुआ पकड़ से बाहर ही रह रहा है. रंका और चिनियां के सीमांत क्षेत्र में तेंदुआ की गतिविधियां लगातार चल रही है.
तेंदुआ से डरे- सहमे हैं ग्रामीण
कुछ ग्रामीण और जानकारों का मानना है कि तेंदुआ की संख्या एक से अधिक हो सकती है क्योंकि तेंदुआ के हमले की घटनाएं एक स्थान पर नहीं, बल्कि अलग-अलग स्थान पर हो रही है. इधर, तेंदुआ के हमले से भंडरिया, रंका, चिनियां, डंडई व धुरकी की सीमा पर रहनेवाले ग्रामीणों में दहशत व्याप्त हो गया है. लोग शाम होते ही अपने घरों में दुबक जा रहे हैं. मनुष्यों के अलावा पशुओं को भी अब घर के अंदर बांधा जा रहा है.
नववर्ष की पिकनिक मनाने वालों पर पड़ेगा असर
यदि आदमखोर तेंदुआ को जल्द से जल्द पकड़ा नहीं गया, तो इस बार नववर्ष पर पिकनिक मनाने वालों की संख्या पर इसका असर पड़ सकता है. गढ़वा जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल में शामिल गुरुसिंधू जलप्रपात चिनियां के घने जंगल के बीच कनहर नदी पर स्थित है. इसके अलावा इसी प्रखंड के चिरका डैम स्थल पर भी पिकनिक मनाने काफी लोग जाते हैं. इसी जंगल से सटा हुआ धुरकी का सुखलदरी जलप्रपात भी है. यहां भी हजारों की संख्या में लोग पिकनिक मनाते हैं, लेकिन इस बार तेंदुआ की वजह से लोग अपनी पहली जनवरी का पिकनिक रद्द करने का मन बना रहे हैं.
सीधे हमले के बाद ट्रेसलेस है तेंदुआ
वन विभाग की ओर से तेंदुआ को पकड़ने के लिए काफी मेहनत की जा रही है, लेकिन सफलता हाथ नहीं लग रही है. इधर, 22 दिसंबर, 2022 को चिनियां के सिदे गांव में एक बछड़े पर हमला करने के बाद तेंदुआ ट्रेसलेस माना जा रहा है. इस बीच रंका के लरकोरिया में एक बकरी को मारे जाने की खबर आयी थी, लेकिन वहां वनकर्मियों ने जब जाकर जांच की तब न तो तेंदुआ का कोई पगमार्ग मिला और न ही बकरी के शव को देखने से तेंदुआ की स्थिति स्पष्ट हो सकी.
तेंदुआ कभी पीछे से हमला नहीं करता : वन प्रमंडल पदाधिकारी
दक्षिणी वन प्रमंडल पदाधिकारी शशि कुमार ने बताया कि तेंदुआ कभी भी पीछे से हमला नहीं करता है. वह गर्दन को पकड़ता है. इसलिए लरकोरिया गांव में बकरी को मारे जाने का तेंदुआ का नहीं है. इसी तरह उन्होंने चिनियां के पाल्हे गांव में भी मुर्गियों के मारे जाने को भी तेंदुआ का हमला मानने से इनकार किया है. इस हिसाब से अब तेंदुआ तीन दिन से ट्रेसलेस है. वह कहां और किस क्षेत्र में है यह पदाधिकारी भी समझ नहीं पा रहे हैं.
पाल्हे गांव में रविवार को भी लगाया गया केज
रविवार को भी वन विभाग की ओर से तेंदुआ को पकड़ने के लिये पाल्हे गांव के पास पिंजड़ा लगाया गया. दक्षिणी वन प्रमंडल पदाधिकारी श्री कुमार ने बताया कि अभी इसी क्षेत्र को सही मानकर पिंजड़ा लगाया जा रहा है.
तीन और पिंजड़ा मंगाया गया
आदमखोर तेंदुआ को पकड़ने के लिए यूपी के मेरठ से तीन और ऑटोमैटिक पिंजड़ा मंगाया गया है. इसके अलावे जाल भी लगाया जा रहा है. कैमरों की संख्या भी बढ़ायी जा रही है. डीएफओ श्री कुमार ने बताया कि वे लगातार तेंदुआ की गतिविधियों पर नजर रखे हुए है.
हाथियों का झुंड भी ट्रेसलेस
इधर, तेंदुआ के अलावे गढ़वा जिले में मौजूद हाथियों का झुंड भी ट्रेसलेस हो गया है. उसे अंतिम बार गोबरदाहा गांव में देखा गया था, लेकिन उसके बाद ग्रामीण उसके वहां होने की पुष्टि नहीं कर पा रहे हैं. अनुमान लगाया जा रहा है कि हाथी पलामू के चैनपुर की ओर चला गया होगा. उल्लेखनीय है कि हाथियों का यह झुंड कोयल नदी पार कर मझिआंव से सटे बकोईया गांव होते हुए गोबरदाहा तक पहुंचा था. इसमें तीन बच्चों सहित कुल 13 सदस्य थे. इसके अलावे भी एक हाथी के भंडरिया में होने की पुष्टि डीएफओ ने की है, लेकिन भंडरिया से सटे जंगल में जो हाथी मौजूद है वह इस झुंड का नहीं है. भंडरिया के जंगल में अकेला हाथी के होने की सूचना है.
रिपोर्ट : पीयूष तिवारी, गढ़वा.