शुभ मुहूर्त सुबह 8.15 बजे से लेकर दोपहर 12.50 बजे तक रहेगा चेनारी. 17 सितंबर को प्रखंड क्षेत्र में भगवान विश्वकर्मा की आराधना धूमधाम से होगी. इस बार विश्वकर्मा पूजा पर पूरे 100 सालों बाद अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, गुरु पुष्य योग, शिवयोग और एकादशी का संगम एक ही दिन पड़ रहा है. यह अनोखा योग पूजा की महत्ता और फल को कई गुना बढ़ा देगा. पूजन को लेकर बाजारों में चहल-पहल बढ़ गयी है. औजार सामग्री की दुकानों की रौनक बढ़ गयी है. बताया जाता हैं कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विश्वकर्मा ने सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा के सातवें पुत्र के रूप में जन्म लिया था. भगवान विश्वकर्मा को संसार का पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता हैं. इसलिए सनातन धर्म में विश्वकर्मा जयंती को खास महत्व दिया गया है. विशेष तौर पर इस दिन औजारों, निर्माण कार्य से जुड़ी मशीनें, सभी प्रकार के वाहनों आदि की पूजा की जाती हैं. भगवान विश्वकर्मा के आशीर्वाद से कारोबार में आ रही परेशानियां भी दूर होती हैं. विश्वकर्मा की कृपा से कार्य में उन्नति होती हैं. आचार्य पंडित अरविंद उपाध्याय ने बताया कि प्रत्येक साल सृजन निर्माण और वास्तुकला कला के देवता भगवान विश्वकर्मा की पूजा कन्या संक्रांति के दिन की जाती हैं. उन्होंने बताया कि पंचांग के अनुसार, 17 सितंबर की सुबह 8 बजकर 12 मिनट को सूर्य का कन्या राशि में प्रवेश होगा. इसके तुरंत बाद से विश्वकर्मा पूजा की शुरुआत मानी जायेगी. ऐसे में पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 8.15 बजे से लेकर दोपहर 12.50 बजे तक रहेगा. तस्वीर, चुनरी व पूजन सामग्री की बढ़ी मांग:- शिल्प कला के देवता भगवान विश्वकर्मा के पूजन को लेकर शहर के डाक बंगला मार्केट रोड, संत सिंह चौक, गांधी चौक, इंदिरा चौक रोड आदि जगहों पर रंग-बिरंगे चुनरी और भगवान के तस्वीरों की बिक्री शुरू हो गयी हैं. साथ ही पूजन सामग्री की भी मांग बढ़ी हैं. खरीदारों को लेकर बाजार में चहल-पहल बन गयी. औजार के दुकानों पर कई तरह के नये औजार भी बिक रहे हैं. तस्वीर विक्रेता संदेश जायसवाल, रंजीत गोस्वामी बताते हैं कि पूजा के एक सप्ताह पहले से ही तस्वीरों की मांग होने लगती हैं. तस्वीर, चुनरी और माला बनारस और पटना सिटी से मंगाया गया हैं.
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