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शारदीय नवरात्र आज से, तैयारी पूरी

शक्ति की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र सोमवार से घटस्थापना के साथ शुरू हो जाएगा. इसको लेकर मंदिरों व घरों में तैयारियां रविवार को पूरी कर ली गयी है. कलश स्थापना होते ही दुर्गा सप्तशती पाठ व मंत्रों से वातावरण मां दुर्गा की भक्ति में सराबोर हो जायेगा. इधर पूजा को लेकर सामग्री की खरीदारी के लिए बाजारों में लोगों की भीड़ उमड़ी रही.

प्रतिनिधि,सीवान.शक्ति की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र सोमवार से घटस्थापना के साथ शुरू हो जाएगा. इसको लेकर मंदिरों व घरों में तैयारियां रविवार को पूरी कर ली गयी है. कलश स्थापना होते ही दुर्गा सप्तशती पाठ व मंत्रों से वातावरण मां दुर्गा की भक्ति में सराबोर हो जायेगा. इधर पूजा को लेकर सामग्री की खरीदारी के लिए बाजारों में लोगों की भीड़ उमड़ी रही. इधर नगर के कचहरी रोड स्थित दुर्गा मंदिर, गांधी मैदान स्थित बुढ़िया माई मंदिर, रजिस्ट्री कचहरी रोड स्थित काली मंदिर, फतेहपुर स्थित दुर्गा मंदिर, स्टेशन रोड स्थित संतोषी मां मंदिर सहित अन्य मंदिरों में सजावट का कार्य दिनभर चलता रहा. श्रद्धा – भक्ति के साथ मां की आराधना करते हुए कलश की करें स्थापना शक्ति स्वरूपा की आराधना घर में कलश स्थापित कर या फिर बिना कलश स्थापना के भी की जा सकती है .आचार्य उमाशंकर पांडे ने कहा कि कलश स्थापन कर आराधना करने से भक्ति में और शक्ति मिलती है . कलश की स्थापना यजमान स्वयं या पंडित के माध्यम से करा सकते हैं. पूजा शुरू करने से पूर्व माता रानी का ध्यान कर लें और पूरे मन के साथ उनका आह्वान करें .इसके बाद पीला सरसों का सभी दिशा में छिड़काव कर लें. इसके बाद मिट्टी पर जौ को छिटकर कलश में गंगाजल सहित अक्षत , सिक्का , दुर्वा , आम का पल्लव डालकर कलश को ढ़क्कन से ढ़ंक ले . कलश को ढंकने के बाद श्रद्धा – भक्ति के साथ मां की अराधना करने हुए कलश की स्थापना करें . कलश स्थापना की विधि सबसे पहले जौ को बोने के लिए एक ऐसा पात्र लें जिसमें कलश रखने के बाद भी आसपास जगह रहे . यह पात्र मिट्टी के थाली जैसा कुछ हो तो श्रेष्ठ होता है . इस पात्र में जौ को उगाने के लिए मिट्टी की एक परत बिछा दें . मिट्टी शुद्ध होनी चाहिए . पात्र के बीच में कलश रखने के लिए जगह छोड़कर जौ को डाल दें .फिर उपर से हल्के मिट्टी को डाल दें . अब इस पर जल का छिड़काव करें . फिर कलश को अच्छी तरह से धोकर स्थापना के लिए तैयार करें . कलश पर स्वास्तिक बनाएं .कलश के गले में मौली बांधे . अब कलश को थोड़े गंगाजल और शुद्धजल से पूरा भर दें . कलश में साबुत सुपारी , फूल , दूर्वा , इत्र , पंचरत्न व सिक्का डालें .अब कलश में आम का पल्लव डालें . आम के पल्लवो को इस प्रकार डालें कि कुछ पल्लव बाहर भी दिखाई दें .चारों तरफ थोड़ा – थोड़ा आम के पल्लव को निकालकर उपर से ढ़क्कन लगा दें . इस ढ़क्कन में अक्षत यानि चावल भर दें . नारियल के गोले को लाल कपड़े में लपेटकर मौली बांध दे . इस नारियल को कलश पर रखें नारियल का मुख यजमान की तरफ होनी चाहिए .

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