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26 साल संघर्ष के बाद विवादित कपसिया बांध का आया फैसला

डीसी कोर्ट ने एसडीओ कोर्ट के आदेश को किया रद्द अपीलकर्ताओं को मिली राहत, उतरकारियों को लगा झटका देवघर : उपायुक्त न्यायालय द्वारा देवीपुर प्रखंड के कपसिया गांव स्थित विवादित कपसिया बांध के मामले में फैसला आ गया है. इस मामले में अपील करने वालों की अपील मंजूर कर ली गयी व लोअर कोर्ट के […]

डीसी कोर्ट ने एसडीओ कोर्ट के आदेश को किया रद्द

अपीलकर्ताओं को मिली राहत, उतरकारियों को लगा झटका
देवघर : उपायुक्त न्यायालय द्वारा देवीपुर प्रखंड के कपसिया गांव स्थित विवादित कपसिया बांध के मामले में फैसला आ गया है. इस मामले में अपील करने वालों की अपील मंजूर कर ली गयी व लोअर कोर्ट के पारित आदेश को रद्द कर दिया है. अपीलकर्ताओं को इस बांध के लिए 26 साल संघर्ष करने के बाद राहत मिली है. यह आदेश उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा की अदालत द्वारा पारित किया गया है.
क्या था यह मामला : कपसिया गांव में एक बड़ा बांध है. इस बांध के स्वामित्व को लेकर विवाद हुआ था. अनुमंडल न्यायालय देवघर में पृथ्वी मरीक व अन्य ने राजस्व विविध वाद 174/1991-92 दाखिल किया था जिसमें गांव के दूसरे दावेदारों महेंद्र मरीक व अन्य ने अपना दावा किया था. इसके अलावा गांव के सोलह आना रैयत ने खास होने का दावा किया था.
एसडीओ कोर्ट ने इस मामले में 25 सितंबर 1992 को आवेदकों यानि पृथ्वी मरीक व अन्य के पक्ष में आदेश पारित कर दिया था. इसी आदेश के विरुद्ध महेंद्र मरीक व उनके अन्य हिस्सेदारों ने अपील याचिका संख्या 78/19-93 डीसी देवघर के यहां दाखिल की थी. इसी वाद को लेकर गांव के सोलह आना रैयत की ओर से भी अपील अलग से की गयी थी. दोनों अपील की सुनवाई एक साथ की गयी. इसमें अपीलकर्ताओं व उतरकारियों की ओर से अपना-अपना पक्ष रखा गया था. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद एसडीओ कोर्ट के आदेश को डीसी कोर्ट द्वारा रद्द कर दिया गया. इससे लोअर कोर्ट के आवेदकों यानि पृथ्वी मरीक व अन्य को झटका लगा है. ट्रायल के दौरान कई लोगों की बुढ़ापे के चलते मौत भी हुई व उनके जगह पर वारिशानों का नाम जुटता गया. इधर अपीलकर्ताओं को कोर्ट से राहत मिल गयी है.
विवाद रहने से बांध में उग आये हैं जलकुंभी
लंबे समय से विवाद चलते रहने के कारण बांध जिसका दाग नंबर 344 है व रकवा कई एकड़ है. इसमें मरम्मत के अभाव में तालाब का पिंड जीर्ण-शीर्ण हो चुका है. तालाब में जलकुंभी उग आने से पानी प्रदूषित हो गया है. मछली पालन का कार्य की ढाई दशकों से बंद है. विवाद का पटाक्षेप हो जाने से गांव के लोगों में हर्ष है.

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