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अमृता ने एशिया के मानचित्र में जिले का किया नाम रोशन

सीवान : अभावग्रस्त जिंदगी से लड़ते हुए फुटबॉल के क्षेत्र में अमृता कुमारी की कामयाबी पर बिहार गौरवान्वित हो रहा है.वर्ष में खेल के क्षेत्र में 16 वर्ष की उम्र में अमृता कुमारी ने देश ही नहीं विदेश की धरती पर भी फुटबॉल के क्षेत्र में जिले का नाम रोशन कर एक कीर्तिमान बनाया. एएफसी […]

सीवान : अभावग्रस्त जिंदगी से लड़ते हुए फुटबॉल के क्षेत्र में अमृता कुमारी की कामयाबी पर बिहार गौरवान्वित हो रहा है.वर्ष में खेल के क्षेत्र में 16 वर्ष की उम्र में अमृता कुमारी ने देश ही नहीं विदेश की धरती पर भी फुटबॉल के क्षेत्र में जिले का नाम रोशन कर एक कीर्तिमान बनाया.
एएफसी क्वालिफायर चैंपियनशिप अंडर 16 में बांग्लादेश के ढाका में मुकाबले में उप विजेता रही. अमृता को खिताब पर कब्जा न जमा पाने का जहां मलाल है,वहीं अगले वर्ष में अंडर 19 में भारत का प्रतिनिधित्व करने की उम्मीद के साथ देश को कामयाबी दिलाने का संकल्प के साथ वह तैयारी में जुटी है.
आड़े नहीं आने दी गरीबी : अपने पांच भाई व बहनों के बीच अमृता कुमारी घर की बड़ी सदस्य है. विपरीत परिस्थिति में भी इसने प्रतिभा को निखारने के लिए कभी कोई कसर नहीं छोड़ी.अमृता के पिता शंभु प्रसाद गुप्ता हरियाणा के गुड़गांव में सब्जी का कारोबार कर अपने बच्चों की परवरिश करते हैं.गरीबी व असमर्थता के बावजूद अपने बेटी अमृता की कामयाबी के लिए वे हर संभव कोशिश करने में लगे हैं.
उपलब्धि भरा रहा वर्ष 2014 : जिले के मैरवा प्रखंड के सिसवां खुर्द गांव की अमृता कुमारी के लिए वर्ष 2014 उपलब्धि भरा रहा.अंडर 16 स्कूली फुटबॉल टीम के कप्तान के रूप में सितंबर माह में चयन हुआ. इसके बाद 14 से 22 अक्तूबर तक बांग्लादेश के ढाका के बंगबंधु स्टेडियम में एएफसी क्वालिफायर चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए एशियाई देशों की श्रृंखला में उपविजेता रही, जिसमें पांच देशों की टीमों ने हिस्सा लिया था.
इसके बाद राष्ट्रीय स्कूली बालिका फुटबॉल अंडर 16 प्रतियोगिता में बिहार टीम का नेतृत्व किया. यह मैच मणिपुर के इंफाल में खेला गया.
रानी लक्ष्मीबाई फुटबॉल क्लब का है योगदान : अमृता कुमारी अपनी अब तक की कामयाबी के लिए अपने कोच संजय पाठक को हर बातों में धन्यवाद देना नहीं भूलती.अमृता कहती है कि उनके आर्शीवाद व मार्गदर्शन से र्हम और और कामयाबी हासिल करनी है.कोच संजय पाठक कहते हैं कि शासन व प्रशासन तथा जनप्रतिनिधियों से कोई सहयोग न मिलने का हमेशा मलाल रहता है.अमृता को कामयाबी दिलाने में यह सहयोग और जरूरी है.
बिहार सरकार से है अपेक्षा : अमृता को सरकार से यह अपेक्षा है कि खेल छात्रवृत्ति मिले.सीबीएससी की तरह राष्ट्रीय व प्रादेशिक खिलाड़ियों के बोर्ड परीक्षा में खेल में योगदान के लिए 20 फीसदी अंक जोड़ा जाये. इसके अलावा प्रशिक्षण के लिए अनुकूल खेल का मैदान बने.
Prabhat Khabar Digital Desk
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