बिहार: गया के मगध मेडिकल अस्पताल में एक गंभीर मरीज के परिजनों को अस्पताल के गार्ड व वार्ड बॉय द्वारा 7500 रुपये में एक यूनिट ब्लड बेचने का मामला सामने आया है. मामले के खुलासे के बाद सिक्यूरिटी व वार्ड ब्वॉय को एजेंसी ने निकाल दिया है. इसकी सूचना दूसरे दिन भी अस्पताल अधीक्षक या फिर अस्पताल प्रबंधक को किसी एजेंसी ने नहीं दी. चमनडीह के मरीज के बेटे सिंटू कुमार ने बताया कि सात दिन पहले लीवर में दिक्कत के कारण अपने पिता गणेश यादव को यहां भर्ती कराया था. बुधवार को ही डॉक्टर ने उन्हें ब्लड चढ़ाने के लिए कहा. ब्लड बैंक में डोनेट करने गया, तो वहां कर्मचारी ने उसके कमजोर होने की बात कह कर लौटा दिया.
वहीं पास में ही खड़े अस्पताल के एक कर्मचारी (वार्ड ब्वॉय) ने उसे आठ हजार रुपये में ब्लड दिलाने की बात कही. इसके बाद मजबूरी में वह 7500 रुपये देने को तैयार हो गया. गुरुवार की रात ब्लड उसे पैसा लेकर उपलब्ध करा दिया गया. लेकिन, इसकी चर्चा बाहर की, तो गार्ड व वार्ड ब्वॉय को पकड़ कर सब लोगों ने पूरा मामला उगलवा लिया और उसका पैसा दोनों से वापस करा दिया. सिंटू ने बताया कि उसके पिता को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है. अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार, गार्ड व वार्ड ब्वॉय के साथ एजेंसी की ओर से तैनात कर्मचारी प्रसूता को पैसा दिलाने, इंज्यूरी लिखवाने, जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने के साथ आसानी से इलाज सुविधा उपलब्ध करवाने में जुटे रहते हैं.
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भगत सिंह यूथ परिवार के संस्थापक डॉ ऋषि मुनी ने बताया कि मेडिकल में वार्ड ब्वॉय पद पर तैनात मुन्ना कुमार ने फोन कर कहा कि उसकी मौसी के गांव का एक मरीज गंभीर है. एक यूनिट ब्लड के लिए एक कार्ड चाहिए. उसके बाद उसे उनके माध्यम से कार्ड व डोनर का मोबाइल नंबर उपलब्ध कराया गया. डोनर से ओटीपी भी इसने ले लिया. ब्लड को मरीज के परिजन से 7500 रुपये में बेच दिया. इस संबंध में मेडिकल थानाध्यक्ष से भी वे मिले हैं. मुन्ना कुमार का कुछ पता नहीं चल रहा है. हालांकि, मुन्ना को खोजने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि वार्ड ब्वॉय की इस करतूत से उनकी बदनामी हो रही है. इस तरह की घटना पर रोक लगाने के लिए हर हाल में मुन्ना को पकड़ा जायेगा.
अस्पताल अधीक्षक डॉ श्रीप्रकाश सिंह से इस संबंध में जानकारी मांगी गयी, तो कहा कि इस संबंध में सिक्यूरिटी एजेंसी या वार्ड ब्वॉय एजेंसी के प्रतिनिधि की ओर से कोई जानकारी नहीं दी गयी है. इस तरह की घटना पर रोक लगाने के लिए लोगों को जागरूक रहना होगा. कोई अगर ब्लड या फिर अन्य किसी काम के लिए अस्पताल में पैसा मांगता है, तो तुरंत ही इसकी सूचना अस्पताल कार्यालय को उपलब्ध कराएं. उन्होंने तुरंत ही अस्पताल प्रबंधक संतोष कुमार सिन्हा को इस मामले में जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है. अस्पताल प्रबंधक ने बताया कि सिक्यूरिटी एजेंसी की ओर से गार्ड में तैनात 36 लोगों का ही पुलिस जांच रिपोर्ट अस्पताल को उपलब्ध कराया गया है. इसमें ब्लड बेचने में शामिल सिक्यूरिटी गार्ड गौरव कुमार का नाम नहीं है.

