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चतरा का एकमात्र रेलवे आरक्षण केंद्र जर्जर

जिले का एकमात्र रेलवे आरक्षण केंद्र का हाल बेहाल है. केंद्र का भवन जर्जर हो चुका है. भवन की स्थिति ऐसी है कि यह किसी भी समय धराशायी हो सकता है.

चतरा. जिले का एकमात्र रेलवे आरक्षण केंद्र का हाल बेहाल है. केंद्र का भवन जर्जर हो चुका है. भवन की स्थिति ऐसी है कि यह किसी भी समय धराशायी हो सकता है. बारिश के दिनों में छह से पानी टपकता है, वहीं दीवारें भी क्षतिग्रस्त हो चुकी है. मरम्मत के अभाव में पूरे भवन में दरारें पड़ चुकी है. भवन की स्थिति यह है कि बारिश का पानी केंद्र में गिरने से इलेक्ट्रॉनिक उपकरण खराब हो चुके हैं. यहां 15 दिनों से टिकट बुकिंग की सिस्टम ठप है. ऐेसे में लोगों को टिकट कटाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. भवन में कार्यरत कर्मचारियों में हमेशा भवन के गिरने का भय बना रहता है. वहीं टिकट कटाने आनेवाले लोगों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बताया जाता है कि लगातार पानी टपकने से कभी कंप्यूटर, तो कभी प्रिंटर मशीन खराब हो चुकी है. कर्मियों के अनुसार पानी टपकने से दस्तावेज भी भींगकर बर्बाद हो रहे हैं. यात्री हर रोज लोग टिकट कटाने पहुंचते हैं, लेकिन सिस्टम खराब होने की बात सुन वापस लौट जाते हैं. लोग ऑनलाइन बुकिंग पर ही निर्भर हैं, जिससे अतिरिक्त शुल्क देना पड़ रहा है. तत्काल टिकट मिलना मुश्किल होता है. यहां रेलवे टिकट बुक कराने चतरा जिला मुख्यालय के अलावा सिमरिया, टंडवा, कुंदा, प्रतापपुर, कान्हाचट्टी, हंटरगंज, इटखोरी, मयूरहंड, लावालौंग, गिद्धौर, पत्थलगड्डा प्रखंड से भी लोग पहुंचते हैं. लोगों के अनुसार पूर्व में भी लंबे इंतजार के बाद टिकट मिलता है. इसका कारण केंद्र में एकमात्र काउंटर का होना है. आये दिन मशीनें होती हैं खराब: बताया जाता है कि केंद्र में स्टेपलाइजर नहीं है. इस कारण वोल्टेज घटने व बढ़ने से परेशानी होती है. कभी हाई वोल्टेज होने पर प्रिंटर व अन्य मशीनें खराब हो जाती हैं. इसके अलावा शौचालय व पेयजल की सुविधा नहीं है. आरक्षण पर्यवेक्षक को ड्यूटी के दौरान काउंटर बंद कर बाहर निकलना पड़ता है. आरक्षण पर्यवेक्षक ही गर्मी में लोगो की पानी की व्यवस्था कराते हैं. 21 साल पूर्व बना था भवन: कंप्यूटरीकृत रेलवे आरक्षण कार्यालय का उदघाटन 12 दिसंबर 2004 को हुआ था. तत्कालीन सांसद धीरेंद्र अग्रवाल की पहल पर तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद ने इसका उदघाटन किया था. भवन बने 21 साल हो गये, लेकिन एक बार भी मरम्मत नहीं हुई. इससे धीरे-धीरे भवन जर्जर होता चला गया. केंद्र सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक खुलता है. हर रोज 35-40 टिकट यहां कटता है. ग्रामीणों की पीड़ा: उज्जवल कुमार: लेम गांव के उज्ज्वल कुमार ने कहा कि चेन्नई के लिए टिकट कटाने बुधवार को केंद्र पहुंचा, लेकिन सिस्टम खराब होने के कारण टिकट नहीं मिल पाया. बिना टिकट लिए वापस लौटना पड़ा. मनु कुमार: चुड़ीहार मुहल्ला के मनु कुमार ने कहा कि चार दिन से टिकट के लिए केंद्र का चक्कर लगा रहे हैं. हैदराबाद के लिए तत्काल टिकट कटाना था. टिकट नहीं कटने से काफी परेशानी हो रही है. मो फरहान: लाइन मुहल्ला के मो फरहान ने कहा कि बेंगलुरू का टिकट कटाने के लिए दो दिनों से कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन टिकट नहीं मिल पा रही है. परेशानी हो रही है. मनीष कुमार: लाइन मुहल्ला के मनीष कुमार ने कहा कि दिल्ली के लिए टिकट कटाने के लिए केंद्र में दो दिनों से चक्कर लगा रहे हैं. कभी प्रिंटर खराब होने, तो कभी लिंक नहीं रहने की बात कही जा रही है. वर्जन:::: भवन की स्थिति जर्जर है. हमेशा भवन के गिरने का खतरा बना रहता है. डर के साये में काम करना पड़ रहा है. बारिश में अधिक परेशानी हो रही है. भवन जर्जर होने की जानकारी सीटीआइ कोडरमा को कई बार दी गयी. सीटीआइ ने बुधवार को निरीक्षण किया है. उपायुक्त को भी आवेदन दिया गया है. कुलदीप कुमार उरांव, आरक्षण पर्यवेक्षक

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