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आज शरद पूर्णिमा की रात होगी अमृत की बरसात

सनातन धर्म में आश्विन शुक्ल पूर्णिमा, यानी शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व

सासाराम ग्रामीण.

सनातन धर्म में आश्विन शुक्ल पूर्णिमा, यानी शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है. उस दिन लोग सुख-समृद्धि व आरोग्य-ऐश्वर्य की कामना करते है. शरद पूर्णिमा सोमवार को पड़ रहा है. इस रात आसमान से अमृत की वर्षा होगी. इस अवसर पर लोग खीर बनाकर कर अपने आंगन व छत के ऊपर रखा जायेगा. ऐसी मान्यता है कि खीर के सेवन की अधिक लाभ मिलता है. आचार्य दयाशंकर पांडेय ने बताया कि शरद पूर्णिमा का धार्मिक, आध्यात्मिक व वैज्ञानिक महत्व गहरा है. तिथि विशेष को धार्मिक क्रियाओं, उपासना और साधना के लिए पवित्र माना जाता है. यह पर्व प्रेम, भक्ति, स्वास्थ्य और मानसिक शांति का प्रतीक है. धार्मिक रूप से, यह भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला, देवी लक्ष्मी की कृपा, और चंद्रमा की पूजा से जुड़ा है. शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा षोडश कलाओं से युक्त होता है. उसकी किरणों से अमृत वर्षा होती है. इस विशेषता के कारण प्रभु श्रीकृष्ण ने इसे रासोत्सव के लिए उपयुक्त माना. शरद पूर्णिमा की सुबह आराध्य देव को श्वेत वस्त्राभूषण से सुसज्जित कर पूजा-अर्चना की जाती है. रात में गाय के दूध की घी-मिष्ठान मिश्रित खीर प्रभु को अर्पित की जाती है. मध्यावकाश में स्थित पूर्ण चंद्र का पूजन किया जाता है. आयुर्वेद शास्त्र में नक्षत्र अधिपति चंद्रमा को औषधियों का स्वामी माना गया है. भारतीय परंपराओं में चंद्रमा को मन का कारक माना गया है. इस रात चंद्र किरणों में औषधीय अमृत गुण आ जाता है. इसके सेवन से जीवन शक्ति मजबूत होती है. मानसिक तनाव को कम होता है. मन और मस्तिष्क में शांति और संतुलन बना रहता है. चंद्र पूजन से मानसिक स्वास्थ्य और शांति प्राप्त होती है.

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