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1319 स्कूलों ने नहीं कराया एसएचवीआर रजिस्ट्रेशन

सरकारी व निजी विद्यालयों को अब स्वच्छता और हरियाली के लिए भी आदर्श बनाने की दिशा में कवायद चल रही है. विद्यार्थियों में स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण और जिम्मेदारी की भावना जगाने को लेकर जिले के सरकारी और निजी स्कूलों में स्वच्छ और हरित विद्यालय मूल्यांकन किया जायेगा. इस कवायद से स्कूल संवरेंगे और विद्यार्थियों में स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता आयेगी.

प्रतिनिधि, सीवान. सरकारी व निजी विद्यालयों को अब स्वच्छता और हरियाली के लिए भी आदर्श बनाने की दिशा में कवायद चल रही है. विद्यार्थियों में स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण और जिम्मेदारी की भावना जगाने को लेकर जिले के सरकारी और निजी स्कूलों में स्वच्छ और हरित विद्यालय मूल्यांकन किया जायेगा. इस कवायद से स्कूल संवरेंगे और विद्यार्थियों में स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता आयेगी. इसको लेकर शिक्षा विभाग ने गाइडलाइन जारी किया है. इसके बावजूद भी शिक्षण संस्थानों द्वारा लापरवाही बरती जा रही है. केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने स्वच्छ व हरित विद्यालय रेटिंग 2025-26 के तहत इस अभियान की शुरुआत की है. इसके अंतर्गत जिले के सरकारी और निजी दोनों तरह के स्कूलों को 30 सितंबर तक अपना स्व मूल्यांकन करना होगा. शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि स्वच्छता, स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण बच्चों में आदत और संस्कार के रूप में विकसित होने चाहिए. इसी उद्देश्य से यह पहल शुरू की गई है. इसके बाद 30 सितंबर तक पोर्टल या मोबाइल एप पर स्व मूल्यांकन कराना होगा. स्व मूल्यांकन के बाद जिला और प्रखंड स्तर पर भौतिक सत्यापन किया जायेगा. सत्यापन के लिए मूल्यांकनकर्ताओं की सूची तैयार कर साझा की जायेगी. मिली जानकारी के मुताबिक अभी तक 1319 स्कूलों ने पंजीयन नहीं शुरू किया है. 1175 स्कूलों ने इस मूल्यांकन कम्प्लीट किया है.जबकि 528 स्कूल केवल रजिस्ट्रेशन किए है.इन चिह्नित विद्यालयों की सूची जारी कर अविलंब पंजीयन शुरू करने का निर्देश दिया है. रेटिंग प्रक्रिया में पंजीकरण के दौरान 27 प्रश्न और स्वमूल्यांकन में 60 प्रश्नों के जवाब देने होंगे. साथ ही विद्यालयों को 12 से 15 तस्वीरें भी अपलोड करनी होगी. यह मूल्यांकन छह श्रेणी जल, शौचालय, साबुन से हाथ धोना, संचालन एवं अनुरक्षण, व्यवहार परिवर्तन एवं क्षमता निर्माण और मिशन लाइफ गतिविधियों पर आधारित होगी. समग्र शिक्षा के डीपीओ जय कुमार ने बताया कि इस पहल का उद्देश्य स्कूलों में स्वच्छता, स्वच्छ आदतों और पर्यावरण संरक्षण की भावना को मजबूत करना है. उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर 15 अक्तूबर तक योग्य स्कूलों का चयन कर पुरस्कार दिए जायेंगे. जिला शिक्षा विभाग ने प्रखंड स्तर से ही शत प्रतिशत स्कूलों की भागीदारी सुनिश्चित करने के निर्देश दिये हैं. जिससे जिले के सभी विद्यालय इस पहल में अपनी सक्रिय भागीदारी निभायें. शिक्षा मंत्रालय ने रेटिंग के लिए 60 संकेतक तय किये हैं. इन संकेतकों के आधार पर स्कूलों को अंक दिए जायेंगे और उनकी श्रेणी तय की जायेगी. मानकों पर खरा उतरने वाले स्कूलों को को राष्ट्रीय स्तर तक मान्यता मिलेगी. डीइओ राघवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि स्वच्छ व हरित विद्यालय रेटिंग का मकसद केवल सफाई पर जोर देना नहीं है, बल्कि शिक्षा प्रणाली को और समग्र बनाना है. इसके तहत स्कूलों में स्वास्थ्य, स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण को पढ़ाई और गतिविधियों से जोड़ा जायेगा. इस पहल से बच्चों में व्यवहारिक बदलाव आयेगा और उन्हें स्वच्छता व जलवायु संरक्षण का महत्व समझने का अवसर मिलेगा. स्वच्छता को लेकर सभी स्कूलों में चेतना सत्र के दौरान बच्चों को स्वच्छता का सन्देश दिया जाता हैं. इसके लिए प्रत्येक विद्यालय में बाल सांसद गठन के दौरान स्वच्छता मंत्री भी बनाया गया है. विद्यालय के स्वच्छता के बारे में समय समय पर जानकारी दी जाती है. प्रत्येक बच्चों को बाल सांसद द्वारा अपने अपने विद्यालय में समय-समय पर सफाई अभियान चला कर विद्यालय को स्वच्छ भी किया जाता है.

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