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Dhanbad News : बीबीएमकेयू में पांच मई तक खत्म करना था 77 करोड़ की परियोजना का काम, अब तक नहीं हुआ शुरू

इस राशि से लैब व लाइब्रेरी की स्थापना के साथ विभिन्न विभागों में फर्नीचर की आपूर्ति करनी थी

बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय (बीबीएमकेयू) में 77 करोड़ रुपये की लागत से लैब व लाइब्रेरी की स्थापना के साथ प्रशासनिक भवन और पीजी विभागों में फर्नीचर की आपूर्ति का काम शुरू नहीं हो पाया है. झारखंड स्टेट बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन लिमिटेड (जेएसबीसीसीएल) द्वारा इस परियोजना के लिए टेंडर जारी किया गया था और कार्य प्राप्त करने वाली कंपनी को पांच मई 2025 तक निर्माण कार्य पूरा करना था. लेकिन समयावधि समाप्त होने के बाद भी न तो फर्नीचर की आपूर्ति शुरू हुई और न ही अन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण शुरू हो पाया.

फर्नीचर के ब्रांड को लेकर विवाद :

परियोजना में देरी का प्रमुख कारण फर्नीचर के ब्रांड को लेकर उत्पन्न विवाद बताया जा रहा है. विश्वविद्यालय द्वारा राज्य सरकार की सहमति से तैयार किये गये विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन में ‘डूरियन’ ब्रांड के फर्नीचर की आपूर्ति का उल्लेख किया गया था. इसके विपरीत, जेएसबीसीसीएल ने ‘जीकेन’ ब्रांड के फर्नीचर के लिए टेंडर जारी कर दिया. इसे लेकर विवि प्रशासन ने आपत्ति जतायी. विवि का कहना है कि डीपीआर में उल्लेखित ब्रांड के अनुसार ही आपूर्ति होनी चाहिए, ताकि गुणवत्ता और अनुकूलता सुनिश्चित हो सके.

राज्य सरकार का हस्तक्षेप और समाधान का प्रयास :

मामले में विवि ने राज्य सरकार से मार्गदर्शन की मांगा है. इसके बाद जेएसबीसीसीएल ने सुझाव दिया कि विवि को डूरियन, जीकेन और फेदरलाइड, इन तीन ब्रांडों में से किसी एक को चुनने की स्वतंत्रता है. विवि प्रशासन ने डूरियन ब्रांड को ही प्राथमिकता दी, क्योंकि यह डीपीआर में पहले से उल्लेखित था और जेएसबीसीसीएल द्वारा भी प्रस्तावित था. डूरियन ब्रांड पर सहमति के बावजूद अब तक ठेका प्राप्त कंपनी की ओर से विवि प्रशासन से कोई आधिकारिक संपर्क नहीं किया गया है. इस कारण न केवल फर्नीचर की आपूर्ति रूकी हुई है, बल्कि लैब और लाइब्रेरी की स्थापना का कार्य भी आगे नहीं बढ़ सका है.

परियोजना का ढांचा और अनुमानित व्यय :

इस 77 करोड़ रुपये की परियोजना में से लगभग 35 करोड़ रुपये फर्नीचर की आपूर्ति के लिए निर्धारित हैं, जबकि शेष राशि से आधुनिक प्रयोगशालाएं और पुस्तकालय बनाये जाने हैं. यह कार्य भी ठेका प्राप्त कंपनी को ही करना है. ताकि संपूर्ण परियोजना एकीकृत रूप से संचालित हो सके. हालांकि चर्चा है कि ठेकेदार कंपनी को कार्य पूर्ण करने के लिए अतिरिक्त समय दिया जा सकता है, लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए स्पष्ट नहीं है कि कार्य कब तक शुरू होगा. वहीं इधर यह देखना अहम होगा कि राज्य सरकार और जेएसबीसीसीएल मिलकर इस मुद्दे का शीघ्र समाधान कर पाते हैं या नहीं, ताकि बीबीएमकेयू में छात्रों को आधुनिक सुविधाएं समय पर उपलब्ध करायी जा सकें.

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