धनबाद. लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व चैती छठ मंगलवार को नहाय खाय के साथ शुरू हो गया. चार अप्रैल को भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करने के बाद महापर्व पूरा होगा. आज नहाय खाय को लेकर व्रतियों ने नियम के साथ भगवान भास्कर को नमन किया और व्रत को निर्विघ्न पूरा करने का संकल्प लिया. इस अवसर पर कहीं मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से तो कहीं गैस पर अरवा चावल, चने की दाल व कद्दू की सब्जी बनाकर भगवान भास्कर को अर्पित करने के बाद परवैतीनों ने ग्रहण किया. इसके बाद परिजनों व अन्य लोगों ने कद्दू-भात का प्रसाद ग्रहण किया.
कल होगा खरना : बुधवार को खरना है. इसे लोहंडा भी कहते हैं. खरना के दिन व्रती सुबह से ही निर्जला उपवास रख शाम को स्नान करने के बाद नियम से खीर, रसिया, पूड़ी बनाकर छठी मइया को भोग लगायेंगी. उसके बाद स्वयं प्रसाद ग्रहण करेंगी. फिर परिजनों व इस्ट-मित्रों में प्रसाद वितरित किया जायेगा. खरना के बाद से व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जायेगा.यह भी पढ़ें
– काजल किन्नर पहली बार कर रहीं चैती छठ
किन्नर समाज की काजल किन्नर पहली बार चैती छठ कर रही हैं. काजल ने सुबह नियम से नहाय खाय की परंपरा निभायी. अरवा चावल, चने की दाल, कद्दू की सब्जी बनाकर ग्रहण किया. मौके पर उपस्थित अन्य किन्नरों ने उनका हाथ बंटाया. अखिल भारतीय किन्नर समाज की प्रदेश अध्यक्ष छमछम किन्नर ने बताया कि हमने छठी मइया से मन्नत मांगी थी कि धनबाद में सम्मेलन के बाद छठ का व्रत रखूंगी. मैंने 50 सालों तक कार्तिक माह का छठ व्रत किया है. अस्वस्थ रहने के कारण काजल किन्नर इस संकल्प को पूरा कर रही हैं. मटकुरिया में छठ पूजा की जायेगी. समाज के साथ ही अन्य लोगों को खरना का महाप्रसाद खाने के लिए निमंत्रण दिया गया है. विकास नगर छठ तालाब में अर्घ्य अर्पित किया जायेगा.छठ व्रत को लेकर किन्नर समाज में उत्साह है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है