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सृजन घोटाला: बिहार सरकार ने की थी CBI जांच की अनुशंसा, जानिए खुलासा व अबतक बर्खास्त हुए नाजिरों के बारे में

बिहार में सृजन घोटाले का मामला एकबार फिर से सुर्खियों में बना हुआ है. 2017 में इस घोटाले का खुलासा हुआ था और उसके बाद ये घोटाला हजारों करोड़ का बनता चला गया. इस मामले में अभी तक कई नाजिर नप चुके हैं और उनको बर्खास्त कर दिया गया है. जानिए सृजन घोटाले के बारे में..

Srijan Scam Bihar: सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड संस्था के द्वारा सरकारी खजाने में की गयी सेंधमारी मामले को सृजन घोटाला नाम से जाना जाता है. हजारों करोड़ का यह घोटाला पकड़ में आया था. 2004 से 2014 के बीच घोटाले का बड़ा खेल चला और 2017 में इस घोटाले का खुलासा हुआ था. जिसके बाद दो दर्जन से अधिक लोगों को इसमें आरोपित बनाया गया था. इनमें करीब एक दर्जन आरोपित पटना के बेऊर जेल में बंद हैं. संस्था की संचालिका मनोरमा देवी की मौत हो चुकी है. वहीं मनोरमा देवी की बहू व मुख्य आरोपितों में एक रजनी प्रिया को गिरफ्तार कर लिया गया है. वहीं रजनी प्रिया ने अपने पति अमित कुमार के मौत की जानकारी सीबीआई को दी है. हालांकि इसकी पुष्टि अभी नहीं की गयी है.

1435 पन्नों में दर्ज की गयी थी घोटाले की कहानी

सीबीआइ ने जो सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड मामले में मामला दर्ज किया था, वह 1435 पन्नों में है. उसमें भागलपुर, बांका व सहरसा के थानों में दर्ज प्राथमिकी, बैंक स्टेटमेंट, चेक आदि को भी शामिल किया गया है. मामले की जांच करने सीबीआइ टीम 26 अगस्त, 2017 को भागलपुर पहुंची थी.

ये लगी हैं अन्य विधान व धाराएं

इस घोटाले की जांच के दौरान आरोपितों पर आपराधिक साजिश, ट्रस्ट के आपराधिक उल्लंघन, धोखाधड़ी, धोखाधड़ी के लिए मूल्यवान सुरक्षा का जालसाजीकरण, वास्तविक जाली दस्तावेजों के रूप में उपयोग करने के मामले में केस दर्ज किया गया है.

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2017 में पहला केस दर्ज हुआ सात अगस्त को हुई शुरुआत

  • भागलपुर के थानों में सृजन मामले की प्राथमिकी दर्ज होने की शुरुआत 07 अगस्त, 2017 को हुई थी.

  • अब तक 24 प्राथमिकियां हो चुकी हैं दर्ज, करीब 1000 करोड़ घोटाले का है मामला.

  • बिहार सरकार ने सीबीआइ जांच की सिफारिश 18 अगस्त, 2017 को की थी.

  • भारत सरकार ने सीबीआइ जांच से संबंधित अधिसूचना 21 अगस्त, 2017 को जारी की.

  • 26 अगस्त, 2017 को सीबीआइ की टीम भागलपुर पहुंची और एसएसपी से मुलाकात की.

  • 27 अगस्त को सीबीआइ की टीम ने वरीय पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की और कागजात की पड़ताल की.

  • सृजन संस्था में लगभग 12000 लोगों के थे खाते, वर्ष 2018 में सहकारिता कार्यालय ने सीबीआइ को भेजी थी सूची.

तत्कालीन नाजिर राकेश कुमार झा बर्खास्त

सृजन घोटाला मामले में जिला भू-अर्जन कार्यालय के तत्कालीन नाजिर राकेश कुमार झा को डीएम ने बर्खास्त किया था. बर्खास्तगी के आदेश में राकेश कुमार झा की घोटाले में संलिप्तता का उल्लेख है. पूर्व नाजिर के विरुद्ध नियंत्री पदाधिकारी के आदेश की अवहेलना करना, निदेशित कार्यों का संपादन नहीं करना, सरकारी कर्तव्य निर्वहन के प्रति गैर-जिम्मेदाराना ढंग से कार्य करना, स्पष्टीकरण का उत्तर ससमय नहीं देना, बिना अवकाश की स्वीकृति के मुख्यालय छोडना, वित्तीय अनियमितता की जांच प्रक्रिया प्रारंभ होने के बाद जांच कार्य में सहयोग नहीं करना और जान-बूझ कर अपने कर्तव्य से अनुपस्थित रहने के आरोप प्रमाणित पाये गये हैं.

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प्रधान नाजिर ओम कुमार श्रीवास्तव बर्खास्त

जिला नजारत शाखा में प्रधान नाजिर के पद पर वर्ष 2014 से ओम कुमार श्रीवास्तव पदस्थापित थे. सृजन घोटाला मामले में कई आरोपों के साबित होने के बाद ओम को डीएम ने बर्खास्त किया था. बर्खास्तगी के आदेश में आरोपित पूर्व नाजिर के जिला नजारत शाखा में पदस्थापन की अवधि के दौरान उनकी लापरवाही व मिलीभगत से जिला नजारत शाखा के करोड़ों रुपये की हेराफेरी का मामला दर्ज हुआ. इसकी जांच सीबीआइ कर रही है. इन्होंने अपने पदस्थापन अवधि में विभिन्न डीडी व चेकों को तत्कालीन लिपिक अमरेंद्र कुमार यादव को हस्तगत कराया, जबकि श्री यादव जिला नजारत शाखा के लिपिक नहीं थे. आरोपित नाजिर को जिला नजारत शाखा की राशि को सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड, सबौर में ट्रांसफर व सरकारी राशि के दुरुपयोग के लिए दोषी पाया गया.

तत्कालीन नाजिर अरुण कुमार की बर्खास्तगी

जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के तत्कालीन नाजिर अरुण कुमार की बर्खास्तगी की रिपोर्ट जिला प्रशासन ने सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव को हाल ही में भेजी है. अरुण कुमार को सृजन घोटाला मामले में संलिप्तता के आरोप में विभागीय कार्यवाही पूरी होने के बाद डीएम ने गत एक अगस्त को बर्खास्त किया था. बर्खास्तगी आदेश में उल्लेख किया गया है कि अरुण कुमार ने बैंक खाता के संचालन व इसके नियमित रूप से सत्यापन में लापरवाही बरती थी. इसी कारण इतनी बड़ी राशि का गबन व सरकारी राजस्व की क्षति हुई. उन्होंने मनमाने ढंग से सरकारी राशि की हेराफेरी कर राशि विचलन करते हुए सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के बैंक ऑफ बडौदा, भागलपुर शाखा व इंडियन बैंक, भागलपुर के खाते में जमा किया.सरकारी कोष की राशि को आपराधिक षडयंत्र के तहत हेराफेरी व पूर्णरूपेण इसमें संलिप्त पाये जाने की पुष्टि सीबीआइ की जांच रिपोर्ट से भी स्पष्ट है. इससे न केवल सरकारी राजस्व की हानि हुई, बल्कि प्रशासनिक छवि भी धूमिल हुई. ऐसी स्थिति में प्रशासनिक दृष्टिकोण व जनहित में सरकारी सेवा में इनका बने रहना उचित नहीं पाये जाने पर बर्खास्तगी की कार्रवाई की गयी. इससे पहले वे निलंबित थे और निलंबन अवधि का मुख्यालय जिला राजस्व शाखा था. वे पटना जिला के पुनपुन थाना क्षेत्र के न्यूएतवारपुर गांव के निवासी है. वर्तमान में बेऊर जेल में बंद हैं.

तत्कालीन जिला भू-अर्जन पदाधिकारी को निर्देश

इधर हाल में ही सृजन घोटाला मामले में आरोपित तत्कालीन जिला भू-अर्जन पदाधिकारी राजीव रंजन सिंह को सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव सह जांच आयुक्त प्रेम सिंह मीणा ने निर्देश दिया है कि जो भी कागजात चाहिए, उसकी मांग एक ही बार करें. यह निर्देश उन्हें गत 14.07.2023 को हुई विभागीय कार्यवाही की पटना में सुनवाई के दौरान दिया गया. इस बाबत जांच आयुक्त ने भागलपुर के डीएम को पत्र भेजा है.

डीएम से लेकर अन्य अधिकारी तक फंसे, कोई फरार तो कोई भगोड़ा घोषित

सृजन घोटाला मामले में कई बड़े पदाधिकारी भी उलझे. भागलपुर के पूर्व डीएम वीरेंद्र यादव का नाम भी चार्जशीट में है और गिरफ्तारी वारंट तक निकल चुका है. पद का दुरूपयोग करते हुए चेक के माध्यम से करोड़ों रूपए के गबन में सीबीआई ने आरोपित बनाया है. वहीं भागलपुर के पूर्व डीएम के पी रमैया को भी इस घोटाले में संलिप्त मानते हुए आरोपित बनाया गया है. के पी रमैया को भगोड़ा तक घोषित किया जा चुका है. जबकि भागलपुर में जिला कल्याण पदाधिकारी के पद पर आसीन रहे अरूण कुमार ने हाल में ही जेल में ही दम तोड़ दिया है. ऐसे कई और नाम हैं जो सृजन घोटाले में उलझे हैं.

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